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पीएम मोदी ने IIT कानपुर में लॉन्च की ब्लॉकचेन-आधारित ‘डिजिटल डिग्री’

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Credit: (Twitter @PMModi)

IIT Kanpur Blockchain-based Digital Degrees: मंगलवार 28 दिसंबर को अपने उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्री लॉन्च की है।

इस दीक्षांत समारोह में, सभी छात्रों को राष्ट्रीय ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट (National Blockchain Project) के तहत संस्थान में ही विकसित एक आंतरिक ब्लॉकचेन संचालित तकनीक के माध्यम से डिजिटल डिग्री प्रदान की जाएगी।

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आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर के मुताबिक़ इन ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्रियों को विश्व स्तर पर सत्यापित किया जा सकता है और इनसे छेड़छाड़ कर पाना भी सम्भव नहीं है।

PM Modi launches blockchain-based digital degrees at IIT Kanpur
Credit: Twitter @narendramodi

तो आइए जानते हैं कि इस ब्लॉकचैन-आधारित डिजिटल डिग्री में ऐसा क्या ख़ास है और ये कैसे आने वाले समय में शैक्षिक क्षेत्र को एक नया स्वरूप दे सकती है?

What is Blockchain Technology? (In Hindi)

असल में ब्लॉकचेन सिस्टम विकेंद्रीकरण तकनीक (Decentralised Technology) के सिद्धांत पर काम करता है। आसान भाषा में कहें तो इसका नियंत्रण किसी सरकारी एजेंसी के हाथों में नहीं है, बल्कि नोड्स के एक व्यापाक नेटवर्क के अधीन होता है।

मान लीजिए नेटवर्क में मौजूद किसी नोड के साथ छेड़छाड़ की गई या उसकी सुरक्षा में सेंधमारी हुई, तो भी इस तकनीक के ज़रिए डेटा हमेशा सुरक्षित ही रहता है।

इतना ही नहीं बल्कि ब्लॉकचेन तकनीक के ज़रिए किसी भी जानकारी या डेटा को एक सटीक समय और क्रमिक रूप से रिकॉर्ड/स्टोर की जाती हैं। इसमें पहले स्टोर की गई जानकारी को बदला नहीं जा सकता, बल्कि एक नया ब्लॉक जोड़कर उसमें संशोधन दर्शाया जा सकता है। मतलब ये कि किसी भी जानकारी के साथ कैसी भी छेड़छाड़ कर पाना बहुत मुश्किल बन जाता है।

What is Blockchain based Digital Degree?

ब्लॉकचेन तकनीक छात्रों के रिकॉर्ड को डिजिटल ढंग से स्टोर के कठिन काम को आसान बना देती है। साथ ही किसी भी क्लाउड स्टोरेज की तरह ही स्टूडेंट्स कहीं से भी इसको एक्सेस कर सकते हैं।

जानकारो का हमेशा से तर्क रहा है कि ब्लॉकचेन तकनीक सत्यापन प्रक्रिया (वेरिफ़िकेशन प्रॉसेस) को सरल बना सकती है। इस तकनीक के ज़रिए छात्रों के ट्रांसफ़र, या कंपनियों के साथ छात्रों के रिकॉर्ड आदि को शेयर करने आदि को लेकर कागजी दस्तावेजों के बजाए एक क्लिक पर ही चीज़ों को एक्सेस किया जा सकेगा, वो भी किसी भी तरह की सेंधमारी से बचते हुए।

ब्लॉकचेन तकनीक के एल्गोरिदम की मदद से शिक्षकों को कुछ शर्तों के पूरा होने पर एक विशेष पाठ्यक्रम को शुरू करने की भी सहूलियत मिलती है। मान लीजिए कोई शिक्षक पाठ और पाठ्यक्रम को एक ब्लॉकचेन में सेट कर देता है।

ऐसे में एल्गोरिथ्म हर एक काम (Task) के पूरा होने की पुष्टि कर सकता है और छात्रों के सामने तभी अगला Task पेश कर सकता है, जब तक पहले के Task पूरे ना हो जाएँ।

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ये तकनीक शिक्षकों को ग्रेडिंग में भी मदद कर सकती है। ब्लॉकचेन तकनीक एल्गोरिथम में शामिल प्रश्नों, उत्तरों और स्कोरिंग मापदंडों का ध्यान रखते हुए छात्रों को परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर ग्रेड प्रदान कर सकती है।

PM Modi at IIT Kanpur Video; 

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