India issues advisory on edtech platforms: बीते दो सालों में जब महामारी के चलते अधिकतर इंडस्ट्री क्षेत्र ठप से हो गए थे, ऐसे में कुछ क्षेत्र थे जिन्होंने इस दौर अप्रत्याशित वृद्धि भी दर्ज की और उनमें से एक था देश का एड-टेक (EdTech) जगत।
जी हाँ! ऑनलाइन एजुकेशन क्षेत्र ने महामारी के चलते देश भर में अपनी पैठ बना ली है और ऐसे में देशव्यापी रूप से एडटेक कंपनियों की संख्या भी काफ़ी तेज़ी से बढ़ रही है। और अब इसने सरकार तक का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
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शायद यही वजह है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 23 दिसंबर को माता-पिता और छात्रों के लिए इन एडटेक कंपनियों को लेकर एडवाइजरी (Advisory) जारी की है।
मंत्रालय के अनुसार शिक्षा क्षेत्र तेज़ी से ऑनलाइन मोड में स्विच होता नज़र आ रहा है, जिसमें पाठ्यक्रम (Syllabus), ट्यूटोरियल (Tutorial), प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) के लिए कोचिंग, स्किल कोर्स (Skill Courses) आदि शामिल हैं।
मंत्रालय का कहना है कि इनको लेकर कई कंपनियाँ अनेकों तरह के ऑफर्स की पेशकश करती हैं, और इसलिए अभिभावकों और छात्र-छात्राओं सभी को सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
Given the pervasive impact of technology in education, a detailed advisory to parents, students & other stakeholders has been issued regarding the use of caution while dealing with Ed-tech companies.
To know more,
click : https://t.co/JX79HJkcbn@PIB_India @PIBHRD— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) December 23, 2021
इस जारी की गई एडवाइजरी (Advisory) में साफ़ तौर पर ये कहा गया है कि एड-टेक कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले ऑनलाइन स्टडी मटेरियल या कोचिंग का चयन करते समय सावधानी बरती जानी चाहिए।
इस एडवाइजरी में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कुछ गम्भीर विषयों को उठाते हुए बताया गया कि स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के संज्ञान में आया है कि कुछ एड-टेक कंपनियां माता-पिता को मुफ्त सेवाओं की लालच देकर उन्हें इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (Electronic Fund Transfer) जैसी चीजों में गलत ढंग से फँसा रही हैं और बाद में ऑटो-डेबिट फ़ीचर आदि के ज़रिए उनके अकाउंट से पैसे काटती रहती हैं। खास कर कमजोर परिवारों को इसका निशाना बनाया जा रहा है।
इसलिए सरकार की एडवाइजरी ने किसी भी एडटेक कंपनी के सब्सक्रिप्शन फीस के भुगतान के लिए डेबिट विकल्प को सतर्कता से इस्तेमाल करने या इससे बचने की सलाह दी गई है।
असल में आज कल एडटेक कंपनियों के बीच मुफ्त प्रीमियम या फ़्रीमियम बिजनेस (Free Premium or Freemium Business) मॉडल काफ़ी लोकप्रिय है, जिसमें कंपनियाँ शुरुआती महीनें मुफ़्त सेवाएँ देती हैं लेकिन रजिस्टर्ड यूज़र को अपना डेबिट कॉर्ड जोड़ने को कहती हैं।
ज़ाहिर है ऐसे में बतौर ग्राहक हमारी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि ऐसी किसी भी सेवाओं को अपनाते वक़्त उसमें पेमेंट विक्लपों व सेवा शर्तों की अच्छे से जाँच कर लें।
मंत्रालय यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि पैरेंट्स को एडटेक कंपनियों के विज्ञापनों पर “आंख बंद करके भरोसा” नहीं करना चाहिए, और एडटेक कंपनियों द्वारा साझा की गई “सफलता की कहानियों” की ठीक से जांच की जानी चाहिए, कि आख़िर उनमें कितनी सच्चाई है?
Govt. of India issues advisory on edtech platforms
अगर बिंदुवार ढंग से इस एडवाइज़री को देखा जाए तो इसमें निम्नलिखित अहम बातें कही गई हैं;
- एड-टेक कंपनियों के विज्ञापनों पर आँखे बंद कर भरोसा न करें।
- जिसके बारे में आपको जानकारी न हो ऐसी किसी भी तरह की लोन स्कीम के लिए साइनअप करने से बचें।
- ऐप स्टोर पर प्रामाणिकता की पुष्टि करने के बाद ही एड-टेक कंपनियों की ऐप इंस्टाल करें।
- सब्स्क्रिप्शन लेने के लिए क्रेडिट/डेबिट कार्ड विकल्प से बचें।
- अपना ईमेल एड्रेस, फोन नंबर, कार्ड डिटेल, पता आदि तुरंत कहीं ऑनलाइन न दें।
- कोई भी व्यक्तिगत वीडियो और तस्वीरें शेयर ना करें। संदेहपूर्ण प्लेटफॉर्म पर वीडियो कॉल आदि से बचें।
- बच्चों को सीधे खरीदारी की अनुमति न दें। RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार OTP आधारित पेमेंट विकल्प को अपनाने की कोशिश करें।
- अपरिचित सोर्स द्वारा मिले लिंक को खोलने से बचें और लिंक के साथ कोई अटैचमेंट या पॉप-अप स्क्रीन पर क्लिक न करें।
- कंपनी की सेवा शर्तों को ध्यान से पढ़ें कि कहीं वो अपने डिवाइस या आईपी एड्रेस को ट्रैक तो नहीं कर रही?
- पैरेंट्स कंपनी के बैकग्राउंड को खंगालें और कंटेंट की क्वॉलिटी भी जाँचे।