PM Modi Warns On Cryptocurrency: क्रिप्टोकरेंसी यूँ तो दुनिया के कई हिस्सों में आधिकारिक रूप से अपनी जगह बनाने लगी हैं, लेकिन भारत में इसके भविष्य को लेकर अभी भी संशय बरकरार ही है। और ये मुद्दा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के हालिया बयान के बाद फिर से गरमा गया है।
असल में बीते दिनों हुए ‘द सिडनी डायलॉग’ में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और बिटकॉइन (Bitcoin) को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ चिंताए व्यक्त की हैं।
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जी हाँ! अपने सम्बोधन में पीएम मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन का जिक्र करते हुए कहा कि सभी लोकतांत्रिक देशों को ये अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि ये नई डिजिटल करेंसी किसी भी तरीक़े से गलत हाथों में न जानें पाए।
पर प्रधानमंत्री की क्रिप्टो को लेकर सिर्फ़ यही चिंता नहीं थी, बल्कि उन्होंने आगे ये भी कहा कि ये चीज़ हमारे युवाओं को बर्बाद भी कर सकती है।
Take crypto-currency or bitcoin for example.
It is important that all democratic nations work together on this and ensure it does not end up in wrong hands, which can spoil our youth: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) November 18, 2021
साथ ही अपने भाषण में पीएम मोदी ने डेटा को आज के डिजिटल युग में सबसे अहम दर्जा देते हुए कहा कि भारत ने लोगों की डेटा प्राइवेसी संबंधित सुरक्षा के लिए मजबूत ढांचा बनाया है।
PM Modi Warns On Cryptocurrency
प्रधानमंत्री के अनुसार डेटा सुरक्षा पके ज़रिए लोगों के सशक्तीकरण का काम किया जा सकता है। उनके अनुसार डिजिटल युग ने राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को पुनर्भाषित किया है, साथ ही इस युग में शासन, नीति, कानूनों, अधिकारों और सुरक्षा को लेकर कुछ नए सवाल और चुनौतियाँ भी सामने आएँ हैं।
आप सोच रहें होंगे की भारत जैसे इतने बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री का किसी नई तकनीक को लेकर ये बयान लाज़मी है और इसको साधारण रूप से देखे जाने की ज़रूरत है।
लेकिन कुछ जानकारों का मानना है कि इस बयान के अपने कुछ मायने हो सकते हैं। ग़ौर करने वाली बात ये है कि यह बयान ऐसे वक़्त में आया हिया जब कुछ ही दिनों पहले पीएम मोदी ने देश में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को तय करने की दिशा में एक बैठक की थी।
और इस बैठक के बाद सूत्रों के हवाले से खबर सामने आई थी कि ‘सरकार ये तो मानती है कि यह एक विकसित तकनीक है, और इसलिए इस पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और इस दिशा में कोई सार्थक कदम उठाया जा सकता है। बैठक में कथित रूप से इस बात पर भी सहमति बनती नज़र आई कि सरकार द्वारा क्रिप्टो को लेकर उठाए गए कदम प्रगतिशील और दूरदर्शी होंगे।
इतना ही नहीं बल्कि कुछ ही दिनों पहले वित्त मामलों में गठित संसद की स्थायी समिति (Standing Committee on Finance) की क्रिप्टो एक्सचेंज व इस क्षेत्र से जुड़े अन्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई, जिसमें देश के भीतर क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन और प्रोत्साहन से जुड़े पहलूओं पर विचार किया गया।
दिलचस्प रूप से साथ ही एक संसदीय समिति की ओर से हाल में ये भी कहा गया है कि क्रिप्टो एक उभरती तकनीक है, जिसको रोका नहीं जा सकता है, लेकिन देश में इसको लेकर रेगुलेशन आदि चीज़ों की ज़रूरत है।
क़यास ये भी लगाए जा रहें हैं कि आने वाले शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक व्यापक विधेयक लाने के लिए पूरी तरह से तैयार है और इस बिल को तभी संसद पटल पर पेश किया जा सकता है।
पर देखना ये होगा कि सरकार का क्रिप्टो तकनीक को लेकर अंतिम रूख क्या रहता है और देश में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और ट्रेड कितना आसान बनता है?