संपादक, न्यूज़NORTH
Swiggy & Zomato To Pay GST To Govt: जैसा हमनें आपको कुछ दिन पहले ही रिपोर्ट्स के हवाले से जानकारी दी थी, कि जल्द ही Zomato और Swiggy को जीएसटी (GST) के दायरे में लाया जा सकता है। और अब इस बात का आधिकारिक ऐलान भी हो चुका है।
जी हाँ! 17 सितंबर को GST काउंसिल की बैठक में एक बड़ा फ़ैसला लेते हुए ऑनलाइन फ़ूड डिलीवरी कंपनियों जैसे स्विगी (Swiggy) और ज़ोमैटो (Zomato) को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी बना दिया गया है।
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ख़ुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया के साथ बातचीत कर इस बात की जानकारी दी और कहा;
“GST काउंसिल की एक विस्तृत चर्चा के बाद ये फ़ैसला लिया गया है। जिस जगह खाना पहुँचाया जाता है, वहीं वह बिंदु होगा जहाँ टैक्स कलेक्ट किया जाएगा। वे इस पर GST का भुगतान करेंगे।”
लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि वित्त मंत्री ने साफ़ शब्दों में कहा कि किसी भी तरीक़े का कोई नया टैक्स नहीं लगाया जा रहा है।
Swiggy and Zomato to pay GST to govt: FM Nirmala Sitharaman
असल में काफ़ी दिनों से सरकार देश में तेज़ी से बढ़ते फ़ूड डिलीवरी ऐप्स की GST कलेक्ट करने और उसको सरकार के पास जमा करने संबंधित जवाबदेही तय करने को लेकर काम कर रही थी और अंततः ये फ़ैसला ले लिया गया है। आपको बता दे ये GST जमा करने की ज़िम्मेदारी फ़िलहाल रेस्तरां (Restaurants) के ऊपर थी।
ग्राहकों की जेब पर क्या होगा असर?
अटकलें ये लगाई जा रहीं हैं कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुए जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में फूड डिडिलीवरी ऐप को लेकर लिए गए इस फ़ैसले का असर ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा।
असल में वर्तमान में होता ये है कि फूड एग्रीगेटर्स जैसे Zomato और Swiggy द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले ऑनलाइन बिलों में पहले से ही एक टैक्स कम्पोनेंट शामिल होता है।
लेकिन इस क्षेत्र से जुड़े जानकारों के अनुसार, इस टैक्स की राशि को डिलीवरी ऐप्स बाद में संबंधित स्टोरेंट पार्टनर्स को दे देते हैं, जो फिर सरकार को इस टैक्स का भुगतान करते हैं।
होता ये था कि कई बार कुछ स्टोरेंट ऑनलाइन फ़ूड डिलीवरी ऐप्स के द्वारा दी जाने वलय टैक्स राशि का भुगतान सरकार को नहीं करते थे। इसलिए अब नए नियमों से सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि सीधे ये डिलीवरी कंपनियाँ ही स्टोरेंट की बजाए सरकार को इन टैक्स का भुगतान करें।
फ़िलहाल ऑनलाइन फूड एग्रीगेटर्स के साथ जुड़े हुए स्टोरेंट फूड बिल पर 5% GST का भुगतान करते हैं, जबकि एग्रीगेटर खुद कमीशन पर 18% GST का भुगतान करता है। ये वही कमीशन है जो रेस्तरां को डिलीवरी और मार्केटिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए चार्ज की जाती है।
इसलिए मतलब ये है कि सरकार फ़ूड बिल पर कोई नया टैक्स नहीं लगाने जा रही है बल्कि बस वह ख़ुद स्टोरेंट से अपना GST हिस्सा वसूलने के बजाए अब फ़ूड डिलीवरी ऐप्स को ये ज़िम्मेदारी दे रही है।
ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि फ़िलहाल अलग-अलग फ़ूड आइटम के लिए सरकार अलग अलग टैक्स स्लैब बनाए हुए है। इसलिए ये भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इन एग्रीगेटर्स द्वारा फ़ूड डिलीवरी पर लगाए जाने वाले 5% टैक्स को ही यूनफ़ॉर्म करती है या नहीं?