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WhatsApp की मैसेज ट्रेसबिलिटी याचिका मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया ‘केंद्र सरकार’ को नोटिस

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Delhi HC On WhatsApp Message Traceability Case: देश में भले नए आईटी नियमों को लेकर तमाम सोशल मीडिया कंपनियों और भारत सरकार के बीच चल रही भयंकर उठा-पटक सार्वजनिक रूप से थोड़ी थम सी गई हो, लेकिन देश की अदालतों में ये दोनों पक्ष अभी भी कई जगह आमने-सामने हैं।

और ऐसा ही एक मामला है दिल्ली हाईकोर्ट में WhatsApp द्वारा दायर एक याचिका का, जिसको लेकर आज अदालत ने केंद्र सरकार को एक नोटिस तक जारी कर दिया है।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने 26 मई से लागू हुए नए Indian IT (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules of 2021 से संबंधित ट्रेसबिलिटी के मुद्दे को लेकर WhatsApp द्वारा दायर की गई एक याचिका को लेकर सरकार को ये नोटिस जारी है।

हुआ ये कि Facebook के मलिक़ाना हक वाली कंपनी WhatsApp की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ से केंद्र को नोटिस जारी करने की अपील की थी ताकि केंद्र सरकार का सोशल मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की याचिका पर पक्ष जाना जा सके।

असल में Live Law के अनुसार, रोहतगी ने अदालत से कहा;

“सुनवाई की पहली तारीख को दूसरे पक्ष (सरकार) ने कहा कि वे कुछ निर्देश प्राप्त करना चाहते हैं, इसलिए उन्हें नोटिस जारी नहीं किया गया। आज फिर उन्होंने स्थगन की मांग करते हुए एक पत्र पेश किया।”

“इसलिए कम से कम उन्हें एक नोटिस जारी किया जाए ताकि वह अपना जवाब दाखिल करने दें। आईटी नियम 2021 की वैधता के संबंध में यह एक बहुत गंभीर सवाल है। और वैसे भी हम किसी अंतरिम आदेश की मांग नहीं कर रहे हैं।”

Delhi HC Issues Notice To Govt On WhatsApp Message Traceability Plea

रोहतगी की इस दलील को सुनने के बाद अदालत ने एक नोटिस जारी कर दिया है और साथ ही अगली सुनवाई की तारीख़ 22 अक्टूबर तय की है।

क्या है मामला?

भारत सरकार द्वारा लागू किए गए नए आईटी नियमों में के तहत सरकार द्वारा कुछ मामलों में पूछे जाने पर मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्मों को ये बताना होगा कि कोई चुनिंदा मैसेज सबसे पहले किसने भेजा था?

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इसको लेकर केंद्र सरकार की राय ये रही है कि ऐसी सूचना सिर्फ़ तभी माँगी जाएगी जब भारत की संप्रभुता और अखंडता से संबंधित कोई अपराध रोकने, उसका पता लगाने, उसकी जांच, या सजा के उद्देश्यों आदि के लिए ऐसा करना आवश्यक होगा।

पर व्हाट्सएप (WhatsApp) का कहना ये रहा है कि व्हाट्सएप Text आदि भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं और इसलिए ऐसी जानकारी का पता लागने के लिए इसको मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर संदेश भेजने और प्राप्त करने वालों के बीच के इस एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा, जो सीधे तौर पर प्राइवेसी के हनन का मामला होगा।

इस बात में कोई शक नहीं है कि Twitter की तरह ही व्हाट्सएप (WhatsApp) भी बीते कुछ समय से केंद्र सरकार के साथ सीधी खींचातान में लिप्त नज़र आता रहा है।

पर WhatsApp के लिए इस साल की शुरुआत से ही विवाद की सबसे बड़ी वजह इसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी रही है, जिसको लेकर सरकार और भारतीय यूज़र्स दोनों ही प्लेटफ़ॉर्म से ख़फ़ा नज़र आए। यहाँ तक कि भारत सरकार ने मैसेजिंग ऐप को ये नई पॉलिसी अपडेट वापस लेने के लिए कहा था।

पर बाद में व्हाट्सएप (WhatsApp) ने दिल्ली हाईकोर्ट को कहा कि वह नई पॉलिसी को स्वीकार न करने वाले यूज़र्स से किसी भी तरह की सुविधाओं को छिन नहीं रहा है। और वह सिर्फ़ यूजर्स को इन अपडेट की जानकारी को बार-बार दिखाएगा, और उन्हें इनके बारे में जानकारी देने के प्रयास करेगा, ताकि वह बिना किसी डर के नीतियों को अपना सकें।

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