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बेंगलुरु में ड्रोन से ‘दवाओं की होम डिलीवरी’ का ट्रायल रहा सफ़ल

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Drone Delivery Trial of Medicines (Bengaluru): भारत में ड्रोन के इस्तेमाल की संभावनाओं को लेकर बीते कुछ समय से प्रयास तेज होने नज़र आ रहें हैं, ख़ासकर दक्षिण भारत के क्षेत्रों में! और इसी कड़ी में अब बेंगलुरु से एक और बड़ी ख़बर सामने आई है, जहाँ थ्रॉटल एयरोस्पेस सिस्टम्स (Throttle Aerospace Systems) और बी2बी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Udaan ने मिलकर दवाओं की ड्रोन डिलीवरी का अपना पहला ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया है।

दिलचस्प ये है कि बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS) श्रेणी के ये ट्रायल डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) की निगरानी में किया गया।

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समाचार एजेंसी, द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट की मानें तो इस ड्रोन डिलीवरी ट्रायल को फ़िलहाल 15 किलोमीटर के दायरे में किया गया।

Drone Delivery Trial of Medicines in Bengaluru – Key Highlights:

बता दें ये ड्रोन ट्रायल असल में बेंगलुरु से करी 80 किमी दूर स्थित गौरीबिदनूर (Gauribidanur) नामक जगह पर किया गया।

इस ड्रोन डिलीवरी के ट्रायल में मुख्यतः Medcopter X4 और Medcopter X82 नामक दो ड्रोन टेस्ट किए गए। इन ड्रोनों की क्षमता को टेस्ट करने के लिए इनको 2 किमी से 7 किमी के भीतर तक की दूरियों के लिए 2 किलोग्राम तक के फार्मा संबंधित पेलोड से लैस किया गया था।

टेस्टिंग के दौरान ये सामने आया कि ड्रोन तय किए गए पेलोड (वजन) के साथ 5-7 मिनट में क़रीब 3.5 किमी की दूरी तय कर ले रहें हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ टेस्टिंग में ड्रोन से शिपमेंट को नीचे लाने और शिपमेंट के साथ ही कॉप्टर की लैंडिंग, दोनों तरीक़ों को ही आज़माया गया।

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ज़ाहिर है इस टेस्टिंग का सीधा सा मक़सद था देश के दूरदराज के इलाक़ों में दवाओं की डिलीवरी के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की संभावनाओं को तलाशना। वैसे ड्रोन कई जगहों पर लास्ट-माइल डिलीवरी के लिहाज़ से भी डिलीवरी करने को लेकर टेस्ट किए जा रहें हैं।

इस बीच Udaan के प्रोडक्ट इंजीनियर सौम्यदीप मुखर्जी ने कहा;

“सप्लाई-चेन ईकोसिस्टम में ड्रोन को शामिल करने को लेकर लास्ट-माइल डिलीवरी आदि को लेकर रूपरेखा तैयार करने की दिशा में, इन प्रयासों को बेशक एक बड़े क़दम के तौर पर देखा जा सकता है। इस सफ़ल ट्रायल ने डिलीवरी और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में ग्राहकों को बिल्कुल एक नया अनुभव देने के मक़सद में एक बड़ा अवसर प्रदान किया है।”

ग़ौर करने वाली बात ये है कि अपने बयान में उन्होंने ये भी कहा कि भारत के दूरदराज के इलाक़ों में स्थित किराना, दुकान मालिकों, केमिस्ट और MSMEs जैसे छोटे व्यवसायों को और सशक्त बनाने के लिए भी ये तकनीकी सामाधन कारगर साबित हो सकता है।

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