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संसदीय समिति ने Twitter से कहा, “देश का कानून सर्वोपरि है, कंपनी की पॉलिसी नहीं!”

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Parliamentary Panel To Twitter: जैसा कि हमनें आपको बताया था की 18 जून को ‘संसदीय स्थायी समिति’ (Parliamentary Standing Committee) ने ट्विटर (Twitter) को समन भेजते हुए 18 जून को पैनल के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। और अब इस मामले में नई अपडेट सामने आ चुकी है।

जी हाँ! जैसा माना जा रहा था, संसदीय समिति ने Twitter को नए आईटी नियमों को लेकर चल रहे विवाद के बीच दो टूक कहा है कि “देश का कानून सर्वोपरि है और कंपनी को वो मानना ही होगा।”

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वहीं ख़बर के मुताबिक़ इसको लेकर ट्विटर इंडिया (Twitter India) की ओर से प्रस्तुत हुए आधिकारियों ने कंपनी द्वारा अपनी सभी पॉलिसी का पालन करने की बात कही।

Parliamentary Panel ने बर्ती Twitter के साथ सख़्ती

लेकिन संसदीय समिति के सदस्यों ने कंपनी के अधिकारियों की एक टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए उनसे सख़्त लहजों में कहा कि “देश का कानून सर्वोपरि है, आपकी पॉलिसी नहीं।”

सूचना और प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की। साथ ही इस समिति की शुक्रवार की बैठक में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे एवं भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर भी मौजूद रहे।

सामने ये आया है कि इस समिति के सामने ट्विटर इंडिया (Twitter India) की लोक नीति प्रबंधक शगुफ्ता कामरान और विधिक परामर्शदाता आयुषी कपूर ने कंपनी का पक्ष रखा।

इस दौरान समिति ने आधिकारियों से ये भी पूछा कि देश में नियमों को अनदेखा या कहें तो उसका उल्लंघन करने के चलते कंपनी पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए?

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बीतें कुछ समय से सरकार और ट्विटर के बीच का गतिरोध काफ़ी बढ़ गया है। फिर चाहे बात नए आईटी नियमों के अनुपालन की हो, या फिर भाजपा नेता के एक ट्वीट को मनिप्युलेटेड मीडिया (Manipulated Media) टैग करने पर ट्विटर इंडिया के दिल्ली ऑफ़िस में पुलिस की दस्तक।

इतना ही नहीं बल्कि कल हाई ये ख़बर सामने आई है कि नए ग़ाज़ियाबाद से जुड़े एक वायरल वीडियो मामले में भी लोनी बॉर्डर पुलिस स्टेशन ने ट्विटर इंडिया के एमडी को थाने बुलाया है और उनसे कुछ सवाल-जवाब करने के लिए समन भेजा है।

इसके पहले उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत समेत कुछ अन्य लोगों के अकाउंट को अचानक से अन वेरिफ़ाईड यानि ब्लू टिक को हटाने को लेकर भी सोशल मीडिया में विवाद देखने को मिला था।

आपको बता दें Twitter पहले ही देश में अपना बिचौलिये यानि (Intermediary) प्लेटफ़ॉर्म का दर्जा खो चुका है, इसलिए अब प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट किए गए किसी भी ग़ैर-क़ानूनी कंटेंट के लिए कंपनी को भी क़ानूनी रूप से जवाबदेह बनाया जा सकता है।

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