संपादक, न्यूज़NORTH
पुणे आधारित ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी स्टार्टअप, ग्रीनजूल्स प्राइवेट लिमिटेड (Greenjoules Pvt Ltd) ने सीरीज ए राउंड में क़रीब ₹33 करोड़ ($4.5 मिलियन) का निवेश हासिल किया है। बता दें कंपनी को ये निवेश Blue Ashva Capital के Blue Ashva Sampada Fund से मिला है।
कंपनी द्वारा हासिल किया गया निवेश कंपनी ने इक्विटी और डेब्ट के मिश्रित स्वरूप में प्राप्त किया है। कंपनी इस नए निवेश का इस्तेमाल कमर्शियल स्तर पर Waste-To-Energy बनाने वाले प्लांट स्थापित करने और रिसर्च एंड डेवलपमेंट में करेगी।
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Greenjoules असल में जैव ईंधन (बायोफ़्यूल) बनाने के लिए फीडस्टॉक के रूप में नॉन-फ़ूड और नॉन-फ़ीड कचरे का इस्तेमाल करता है। कंपनी का दावा है कि इसका ईंधन BIS1460 मानकों के अनुरूप होता है, जिसका पालन पेट्रोलियम और डीजल में किया जाता है।
इसका इस्तेमाल फ़िलहाल मौजूदा डीजल इंजन, जेनसेट या बॉयलर में किसी भी संशोधन के बिना किया जा सकता है।
जी हाँ! सही समझ रहें हैं आप, Greenjoules का ये जैव ईंधन (बायोफ़्यूल) पेट्रोलियम और डीजल का सीधा सा विकल्प बनकर सामने आता है।
ग़ौर करने वाली बात ये है कि भारत के सड़क परिवहन और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों के जहाजरानी मंत्रालय के राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने भी वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पर्यावरण के अनुकूल वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल की वकालत की है।
नितिन गडकरी के अनुसार भारत मौजूदा समय में कच्चे तेल के आयात पर क़रीब ₹7 लाख करोड़ खर्च करता है, और ये सही समय है कि देश को एक लागत प्रभावी, प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी ईंधन विकल्प मिल सके।
साल 2018 में बना Greenjoules
Greenjoules की स्थापना 2018 में वी राधिका (V Radhika), वीएस श्रीधर (VS Shridhar), एस वीरराघवन (S Viraraghavan) और आर सेतुनाथ (R Sethunath) द्वारा की गई थी।
ये सभी क़रीब दो दशकों से अधिक समय तक भारतीय और वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने के अनुभव से लैस एक बेहतरीन कॉर्पोरेट बैकग्राउंड से आते हैं।
इस बीच इस नए निवेश को लेकर Greenjoules के सह-संस्थापक और सीईओ वी एस श्रीधर ने कहा;
“इस नए निवेश के साथ हम अब उस व्यापाक बाजार को अपनी सेवाएँ देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, जो पारंपरिक विकल्पों के साथ ही अब पर्यावरण के अनुकूल ईंधन विकल्प को अपनाने का मन बना रहें हैं।”
“2018 की भारत सरकार की जैव ईंधन पॉलिसी का भी मक़सद यही है कि 2030 तक कुल खपत होने वाले डीजल के क़रीब 5% भाग की जगह जैव ईंधन (बायोफ़्यूल) का इस्तेमाल शुरू किया जाए। हमें उम्मीद है कि ये आने वाले समय में हमें और अवसर प्रदान करेगी।”