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Instagram ‘टू-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन’ के लिए करेगा WhatsApp का इस्तेमाल – रिपोर्ट

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Instagram Two-Factor Authentication Using WhatsApp: हम जानते ही हैं कि इंस्टाग्राम (Instagram) और व्हाट्सएप (WhatsApp) दोनों ही फेसबुक (Facebook) के मालिकाना हक़ वाली कंपनियाँ हैं। और अब इसका असर बीते कई सालों से दिखने भी लगा है।

और अब एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़ इंस्टाग्राम (Instagram) ने ‘टू-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन (Two-Factor Authentication)’ के लिए अब WhatsApp की मदद लेने का मन बनाया है।

असल में व्हाट्सएप के बीटा वर्जन में आने वाले नए फ़ीचर्स व लीक्स को ट्रैक करने वाली वेबसाइट WABetaInfo की एक रिपोर्ट में कुछ नए इंस्टाग्राम फीचर (Instagram Features) के स्क्रीनशॉट शेयर किए गए हैं।

इन स्क्रीनशॉट्स को देखने के पता चलता है कि इस नए कथित फ़ीचर के तहत बीटा यूज़र्स को WhatsApp का इस्तेमाल करके ‘टू-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन (Two-Factor Authentication)’ का विकल्प चुनने के लिए कहा जा रहा है।

Credit (Twitter/@alex193a)

स्क्रीनशॉट में देखने पर पता चलता है कि यूज़र्स को पासकोड प्राप्त करने के एक ज़रिए के रूप में व्हाट्सएप (WhatsApp) का चयन करने का विकल्प दिया जा रहा है।

जानकारी के लिए बता दें कि ‘टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन’ असल में ऐप की सुरक्षा को बढ़ाने का तरीक़ा है, जिसके ज़रिए यूज़र्स के इंस्टाग्राम अकाउंट और पासवर्ड को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।

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सामान्यतः आज तक तमाम ऐप्स पर मौजूद इस फ़ीचर के तहत अगर यूज़र्स अपने अकाउंट पर लॉगिन करने की कोशिश करते हैं तो उनके रजिस्टर्ड नंबर पर एक कोड भेजा जाता है, जिसको उन्हें लॉगिन करने के लिए ऐप पर डालना पड़ता है।

लेकिन अगर Instagram यूज़र्स अब व्हाट्सएप (WhatsApp) के ज़रिए टू-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें कोड SMS के साथ ही साथ WhatsApp पर भी प्राप्त होगा। लेकिन ग़ौर करने वाली बात ये है कि तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ये नया फीचर वैकल्पिक होगा। मतलब ये कि यूज़र्स चाहे तो इसको चुन सकते हैं।

दिलचस्प ये है कि व्हाट्सएप ने एक ही अकाउंट के लिए मल्टी डिवाइस सपोर्ट सुविधा पेश की है, और ऐसे में ये फ़ीचर काफ़ी फायदेमंद साबित हो सकता है।

कैसे? तो ज़रा सोचिए इस फीचर का इस्तेमाल करते हुए इंस्टाग्राम यूजर्स व्हाट्सएप चला रही किसी भी डिवाइस पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन पासकोड प्राप्त कर सकेंगे और पूरी तरह से अपनी प्राइमरी डिवाइस यानि स्मार्टफ़ोन पर निर्भर नहीं होना होगा।

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