मुख्य विपक्षी दल ‘कांग्रेस‘ (Congress) की कथित ‘टूलकिट‘ (Toolkit) पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा एक ट्वीट किया गया, जिसके कुछ ही घंटों बाद, ट्विटर (Twitter) ने इस ट्वीट को ‘मनिप्युलेटेड मीडिया‘ (Manipulated Media) के रूप में टैग कर दिया।
पर अब ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार को ये रास नहीं आया और इसलिए सरकार ने ट्विटर से कहा है कि वह सरकार के कोविड-19 प्रयासों को बदनाम करने वाली टूलकिट को लेकर लिए गए संबित पात्रा के ट्वीट से ‘मनिप्युलेटेड मीडिया’ (Manipulated Media) का टैग हटा दे।
तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के अनुसार ट्विटर को लिखे इस पत्र में सरकार ने यह आधार भी दिया है कि ये कथित टूलकिट का मामला अभी प्रवर्तन एजेंसी के समक्ष है और इस पर जांच लंबित है, इसलिए ट्विटर को ऐसा क़दम नहीं उठाना चाहिए।
कथित Congress Toolkit पर Manipulated Media का टैग
सूत्रों के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने कड़े शब्दों में ट्विटर की वैश्विक टीम को एक पत्र लिखा है और कुछ राजनेताओं के ट्वीट को तोड़-मरोड़ कर ‘मनिप्युलेटेड मीडिया’ (Manipulated Media) के रूप में टैग करने पर आपत्ति दर्ज कराई है।
साथ ही अपने पत्र MeitY ने कहाहै कि कंपनी की ये कार्रवाई ने न केवल ट्विटर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है बल्कि इसके निष्पक्ष होने के दावे को भी कमजोर करती है।
मंत्रालय के अनुसार लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने जांच ख़त्म होने के पहले ही एकतरफा कदम उठाने और कुछ ट्वीट्स को ‘मनिप्युलेटेड मीडिया’ के रूप में चिन्हित करने को बिल्कुल उचित क़दम नहीं माना है।
सरकार ने ट्विटर से निष्पक्षता और समानता जैसे मूल्यों के हित में इस टैग को हटाने के लिए कहा है। सरकार के अनुसार जाँच अधिकारियों द्वारा किसी जाँच सामग्री की सत्यता का निर्धारण किया जाएगा, न की किसी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म द्वारा।
मनिप्युलेटेड मीडिया को लेकर ट्विटर पॉलिसी
लेकिन इस बीच ऐसे मामलों पर ट्विटर की पॉलिसी के अनुसार, “आप भ्रामक रूप से बनाए गए या हेरफेर किए गए मीडिया को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं, जिससे किसी भी तरह के नुकसान होने की संभावना है। और अगर ट्विटर ऐसे किसी कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर पाता है, तो वह उसको ‘मनिप्युलेटेड मीडिया’ के रूप में टैग कर सकता है, ताकि लोगों को उसके विषय में जानकारी मिले सके। ट्विटर की इस श्रेणी में ऐसे ट्वीट आते हैं, जिनमें मीडिया (वीडियो, ऑडियो या फ़ोटो) भी शामिल हैं।
इस बीच 18 मई को भाजपा नेता संबित पात्रा द्वारा किए गए ट्वीट में कथित रूप से “कांग्रेस टूलकिट” के कुछ स्क्रीनशॉट शामिल थे। इस बीच कांग्रेस ने ये आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए देश भर में “झूठी जानकारी का प्रसार किया है।”
असल में बीते कुछ समय से ट्विटर और भारत सरकार के बीच अक्सर ऐसे विवाद देखने को मिले हैं, जब सरकार ने अपनी आलोचना आदि सम्बंधित कुछ ट्वीट्स को कई कथित आधारों पर प्लेटफ़ॉर्म से हटाने की माँग तक की है।
अभी कुछ ही दिनों पहले Twitter ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट, Lumen डेटाबेस में ख़ुलासा करते हुए बताया था कि भारत सरकार ने देश में 50 से अधिक Tweets को सेंसर करने के लिए Twitter को एक एमरजेंसी ऑर्डर दिया था।
वहीं क़िसान आंदोलन के दौरान भी एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसके अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा 31 जनवरी को ‘farmer genocide’ नाम से हैशटैग चलाने वाले 257 ट्विटर अकाउंट को सरकार ने बंद करने के निर्देश दिए थे।
वहीं 4 फ़रवरी, 2021 को सरकार ने कथित रूप से खालिस्तान की माँग करने वाले समर्थकों व पाकिस्तान द्वारा समर्थित 1,178 Twitter अकाउंट को देश की शांति व सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए हटाने की माँग भी की थी।
क्यों लोगों को भाता है, ‘ट्विटर’?
ग़ौर करने वाली बात ये है कि ट्विटर को अब भारत में एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म की पहचान मिल रही है, जिसमें कोई भी अपनी आवाज़ उठा सकता है, और लोगों के बीच भी अन्य सोशल मीडिया दिग्गज़ के मुक़ाबले ट्विटर को अधिक पारदर्शिता बरतने की वजह से काफ़ी लोकप्रियता मिली है।