संपादक, न्यूज़NORTH
RBI Sets Up Working Group For Digital Loan Apps: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल लोन बाँटने वाले मोबाइल ऐप्स के रेगुलेशन के लिए एक Working Group (WG) बनाया है, जो अब कई डिजिटल लोन ऐप के मनमाने रैवैए पर लगाम लगाता नज़र आएगा।
असल में बीते कुछ समय से देश भर में डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स (Digital Loan Apps) की संख्या तेज़ी से बढ़ी है और उतनी ही तेज़ी से बढ़ी हैं, इनके मनमाने रैवैए को लेकर ग्राहकों की शिकायतें भी।
कभी नियमों से अधिक लोन इंट्रेस्ट (ब्याज) तो कभी जबरन वसूली को या मानसिक प्रताड़ना, ऐसे कई मुद्दों को लेकर देश भर के कोने-कोने से शिकायतें आती रही हैं, और अब इन्हीं तमाम पहलुओं को लेकर इन डिजिटल लोन ऐप्स पर लगाम लगाने के लिए RBI ने इस Working Group का गठन किया है।
इसको लेकर आरबीआई (RBI) ने बुधवार को एक बयान में कहा,
“हाल ही में ऑनलाइन लोन देने वाले प्लेटफॉर्म / मोबाइल ऐप्स की लोकप्रियता और इनको लेकर शिकायतें दोनों बढ़ी हैं।”
“और इसलिए इस वित्तीय सेगमेंट और इससे जुड़ी ऑनलाइन लोन जैसी गतिविधियों के सभी पहलुओं का अध्ययन करने के लिए एक Working Group (WG) स्थापित किया जा रहा है, ताकि रेगुलेशन को लेकर एक स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाया जा सके।”
आपको बता दें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा वर्किंग ग्रुप (Working Group) बनाए जाने की ख़बर सबसे पहले इस साल जनवरी में सामने आई थी।
क्या होगा RBI Working Group का काम?
उस वक़्त सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, ये WG असल में डिजिटल लोन से जुड़ी गतिविधियों का मूल्यांकन करेगा और साथ ही RBI द्वारा विनियमित संस्थाओं के साथ भागीदारी कर आउटसोर्स के ज़रिए डिजिटल लोन देने वाले प्लेटफ़ॉर्म की लोन संबंधित गतिविधियों की पैठ और मानकों का भी अध्ययन करेगा।
इसके अलावा ये Working Group इस सेगमेंट को लेकर वित्तीय स्थिरता के साथ ही साथ विनियमित संस्थाओं और उपभोक्ताओं को अनियमित डिजिटल लोन की वजह से झेले जा सकने वाले जोखिमों का भी आंदाज़ा लगाकर एक रिपोर्ट तैयार करने का काम करेगा।
लेकिन सबसे दिलचस्प ये है कि इन तमाम पहलुओं पर अपना आँकलन करने के बाद ये Working Group डिजिटल लोन के क्षेत्र में सेवाएँ देने वाले प्लेटफ़ॉर्म द्वारा निष्पक्ष और नियम अनुसार व्यवहार और कस्टमर सेफ़्टी आदि को लेकर अपने सुझाव भी देगा।
जब Online Loan बना जानलेवा?
असल में आपको याद होगा कि पिछले साल दिसंबर 2020 के दौरान कई ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थी, जिनमें अनियमित डिजिटल लोन प्लेटफ़ॉर्म द्वारा ग़लत ढंग से लोन रिकवरी के तरीक़े अपनाने के चलते कुछ ग्राहकों द्वारा मजबूरन आत्महत्या करने जैसी चीज़ों तक का ख़ुलासा हुआ था।
इसके बाद साल 2020 के दिसंबर में ही RBI ने अनधिकृत लोन ऐप्स को लेकर एक एडवाइज़री जारी की थी।
असल में इन ग़लत ढंग से लोन की वसूली की कई कहानियाँ एक जैसी ही थीं। भले ही लोन की राशि कितनी भी हो, लेकिन उन ग्राहकों के साथ सामान्य रिमाइंडर की प्रक्रिया, धीरे-धीरे धमकी और फिर बाद में ग्राहकों और उनके परिवार वालों को परेशान करने तक में बदल गई।
असल में उन आरोपित लोन देने वाले प्लेटफ़ॉर्म ने अपनी शर्तों के आधार पर ग्राहकों के फोने कांटैक्ट पर पहुँच हासिल कर ली थी और बाद में रिपोर्ट के अनुसार ग्राहकों के दोस्तों और रिश्तेदारों को कॉल करके “पब्लिक शेमिंग” का तरीक़ा अपनाते हुए रिकवरी तक की कोशिशें की थीं।
इसके बाद से ही ऐसे प्लेटफ़ॉर्म को लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासन और यहाँ तक की देश की कई नियामक एजेंसियों तक ने जाँच शुरू कर दी थी।
इसके बाद से Google ने भी जहाँ ऐसे ऑनलाइन लोन ऐप्स को लेकर अपने Play Store की पॉलिसी को अपडेट करते हुए सख़्त किया था, वहीं कई रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया कि Google ने इसके बाद प्ले स्टोर से क़रीब 500 संदिग्ध लोन ऐप्स को हटा दिया था। लेकिन हम साफ़ कर दें कि प्ले स्टोर से हटाए गए ऐप्स की संख्या को लेकर कंपनी ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है और न ही इसकी कोई पुष्टि की थी।