भले WhatsApp ने अपनी विवादित प्राइवेसी पॉलिसी (Privacy Policy) को ‘Accept‘ करने की 15 तक की डेडलाइन को ख़त्म कर दिया हो, लेकिन यूज़र्स को इस नई पॉलिसी से राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है।
जी हाँ! असल में भले WhatsApp ने साफ़ कर दिया है कि उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी (Privacy Policy) को Accept ना करने पर भी किसी भी अकाउंट को डिलीट नहीं किया जाएगा, लेकिन “कई हफ्तों” के बाद भी पॉलिसी को स्वीकार ना करने पर यूज़र्स अपनी चैट लिस्ट (Chat List) और कुछ दिनों बाद वॉयस/वीडियो कॉलिंग (Voice/Video Calling) जैसे फ़ीचर्स को इस्तेमाल नहीं कर सकेंगें।
WhatsApp ने ये तमाम जानकारी अपने ऐप के FAQ पेज पर विस्तार से दी है, जिसमें कई ऐसी चीज़ें सामने आई हैं जो यूज़र्स को ज़रूर जाननी चाहिए। तो आइए जानते हैं क्या कहता है WhatsApp?
WhatsApp की Privacy Policy Accept करना है ज़रूरी?
हम सब जानते हैं कि WhatsApp अपनी नई विवादित प्राइवेसी पॉलिसी को Accept करने को लेकर लगातार यूज़र्स को रिमाइंडर भेज रहा है। और कंपनी ने साफ़ किया है कि डेडलाइन ख़त्म करने के बाद भी वह रिमाइंडर्स भेजती रहेगी।
लेकिन अगर आपने काफ़ी दिनों के बाद भी नई पॉलिसी को Accept नहीं किया तो आप WhatsApp के कुछ फीचर्स से हाथ धो बैठेंगे मतलब उनका इस्तेमाल नहीं कर पाएँगें।
आपको बता दें WhatsApp के अनुसार लगातार प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर रिमाइंडर भेजने के बाद भी अगर यूज़र्स उसको स्वीकार नहीं करते हैं तो कुछ समय बाद यूजर्स अपनी चैट लिस्ट नहीं देख पाएंगे, लेकिन वो इनकमिंग वॉइस कॉल्स और वीडियो कॉल्स का जवाब दे सकेंगे।
इसके साथ ही अगर यूज़र ने अपने ऐप पर WhatsApp नोटिफिकेशन ऑन किया होगा, तो उन पर टैप करके मैसेज पढ़ सकेंगें और मैसेज का रिप्लाई भी दे सकते हैं।
और तो और वह मिस्ड वॉइस कॉल या वीडियो कॉल के नोटिफिकेशन पर टैप करके वॉइस कॉल या वीडियो कॉल भी कर सकेगें।
पर ग़ौर करने वाली बात ये है कि इसके भी अगले कुछ हफ्तों में अगर यूज़र्स नई WhatsApp Privacy Policy को Accept नहीं करते हैं तो उनके ऐप पर WhatsApp इनकमिंग कॉलया नोटिफिकेशन आने बंद हो जाएँगें।
मतलब ये कि यूज़र न तो WhatsApp पर मैसेज भेज सकेंगें और न ही किसी भी तरह से कोई वॉयस कॉल या वीडियो कॉल कर सकेंगें।
नहीं आसान है WhatsApp की राह
दिलचस्प बात ये है WhatsApp कि इस नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है और सबसे बड़ा विवाद ये है कि कंपनी ने इस नई पॉलिसी को ना मानने जैसा विकल्प नहीं दिया है, और इसलिए इसको जबरन यूज़र्स पर थोपनें जैसा प्रतीत होता है।
वहीं भारत Facebook के मालिकाना हक़ वाले इस प्लेटफ़ॉर्म के लिए एक अहम बाज़ार है, क्योंकि सरकारी आँकड़ो के अनुसार भारत में WhatsApp के क़रीब 53 करोड़ यूज़र्स हैं।
और तो और भारत अपने बड़े जनसंख्या आधार और इंटरनेट संभावनाओं के चलते Facebook के लिए सबसे अहम बाज़ार है, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार और डेटा बाज़ार का है।
ऐसे में WhatsApp बिल्कुल भी ऐसा नहीं चाहेगा कि उसका कोई भी क़दम यूज़र्स पर जबरन थोपने जैसा नज़र आए, पर ना जाने क्यों अभी तो यह ऐसा ही लग रहा है कि WhatsApp अपनी पॉलिसी को लेकर ज़िद्द किए बैठा है।
क्यों WhatsApp नहीं राज़ी है छोड़ने को अपनी नई पॉलिसी?
जैसा कि हम पहले भी आपको बता चुके हैं कि इस नई प्राइवेसी पॉलिसी को लागू करने के बाद भले WhatsApp एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होने का दावा करता रहे, लेकिन ये पॉलिसी कथित रूप से ये कंपनी को चैट और उपयोगकर्ताओं के मेटाडेटा, लेनदेन डेटा, मोबाइल डिवाइस की जानकारी, IP ऐड्रेस और अन्य डेटा को Facebook आदि से शेयर करने की इजाज़त देती है, ख़ासकर WhatsApp for Business अकाउंट्स को लेकर।
और ग़ौर करने वाला बिंदु ये है कि Google आदि की तरह Facebook के लिए कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया विज्ञापन का है और इन तमाम डेटा का इस्तेमाल करके अगर कंपनी अपने तमाम प्लेटफ़ॉर्म जैसे Instagram, FB App आदि में सटीक लोगों को सटीक विज्ञापन (टारगेट एडवर्टाइजमेंट) दिखाती है, तो कई विज्ञापन देने वाली कंपनियाँ Google आदि की बजाए Facebook पर अधिक भरोसा जाताएँगी और जिससे कंपनी का राजस्व और बढ़ेगा।
इसके साथ ही ज़ाहिर है ये क़दम कंपनी को अपने एक और सपने को पूरा करने में भी मदद कर सकता है। असल में WhatsApp भारत के बेहद बड़े और अभी भी अपार संभावनाओं से भरे ई-कॉमर्स क्षेत्र में ख़ुद को एक Super App की तरह स्थापित करने के प्रयास करना चाहता है, और वह छोटे बिज़नेस आदि को कस्टमर डेटा एनालिटिक्स की भी सुविधा प्रदान करने का मन बना रहा है।
जैसा हमनें देखा की Jio में बतौर निवेश शामिल हुई Facebook ने Reliance Retail और WhatsApp के साथ विशेष साझेदारी की कथित पहल को भी शुरू किया है।