हम आपको पहले ही अपनी एक रिपोर्ट में ये बता चुके हैं कि भारत के दूरसंचार मंत्रालय ने देश में 5G Network ट्रायल के लिए Airtel, Reliance Jio, Vodafone-Idea (Vi), MTNL आदि टेलीकॉम कंपनियों को मंजूरी दे दी है।
इस बीच इस ट्रायल के लिए Reliance Jio अपनी ख़ुद की विकसित तकनीक की मदद लेगा, वहीं अन्य टेलीकॉम कंपनियाँ Ericsson, Nokia, Samsung, और C-DOT जैसी OEMs की मदद से इस 5G Network ट्रायल पूरा करेंगी।
दिलचस्प ये है कि इस 5G Network ट्रायल से चीनी कंपनियों जैसे Huawei, ZTE आदि को दूर रखा गया है, और साथ ही अन्य कंपनियों को भी कहा गया है कि उन्हें ट्रायल संबंधित डेटा देश के भीतर हाई स्टोर करना होगा।
पर क्यों हो रहा है 5G Network का विरोध?
आपको लग रहा होगा ये 5G के विरोध की बातें कहाँ से सामने आई? असल में आपने इस बीच कभी न कभी तो सोशल मीडिया या ख़बरों पर ये सुना ही होगा कि कई रिपोर्ट्स के हवाले से ये कहा जा रहा है कि 5G नेटवर्क से पंक्षियों की मौत हो रही है और इंसानों पर भी इसके बुरे प्रभाव पड़ते हैं।
लेकिन इस बीच सबसे दिलचस्प वाकिया और सामने आया है। असल में TV9 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में 5G टेस्टिंग को बैन करने की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका तक दायर की गई है।
इस याचिका में कहा गया है की भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में 5G नेटवर्क का विरोध हो रहा है, और साथ ही इसमें 5G नेटवर्क को पृथ्वी के लिए एक बहुत बड़ा खतरा भी बताया गया है।
ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि याचिका के अनुसार 5G नेटवर्क स्वास्थ्य के साथ ही साथ इंटरनेट यूज़र्स की प्राइवेसी के लिए भी एक बड़ा ख़तरा है, क्योंकि 5G के ज़रिए हैकर्स यूज़र्स के डेटा को आसानी से हैक कर सकते हैं।
लेकिन मैं इतना दावे से कह सकता हूँ कि इंटरनेट पर 5G से जुड़ी ख़बरों को देखने वाले अधिकतर लोगों ने ऐसी रिपोर्ट के बारे में ज़रूर सुना होगा, जिसमें दावा किया गया है कि नीदरलैंड में 5G टेस्टिंग के दौरान सैकड़ों पक्षियों की अचानक मौत हो गई थी। जी हाँ! उस याचिका संबंधित रिपोर्ट के मुताबिक़ कुछ ऐसी ही बातें याचिका में भी कहीं गई हैं।
इस पक्षियों की मौत संबंधित ख़बर को जब आप इंटरनेट पर सर्च करेंगें तो ये पाएँगें कि कई जगह ऐसे ब्लॉग आदि हैं, जिमनें कहा गया है कि नीदरलैंड के हेग शहर में 5G नेटवर्क की टेस्टिंग के दौरान क़रीब 300 पक्षियों की मौत हुई थी।
पर क्या वाक़ई 5G Network से हो रहीं हैं मौतें?
इसको लेकर कुछ साल पहले The Quint ने जाँच-पड़ताल कर एक रिपोर्ट छापी थी, जिसके मुताबिक़ इंटरनेट पर नीदरलैंड में कुछ सालों पहले 5G ट्रायल के चलते पक्षियों के मरने की जो खबरें हैं, वो पूरी तरह से सच नहीं हैं।
इस जाँच रिपोर्ट के अनुसार इस ख़बर को नीदरलैंड आधारित यूज़ चैनल Dutch News ने खुद झूठ बताया है। उनके अनुसार अक्टूबर, 2018 में चौक़ाने वाले ढंग से कई पंक्षियों की मौत ज़रूर हुई थी, लेकिन उसकी वजह किसी तरह का ज़हर माना गया था, जिसकी जाँच वहाँ का स्थानीय प्रशासन कर रहा था। लेकिन 5G नेटवर्क के चलते ऐसा कुछ होने की कोई प्रमाण सामने नहीं आए थे।
तो कहाँ से शुरू हुई ये 5G से मौतों की कहानी?
असल में फर्जी खबरों को सामने लाने वाली एक वेबसाइट Snopes, के अनुसार, इस 5G के चलते पंक्षियों की मौत वाले वायरल पोस्ट को नवंबर के आसपास नीदरलैंड के ही एक ब्लॉग द्वारा पब्लिश किया गया था, जो असल में कुछ Facebook पोस्ट की सीरीज़ के आधार पर लिखा गया था।
लेकिन इस खबर को UNICEF तक ने फ़ेंक न्यूज़ करार दिया है। उनकी वेबसाइट पर एक आर्टिकल में कहा गया है कि 5G नेटवर्क के चलते पंक्षियों की मौत के तर्क को सही नहीं माना जा सकता है।
तो कुल मिला कर ये कुछ ख़बर ये सबसे ज़्यादा साल 2018 के दौरान सुर्ख़ियाँ बटोरीं थी, लेकिन ऐसा हो सकता है कि भारत में 5G नेटवर्क को लेकर ट्रायल आदि अब शुरू हो रहा है तो फिर से लोगों ने उस वायरल और कई मीडिया हाउस द्वारा झुठलाई जा चुकी पंक्षियों की मौत वाली ख़बर को फिर से शेयर करना शुरू कर दिया हो?
हाँ! इतना ज़रूर है कि दुनिया भर की कई रिपोर्ट्स ये बताती हैं कि मोबाइल रेडीएशन स्वास्थ्य के लिहाज़ से थोड़ा हानिकरार ज़रूर होता है, लेकिन किस हद तक? इसको लेकर अलग-अलग रिपोर्ट में अलग अलग दावे देखने को मिलते हैं।
लेकिन इतना ज़रूर है कि उस याचिका को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट क्या फ़ैसला करता है? ये देखने लायक़ होगा, और उससे जुड़ी अपडेट पाने के लिए आप बने रहिए The Tech Portal Hindi के साथ!