WhatsApp Account After 15 May: आपको याद ही होगा कि Facebook के मालिकाना हक़ वाले Facebook ने साल 2021 की शुरुआत में देश में अपनी विवादित प्राइवेसी पॉलिसी (Privacy Policy) पेश की थी।
जी हाँ! WhatsApp की वही पॉलिसी जो रह-रह कर आजकल हमारे मोबाइल में दिखाई देती है और उसमें 15 मई तक उन्हें Accept करने का विकल्प दिया रहता है।
लेकिन सब कुछ इतना आसान नहीं है। असल में इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp की इस नई पॉलिसी को लेकर जहाँ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने WhatsApp और Facebook के ख़िलाफ़ जाँच का आदेश दे दिया था, वहीं इसको लेकर इन कंपनियों ने इस आदेश के खिलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका दायर की है।
इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में सुनवाई जारी हैं। लेकिन इस वक़्त सबसे बड़ी बात ये है कि WhatsApp ने तमाम विवादों के बाद अपने नई विवादित प्राइवेसी पॉलिसी को 15 मई तक के लिए टाल दिया था और अब ये तारीख़ नज़दीक आ गई है।
और ऐसे में अब लोगों के मन में ये सवाल उठने लगा है कि अगर उन्होंने WhatsApp की इस नई पॉलिसी को 15 मई तक Accept नहीं किया तो फिर उनके अकाउंट का क्या होगा? तो आइए इसका जवाब जानते हैं?
क्या बंद हो जाएगा 15 May के बाद आपका WhatsApp Account?
आपको बता दें BGR की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ WhatsApp ने भारत में यूज़र्स को इन नई पॉलिसी को समझने और ‘Accept’ या ‘Agree’ करने के लिए 15 मई तक का वक़्त दिया है, जिसके बाद यूज़र्स अपने अकाउंट को एक्सेस नहीं कर सकेंगें।
बता दें कंपनी ने इसके पहले एक बयान में कहा था कि “जब तक आप इन नई पॉलिसी को स्वीकार नहीं करते तब तक आप WhatsApp में सभी फ़ीचर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगें।
असल में कहा ये जा रहा है कि निश्चित समय सीमा के बाद अगर यूज़र्स पॉलिसी पर ‘Agree’ नहीं करते हैं तो भले थोड़ी देर के लिए यूज़र्स कॉल और नोटिफ़िकेशन प्राप्त करते रहें, लेकिन वह मैसेज पढ़ने या भेजने की सुविधा का लाभ नहीं उठा सकेंगें।
लेकिन एक बात साफ़ कर दें कि आपको WhatsApp Account बिल्कुल भी डिलीट नहीं होने जा रहा है, ऐसा तभी होता है जब आपका अकाउंट क़रीब 120 दिनों से ज़्यादा समय के लिए इन-एक्टिव रहे।
Accept New WhatsApp Privacy Policy Before 15 May?
इस बीच अगर आप कंपनी के दावों पर भरोसा करके WhatsApp की इस नई पॉलिसी को Accept करना चाहते हैं तो आपको इस पॉलिसी का पॉप-अप होम स्क्रीन पर ही नज़र आएगा। जहाँ क्लिक करके आप पॉलिसी को पढ़ और फिर अपनी मर्ज़ी के अनुसार चाहें तो Agree कर सकते हैं।
लेकिन असली विवाद की जड़ ये है कि WhatsApp ने यूज़र्स को इस प्राइवेसी पॉलिसी पर Agree करने अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं दिया है।
पिक्चर अभी बाक़ी है दोस्त!
आपको लग रहा होगा कि ये भला WhatsApp की क्या जबरजस्ती है? भला कंपनी ऐसा कैसे कर सकती है कि लोगों को जबरन Agree करने के लिए विवश करे? तो आपको बता दें देश की सुप्रीम अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट दोनों ही इन्हीं सब पहलुओं पर सुनवाई कर रहे हैं और हमें बेशक माननीय अदालतों के फ़ैसले का इंतज़ार करना चाहिए, क्योंकि इस मुद्दे पर वाक़ई एक ऐतिहासिक फ़ैसला आ सकता है।