संपादक, न्यूज़NORTH
ताइवानी की इलेक्ट्रिक स्कूटर व स्वैपेबल बैटरी टेक कंपनी Gogoro अब अपने ग्लोबल प्रसार की दिशा में अब तक का सबसे बड़ा क़दम उठाने जा रही है। जी हाँ! Gogoro ने लोकप्रिय दोपहिया वाहन निर्माता Hero MotoCorp के साथ मिलकर अपनी स्वैपेबल-बैटरी और स्कूटर तकनीक को भारत में लाने की घोषणा की है।
Hero MotoCorp और Gogoro आए साथ
इस डील के तहत Hero MotoMotoCorp जहाँ भारत में Gogoro की तकनीक की मदद से इलेक्ट्रिक स्कूटरों का निर्माण करेगा वहीं Gogoro पूरे देश के शहरों में अपने बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करेगा।
इस बात में कोई शक नहीं कि आने वाला भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का ही है और भारत जैसे देश में जहाँ आबादी और वाहन दोनों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है, वाहन ये इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक बेशक क्रांतिकारी साबित हो सकती है, जिसकी झलक अब दिखने भी लगी है।
आलम यह है कि न सिर्फ़ दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियाँ बल्कि Tesla जैसी दिग्गज़ इलेक्ट्रिक कार निर्माता भी अब भारत का रूख कर रहें हैं।
लेकिन भारत में अभी इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति की राह में जो सबसे बड़ी अड़चन है वह है चार्जिंग स्टेशनों के बुनियादी ढांचे की कमी। और Gogoro की बैटरी-स्वैपिंग स्टेशनों के निर्माण का काम अगर सही ढंग से हो पाता है तो बेशक यह भारत के लिए अपने इलेक्ट्रिक वाहन के सफ़र में एक अहम पड़ाव साबित होगा।
आपको बता दें Gogoro असल में अपने काम बैटरी ख़र्च करने वाले छोटे इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं बल्कि Gogoro के स्कूटर्स स्वैपेबल बैटरी द्वारा संचालित किए जाते हैं, जिसको वाहन मालिक एक विशेष वेंडिंग मशीन के आकार वाले सार्वजनिक स्टेशनों पर बदल सकते हैं।
पहला Gogoro स्मार्टस्कूटर 2015 में लॉन्च किया गया था। तब से इसने अपने अपनी तकनीक के साथ इलेक्ट्रिक स्कूटर बनाने के लिए Yamaha, PGO और A-Motor जैसी निर्माता कंपनियों से साझेदारी की है।
इस बात में कोई शक नहीं है कि Gogoro के लिए भारत में अपनी शुरुआत के लिए Hero MotoCorp सबसे बेहतर साझेदारों में से एक है। भारत में Hero MotoCorp ब्रांड के दशकों के विश्वास और छोटे बड़े अधिकतर शहरों में फैले व्यापाक नेट्वर्क का Gogoro को काफ़ी फ़ायदा मिल सकता है।
Gogoro & Hero MotoCorp: कैसे रखी जाती है बैटरी स्टेशन पर नज़र?
आपको बता दें Gogoro की की बैटरी और चार्जिंग स्टेशन इसकी Gogoro Network क्लाउड सर्विस सेवा से जुड़े रहते हैं, जो बैटरी की स्थिति पर नज़र रखता है और यह बताता है कि वे कितनी जल्दी चार्ज होते हैं।
इसके साथ ही Gogoro Network यह भी बताता है कि किन क्षेत्रों में बैटरी-स्वैपिंग स्टेशनों की माँग अधिक है? लेकिन माना ये जा रहा है कि शुरुआत में भारत में Gogoro फ़िलहाल Hero MotoCorp के मार्गदर्शन में ही ये तय कर सकता है कि शुरुआती कुछ बैटरी स्टेशनों का निर्माण किन-किन शहरों में किया जाए?