दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 20 अप्रैल को तमाम इंटरनेट सर्च इंजन जैसे Google, Yahoo Search, Microsoft Bing, DuckDuckGo आदि को ग्लोबल स्तर पर भारतीय नागरिकों (विशेषकर महिलाओं) की आपत्तिजनक तस्वीरों को अपने अपने सर्च इंजन से हटाने (डी–इंडेक्स) करने का निर्देश दिया है।
असल में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के तहत कई भारतीय महिलाओं की तस्वीरों को आपत्तिजनक तरीक़े से Instagram, Facebook आदि के ज़रिए हासिल करके इंटरनेट पर तमाम जगह अपलोड किया गया है, जैसे पोर्नोग्राफ़ी साइट्स आदि, और इसलिए कोर्ट ने अब इंटरनेट सर्च कंपनियों को ऐसी तस्वीरों को इंटरनेट से हटाने का आदेश दिया है।
Delhi High Court का कड़ा रूख
इतना ही नहीं बल्कि दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अपने इस आदेश में सख़्त रूप से कहा है कि सर्च इंजन अगर इन निर्देशों का पालन करने में विफल साबित होते हैं, तो भारतीय आईटी नियमों के अनुसार उन पर दंड भी लगाया जा सकता है।
इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली पुलिस को भी ये निर्देश दिया है कि वह इन तमाम कंपनियों को पोर्नोग्राफ़ी साइट्स व इंटरनेट पर अन्य जगह अपलोड की गई आपत्तिजनक तस्वीरों आदि की जानकारी प्रदान करें ताकि ये कंपनियों आदेश के अनुसार उनको हटा सकें।
जिसके साथ ही अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के जज अनूप जयराम भंबानी ने ये भी लिखा कि सर्च इंजन जैसे Google Search, Yahoo Search, Microsoft Bing आदि को ऑटोमेटिक टूल्स का इस्तेमाल करके ये प्रयास करने चाहिए कि ग्लोबल स्तर पर ऐसे आपत्तिजनक कंटेंट की पहचान करके उनको इंटरनेट पर फैलने या अन्य साइट पर अपलोड करने आदि से रोका जाना चाहिए।
असल में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कनाडाई सुप्रीम कोर्ट में Google Inc. और Equustek Solutions Inc. et al के बीच चले केस का हवाला देते हुए कहा कि ग्लोबल स्तर पर आपत्तिजनक कंटेंट की डी-इंडेक्सिंग मतलब उनको हटाने के लिए Google को केवल अपने सर्च इंजन में कुछ बदलाव करने होंगें, न की बहुत ज़्यादा कुछ। और उस केस के दौरान Google ने भी ये बात स्वीकार की थी।
दिलचस्प रूप से दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि Google पहले से ही अपने सर्च इंजन पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी और हेट स्पीच जैसी लिंक को रोकने के लिए ऑटोमेटिक टूल्स का इस्तेमाल करता है। और ऐसे हाई टूल्स को आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे उठा मामला?
आपको बता दें ये मसला तब चर्चा का विषय बना जब एक महिला द्वारा उसकी अनुमति के बिना पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों पर पोस्ट की जा रही उसकी निजी तस्वीरों को लेकर एक शिकायत दर्ज की गई।
अदालत को यह भी बताया गया कि असल फ़ोटो आपत्तिजनक नहीं थे। लेकिन एक अश्लील प्लेटफ़ॉर्म पर उन तस्वीरों के बिना किसी मंज़ूरी या सहमति के पोस्ट किया गया, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत एक गंभीर अपराध है।