एलॉन मस्क SpaceX और Tesla के अलावा भी कई अनोखी कंपनियों के मालिक हैं, जिनमें से एक Neuralink है। ये कंपनी असल में एक असली ब्रेन-मशीन इंटरफ़ेस बनाने की दिशा में काम कर रही है, जिसके ज़रिए लोग बिना हाथों का इस्तेमाल किए सिर्फ़ सोच कर ही कई काम कर सकें।
और काफ़ी समय से Neuralink इस ब्रेन-मशीन इंटरफ़ेस तकनीक की टेस्टिंग एक बंदर पर कर रहा है, और उस 9 साल के बंदर का नाम Pager है।
लेकिन 9 अप्रैल को Neuralink ने YouTube पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसको कंपनी के मालिक एलॉन मस्क ने भी पहले Twitter पर शेयर किया।
इस वीडियो में 9 वर्षीय बंदर, Pager एक वीडियो गेम MindPong खेलते हुए नज़र आ रहा है। लेकिन ये ख़ास इसलिए है क्योंकि Pager इस गेम को बिना किसी फ़िज़िकल कोंट्रोलर के सिर्फ़ अपने दिमाग़ के सहारे कंट्रोल करके खेल रहा है।
हैरान मत होइए, Neuralink का मक़सद ही यही है कि उसकी टेक्नोलॉजी के सहारे कंप्यूटर्स को सीधे दिमाग से कंट्रोल किया जा सके।
असल में वीडियो में दिख रहा Pager अपने दिमाग से सिग्नल भेजकर वीडियो गेम खेल रहा है। ये बंदर के सिर में किए गए ट्रांसप्लांट की वजह से संभव हो पाया है।
सही समझ रहे हैं आप, Neuralink ऐसी ही डिवाइस बनाने की कोशिश कर रहा है, जिसे दिमाग में इंप्लांट किया जा सकेगा और उसकी मदद से ही सब सम्भव हो सके।
कैसे Pager ने किया Neuralink डिवाइस का इस्तेमाल?
आपको बता दें Pager के साथ इस वीडियो को शूट करने से करीब छह हफ़्ते पहले इसके दिमाग़ में डिवाइस को इंप्लांट किया गया था।
इसके लिए Pager को पहले तो फ़िज़िकल कोंट्रोलर यानि जॉयस्टिक की मदद से ऑन-स्क्रीन गेम खेलना सिखाया गया, और वह वैसे खेलता भी रहा। लेकिन फिर न्यूरालिंक इंप्लांट के बाद जॉयस्टिक कंप्यूटर से डिस्कनेक्ट कर दी गई। और क्योंकि Pager गेम पहले से खे रहा था, तो उसने अपने दिमाग़ में उस गेम को खेलने का तरीक़ा सोचना जारी रखा और ये सोचता जैसे जो फ़िज़िकल कोंट्रोलर के सहारे ही गेम कंट्रोल कर रहा है, लेकिन असल में वह अपने दिमाग से संकेत देकर गेम खेल रहा था।
कंपनी ने आधिकारिक बयान में बताया कि Neuralik तकनीक के ज़रिए Pager नामक एक मकाउ बंदर कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख रहे कर्सर को न्यूरल ऐक्टिविटी के संकेत के ज़रिए मूव कर सकता है। इस काम के लिए कंपनी के अनुसार 1024 फुली-इंप्लांटेड न्यूरल रिकॉर्डिंग और डाटा ट्रांसमिशन डिवाइस का इस्तेमाल किया गया।
इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ उन व्यक्तियों को हो सकता है, जो पैरालिसिस जैसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं, लेकिन इसके सहारे वह अपनी उंगलियों की मदद के बिना भी फोन या कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सकेंगें।
आप इस वीडियो को यहाँ देख सकते हैं;