YouTube क्रीएटर्स के लिए अक्सर ही कॉपीराइट क्लेम एक सबसे दर्द भला मसला होता है। और कंपनी ने अब इस दर्द को कम करने का सोचा है। इसी कड़ी में अब YouTube ने अपना Checks टूल लॉन्च किया है।
असल में कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि क्रिएटर्स अनजाने में कोई वीडियो, ऑडियो आदि का इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसके चलते बाद में उन्हें कॉपीराइट क्लेम का सामना करना पड़ता है, और कई बार तो उनके चैनल के ब्लॉक होने तक की नौबत आ जाती है।
लेकिन अब YouTube Checks नामक इस नए टूल के ज़रिए क्रीएटर्स को एक बड़ी राहत मिलने वाली है। ये टूल वीडियो अपलोड होते वक्त ही आपको चेक करके बता देगा कि क्या आपके वीडियो में किसी तरह का कॉपीराइट क्लेम आने या नियमों के उल्लंघन का ख़तरा तो नहीं है?
कैसे काम करेगा YouTube Checks टूल?
जी हाँ! YouTube Checks टूल अपलोड किए गए वीडियो में से कॉपीराइटेड कंटेंट को चेक करने के लिए आपने पूरे कंटेंट को स्क्रीन करेगा, और फिर ये क्रिएटर्स को किसी भी संभावित कॉपीराइट क्लेम को लेकर चेतावनी का एक मैसेज/नोटिफ़िकेशन दे देगा।
और इस तरह से अगर क्रीएटर को कोई कॉपीराइट क्लेम आ सकने की चेतावनी मिलती है तो वह उस कंटेंट में से उस विवादित हिस्से या वीडियो को पब्लिश करने से पहले ही टेकडाउन कर सकता है।
YouTube Checks टूल असल में कंटेंट ID का इस्तेमाल करके क्रिएटर के वीडियो को दूसरे राइट होल्डर के साथ मैच करने के लिए करेगा। इस प्रॉसेस में अगर कंटेंट का कोई हिस्सा कॉपीराइट के चलते प्रभावित होने की स्थिति में होगा तो टूल क्रिएटर को नोटिस दिखाएगा।
इसके बाद ज़ाहिर तौर पर क्रीएटर के पास उस कंटेंट में से वो हिस्सा हटाने या एडिट करने का विकल्प दिया जाएगा।
और इतना ही नहीं बल्कि क्रीएटर्स को इस मैसेज के साथ ही ‘See Details’ और ‘Request Review’ जैसे विकल्प भी मिल सकेंगें।
इसके साथ ही इस नए टूल क्रिएटर्स को एक और आसानी होगी, क्योंकि उनको ये वीडियो पब्लिक में पब्लिश होने से पहले ही पता चल सकेगा कि उनका कंटेंट YouTube मॉनिटाइजेशन (पैसे की कमाई) के सभी जरूरी नियमों का पालन करता है या नहीं?
असल में आपमें से कई लोग शायद ये जानते होंगे की किसी सेंसिटिव या कॉपीराइट क्लेम संभावित वीडियो पर ‘हरे’ के बजाए ‘पीला डॉलर आइकन’ दिखने लगता है, मतलब उस वीडियो से क्रीएटर शायद उतना पैसा ना कमा सके।
क्यों ऐसे टूल्स पेश कर रहा है YouTube?
असल में ये तमाम मुद्दे YouTube पर क्रीएटर्स को काफ़ी परेशान करते हैं, और एक ऐसे वक़्त में जब इंटरनेट पर क्रीएटर्स के लिए कंटेंट से पैसे कमाने के लिए Facebook वीडियो आदि जैसे तमाम प्लेटफ़ॉर्म व विकल्प मौजूद हैं, तो ऐसे में YouTube समझता है कि उसको क्रीएटर्स के लिए मॉनिटाइजेन की प्रक्रिया को आसान बनाना ही होगा, ताकि वीडियो कंटेंट क्रीएटर प्लेटफ़ॉर्म के नियमों से परेशान न हों और आसानी से पैसे कमाने का विकल्प हासिल कर सकें।