Future Group को एक बड़ा झटका देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को Future Retail और Reliance Industries के बीच हुए ₹24,713 करोड़ के अधिग्रहण संबंधित सौदा पर रोक लगा दी है।
जी हाँ! दिल्ली हाईकोर्ट ने Future Retail को निर्देश दिया है कि वह इस सौदे को लेकर आगे कोई भी क़दम ना बढ़ाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी माना है कि कंपनी ने सिंगापुर के नियामक के आदेश का उल्लंघन किया है।
इसके साथ ही Future Group और कंपनी के डायरेक्टर्स को अदालत की ओर से पीएम राहत कोष में ₹20 लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया गया है, जिसका इस्तेमाल बीपीएल श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों को कोविड-19 वैक्सीन प्रदान करने में किया जाएगा।
इस मामले में और भी सख़्त क़दम उठाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी के सीईओ किशोर बियानी और Future Group से संबंधित अन्य लोगों की संपत्तियों को भी अटैच करने का निर्देश दिया है।
साथ ही किशोर बियानी समेत अन्य को 28 अप्रैल को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इन तमाम लोगों को एक शो-कॉज़-नोटिस देते हुए ये पूछा है कि आपातकाल रूप से किसी नियामक द्वारा दिए गए आदेश का उल्लंघन करने के लिए उन्हें सिविल जेल में 3 महीने तक की हिरासत में क्यों ना रखा जाए?
असल में दिल्ली हाईकोर्ट का ये आदेश 25 अक्टूबर, 2020 को सिंगापुर के सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) द्वारा दिए गए एक आदेश को न मानने के संबंध में Amazon द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान आया है।
असल में सिंगापुर के इस नियामक ने Amazon की अपील पर Reliance Industries और Future Retail के बीच हुए क़रीब ₹24,713 करोड़ के अधिग्रहण संबंधित डील पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
ज़ाहिर है ये फ़ैसला सीधे तौर पर Future Group के लिए एक बड़ा झटका है, जो 1,700 से अधिक स्टोर्स के साथ देश का दूसरा सबसे बड़ा रिटेलर कहा जाता है, और इसने पिछले साल ही Reliance को अपना कारोबार बेचने का ऐलान किया था।
क्या है Future-Reliance Vs Amazon विवाद?
पिछले साल अगस्त में Reliance ने Future Group के अधिग्रहण को लेकर एक सौदा किया था, जिसके तहत कंपनी ने Future Retail व इसके अन्य व्यवसायों को क़रीब ₹24,713 करोड़ में Reliance ख़रीदने जा रहा था।
लेकिन इस पर Amazon ने आपत्ति जताते हुए Future Group को एक कानूनी नोटिस दिया भेजा था। असल में Amazon ने 2019 में Future Retail के प्रमोटर-यूनिट Future Coupons में 49% हिस्सेदारी ख़रीदी थी। इस डील की शर्त यह थी कि Amazon को 3 से 10 साल की अवधि के बाद Future Retail की हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार होगा।
कथित रूप से एक शर्त ये भी थी कि Future Retail में Amazon की कुछ प्रतिस्पर्धी कंपनियाँ जैसे Reliance आदि कोई हिस्सेदारी नहीं ख़रीद सकती हैं।
पर इस दौरान COVID-19 आदि के चलते कर्ज में दबे Future Group के मालिक किशोर बियानी ने अपने खुदरा स्टोर, थोक और लाजिस्टिक्स कारोबार Reliance Retail को बेचने का मन बना लिया। और इस डील के तय होने के बाद अपनी पुरानी शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए Amazon ने इसको चुनौती देने का मन बनाया है।
इस कड़ी में अक्टूबर 2020 में Amazon ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) में Reliance के साथ हुए Future Group के सौदे पर रोक लगाने को लेकर याचिका दी थी, जिसके बाद SIAC ने इस डील पर कोर्ट लगा दी थी।
इसके बाद Reliance और Future Retail ने ये कहा कि उन्होंने सभी भारतीय क़ानूनों का पालन करते हुए ही ये डील की है और इसलिए इसको तय समय पर ही पूरा करेंगें।
इसके बाद जहाँ एक ओर इस डील को SEBI, BSE आदि कुछ भारतीय नियामकों की मंज़ूरी मिलती रही, वहीं Amazon की एक याचिका के जवाब में दिल्ली हाई कोर्ट के एक फ़ैसले के तहत पहले इस डील को रोक दिया गया था, लेकिन उसके बाद अन्य जजों की बेंच ने इस डील को मंज़ूरी दे दी थी। जिसके बाद Amazon ने सुप्रीम कोर्ट का भी रूख किया।
जिसके बाद 23 फ़रवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फ़ैसले को पलटे हुए Future Retail और Reliance के बीच हो रही डील पर रोक लगा दी थी। और अब दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए फिर से इस डील को रोक दिया है।
वहीं Future Group के संस्थापक किशोर बियानी ने इसके पहले यह भी तर्क दिया था कि Future Group पिछले कुछ महीनों में क़रीब आठ बार Amazon से वित्तीय मदद मांगने पहुंचा था, लेकिन उसने कोई सहायता नहीं दी। इसके बाद ही Reliance के साथ डील का फ़ैसला किया गया था।