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एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन हटाए बिना करेंगें, भारत के नए ट्रेसेब्लिटी नियमों के समाधान का प्रयास: WhatsApp

WhatsApp-Traceability

भारत सरकार ने 25 फ़रवरी को वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्मों और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों जैसे WhatsApp, Facebook, Twitter आदि के लिए देश में नई गाइडलाइंस पेश की थी, जिसके तहत इन प्लेटफ़ॉर्मों को नए ट्रेसेब्लिटी (Traceability) नियमों का भी पालन करने के लिए कहा गया है।

नए नियम के अनुसार देश की सुरक्षा और संप्रभुता और अन्य कई गंभीर तरह के अपराधों से संबंधित पोस्ट आदि के बारे में कुछ चुनिंदा जानकारी जैसे ‘उस पोस्ट की शुरुआत किसने की?’, आदि माँगे जाने पर प्लेटफ़ॉर्म को सरकार को ये बताना होगा।

इसको लेकर सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले प्लेटफ़ॉर्म हैं, मैसेजिंग ऐप जैसे WhatsApp, Telegram, Signal आदि। असल में इन तमाम प्लेटफ़ॉर्मों की ख़ासियत ये ही रही है कि इनमें यूज़र्स की प्राइवेसी के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन मौजूद होता है। (हालाँकि WhatsApp इसको लेकर विवादों में रहा है।)

आसान भाषा में बताएँ तो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का मतलब होता है कि प्लेटफ़ॉर्म को चलाने वाली कंपनी ख़ुद ये नहीं जान सकती कि कौन सा यूज़र किसको, कब और क्या मैसेज कर रहा है। (हाँ! कम से कम अब तक आधिकारिक तौर पर तो ये कंपनियाँ यही दावा करती हैं।)

क्या Traceability के चक्कर में ख़त्म होगा Encryption?

नए नियमों के आने से जानकारों के बीच ये चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या सरकार के इन नए ट्रेसेब्लिटी (Traceability) नियमों को मानने के लिए ये मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म अपने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन फ़ीचर से समझौता करेंगें?

लेकिन अब इसको लेकर दुनिया के सबसे लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp ने भारतीय लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश की है।

असल में WhatsApp के प्रमुख विल कैथार्ट (Will Cathcart) ने कहा है कि वह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को हटाए बिना प्लेटफॉर्म पर सरकार के लागू होने वाले नए ट्रेसेब्लिटी आदि नियमों का समाधान हासिल करने की की उम्मीद कर रहे हैं।

उन्होंने पत्रकार Alex Kantrowitz के साथ अमेरिकी पॉडकास्ट के दौरान भारत के नए नियमों को लेकर पूछे गए एक सवाल के संदर्भ में ये बयान दिया है।

पहले से उठ रही है सरकार द्वारा WhatsApp Traceability की माँग

असल में पिछले दो सालों से भारत सरकार लगातार ये ज़ोर देकर कह रही थी कि WhatsApp के ज़रिए लगातार भ्रामक और हिंसात्मक मैसेज वायरल किए जाते हैं और इसलिए ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ उचित कार्यवाई हो सके इसके लिए प्लेटफ़ॉर्म को ऐसे वायरल मैसेज से स्रोत का खुलासा करना चाहिए। ख़ासकर अगर उस मैसेज की वजह से कोई हिंसा या ग़ैर-क़ानूनी घटना होती है तो!

लेकिन इसके बाद भी Facebook के मालिकाना हक़ वाला ये प्लेटफ़ॉर्म लगातार ही अपने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का हवाला देते हुए इस शर्त को मानने से इनकार कर रहा था।

लेकिन अब सरकार के नए नियमों के बाद जब Facebook और WhatsApp को भी साफ़ हो गया है कि अपने सबसे बड़े बाज़ारों में से एक में काम करते रहने के लिए इन नियमों को मानना ही पड़ सकता है, ऐसे में कंपनियों ने इसके सोल्यूशन को लेकर चिंता शुरू कर दी है।

और पहली बार इसका सोल्यूशन खोंजने की बात मानते हुए WhatsApp की ओर से कोई ऐसा बयान आया है।

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Traceability मुद्दे पर WhatsApp हेड, Will Cathcart

इसके साथ ही Will Cathcart ने कहा;

”हम एन्क्रिप्शन के मुद्दे पर पहले से ही भारत में कोर्ट केस लड़ रहे हैं। हमनें इसको लेकर सरकार को समझाया भी है और अभी भी उन्हें इसके पहलुओं को समझाने का प्रयास कर रहें हैं कि आख़िर क्यों हमें इसके बारे में चिंता है, और हम क्यों इस पर अड़े हुए हैं?”

“हमें उम्मीद है कि हम एन्क्रिप्शन से छेड़छाड़ किए बिना इसका सामाधन ढूँढ सकेंगें। हम ये मानते हैं कि ट्रेसेब्लिटी का मुद्दा बड़े पैमाने पर “गलत सूचना” के प्रसार के कारण सामने आया है।”

असल में Will Cathcart से पूछा गया था कि क्या वह भारत में एन्क्रिप्शन को ख़त्म कर देंगे या फिर देश में अपनी सेवाएँ बंद कर देंगे?

इसके जवाब में, उन्होंने कहा कि कंपनी अभी भी नए कानूनों के सटीक अर्थ को समझने की कोशिश कर रही है और WhatsApp हमेशा से ही एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को लेकर प्रतिबद्ध है।

आपको बता दें सरकारी आँकड़ो के अनुसार भारत में WhatsApp के 530 मिलियन उपयोगकर्ता हैं। और बीते कुछ समय से ये मैसेजिंग प्लेटफॉर्म अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर विवादों से घिरा हुआ है। अब देखना ये है कि इन सब के बीच कैसे कंपनी सरकारी नियमों के पालन के साथ ही साथ उपयोगकर्ताओं को प्राइवेसी को लेकर आश्वस्त कर पाती है?

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