सोशल मीडिया दिग्गज़ फेसबुक (Facebook) ने मंगलवार (9 मार्च) को अपने मुख्य प्लेटफॉर्म यानि Facebook App पर भी शॉर्ट फॉर्म वीडियो Reels के आधिकारिक लॉन्च का ऐलान किया है।
दिलचस्प ये है कि ये फीचर पिछले साल से भारत में टेस्ट किया जा रहा था। ऐप पर इस नए फीचर को अब “Facebook Reels” कहा जाता है। लेकिन फ़िलहाल कंपनी के अनुसार वह शुरुआती चरण में कुछ चुनिंदा Instagram क्रीएटर्स को ही Facebook पर अपने Reels वीडियो शेयर करने की सुविधा देगी।
Facebook Reels India
जी हाँ! भारत पहला बाजार है, जहां इस फीचर को आशीष चंचलानी, पूजा ढींगरा, मास्टरशेफ पंकज भदौरिया, अवेज़ दरबार, बोंग गाय और कुछ प्रमुख सार्वजनिक हस्तियों जैसे सुरेश रैना, संजीव कपूर, हरभजन सिंह आदि के साथ टेस्ट किया जा रहा है।
ये टेस्टिंग केवल पब्लिक अकाउंट के साथ की जाएगी, जो जल्द ही इस फीचर को ऑप्ट-इन करने का विकल्प हासिल करेंगें। साथ ही प्लेटफ़ॉर्म पर इन वीडियो को उपयोगकर्ताओं की पसंद के अनुसार उन्हें दिखाया जाएगा।
ख़ास ये है कि प्लेटफ़ॉर्म यूज़र्स इन वीडियो को Facebook ऐप पर भी क्रीएटर्स के Instagram Username के साथ देख पाएँगें।
कंपनी का मानना है कि इसके ज़रिए क्रीएटर्स को अपने कंटेंट को नए दर्शकों तक पहुँचाने में मदद मिलेगी। लेकिन ज़ाहिर है इसके ज़रिए कंपनी भविष्य में प्लेटफ़ॉर्म पर संभावित रूप से पैसे कमाने के अवसर भी तलाश सकती है।
असल में पिछले साल नवंबर में, Instagram के प्रमुख एडम मोसेरी ने CNBC को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वह Reels में विज्ञापन लाने की योजना बनाते हैं। लेकिन इतना ज़रूर है कि ऐसा कब तक किया जाएगा> इसको लेकर उन्होंने कोई ख़ास जानकारी साझा नहीं की थी।
असल मीन TikTok के भारत में बैन होने के बाद से ही बड़ी बड़ी मौजूदा सोशल मीडिया कंपनियों ने शॉर्ट वीडियो बाज़ार का रूख किया है और अभी फ़िलहाल वह इस बाज़ार में तेज़ी से बढ़ती प्रतिद्वंदिता के बीच अधिक से अधिक हिस्सेदारी या आसान भाषा में कहें तो उपयोगकर्ता हासिल करना चाहते हैं।
भारत में इस क्षेत्र में MX Player का TakaTak, Glance का Roposo, Dailyhunt का Josh, ShareChat का Moj और YouTube Shorts तक तेज़ी से उभर रहे हैं।
अब देखना ये है कि Facebook भारत में अपने प्लेटफ़ॉर्म पर इस नए फ़ीचर का विस्तार किस तरीक़े से करेगा?
हाल ही में आए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म को लेकर आए नए सरकारी नियमों के बाद अब कंपनियाँ उन फ़ीचर पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहती है, जो बिना ज़्यादा विवाद के विस्तार की संभावनाएँ रखते हों!