कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने देश में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों (OTT Platforms) जैसे Netflix, Prime Videos, Zee5 आदि के लिए नई गाइडलाइंस या कहें तो नियम पेश किए थे। लेकिन अब इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक सख़्त टिप्पणी की है।
असल में सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर बनाए गए नए नियमों पर देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ये नियम नाकाफी है और क्योंकि इनमें किसी भी प्रकार की सजा या जुर्माने का ज़िक्र नहीं है इसलिए ये ऐसे हैं जैसे बिना दांत और नाखून वाला शेर।
इस बीच विवादित वेब सीरीज़ “तांडव (Tandav)” को लेकर सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने Amazon Prime India की प्रमुख अपर्णा पुरोहित को गिरफ्तारी से राहत दी है।
बता दें यूपी पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक एफ़आईआर में इस वेब सीरीज़ में हिंदू देवी-देवताओं को लेकर भावनाओं को आहात करने की शिकायत दर्ज की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यूपी सरकार को एक नोटिस जारी करते हुए, अपर्णा की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार को वेब सीरीज तांडव के लिए लखनऊ में दर्ज एफआईआर की जांच में अपर्णा से सहयोग करने के लिए कहा है।
Supreme Court on OTT Platforms
इसके पहले गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की थी, जिस दौरान कोर्ट ने कहा था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट प्रसारित किए जा रहे हैं, जिनकी स्क्रीनिंग होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि टीवी आदि की तरह भी इसको लेकर संतुलन बनाने की जरूरत है।
दिलचस्प ये है कि नियमों के कमजोर होने की कोर्ट की टिप्पणी पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी सहमति ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा है कि नए नियम ओटीटी प्लेटफॉर्म को सेल्फ़-रेगुलेशन का मौक़ा देने के मकसद से बनाए गए हैं। लेकिन उन्होंने ये भी माना कि बिना किसी जुर्माने और दंड के प्रावधान के इन नियमों का कोई मतलब नहीं रह जाता है। तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अगले दो सप्ताह में ड्राफ्ट कानून कोर्ट में पेश किया जाएगा।
याद दिला दें कि Amazon Prime Video ने 2 मार्च) को वेब सीरीज़ ‘तांडव’ (Tandav) को लेकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए आधिकारिक रूप माफ़ी माँगी थी।
सरकार द्वारा वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं (OTT Platforms) के लिए जारी आचार संहिता (Code of Ethics) और सेल्फ़-रेगुलेशन नियमों का मसौदा असल में Information Technology (Guidelines for Intermediaries and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 का हिस्सा है।
दिलचस्प ये है कि इस मसौदे के तहत जहाँ एक तरफ़ सरकार ने सेल्फ़-रेगुलेशन नियमों को मंज़ूरी दी, वहीं सरकार ने शिकायतों के निवारण के लिए के तीन लेवल का स्ट्रक्चर बनाते हुए OTT प्लेटफ़ॉर्मों पर सरकारी पकड़ मज़बूत कर ली है। इसके तहत हर एक कंपनी के पास सेल्फ़-रेगुलेशन को लेकर सिर्फ़ एक लेवल होगा।
New OTT Platforms Guidelines
नए मसौदे के तहत, दूसरे लेवल में एक सेल्फ़-रेगुलेशन बॉडी होगी, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट या सप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगें। इन जजों की नियुक्ति सरकार के मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए एक पैनल द्वारा की जाएगी और उनके साथ ही इस बॉडी में छह अन्य सदस्य भी होंगें, जो मीडिया, प्रसारण, प्रौद्योगिकी और मनोरंजन क्षेत्र के विशेषज्ञ हो सकते हैं।
वहीं आख़िरी लेवल यानि तीसरे लेबल में एक निगरानी तंत्र होगा, जहां सरकार एक अधिकृत अधिकारी को नामित करेगी, जिसके पास कंटेंट के इस्तेमाल पर बैन लगाने की पावर होगी।
इसके साथ ही कंटेंट को आयु, संदर्भ, विषय, स्वर और प्रभाव के आधार पर बाँटे जाने की बात कही गई है। और इन सभी वर्गीकरणों को कंटेंट में प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा।
वहीं आयु वर्गीकरण में Universal Rating (U), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और Adult श्रेणियाँ शामिल हैं।
वहीं कंटेंट के थीम को हिंसा, नग्नता, सेक्स, भाषा, ड्रग और मादक द्रव्यों के सेवन, डर आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।