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WhatsApp ‘प्राइवेसी पॉलिसी’ मामलें को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में अप्रैल तक के लिए टली सुनवाई!

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दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी (WhatsApp Privacy Policy) केस को लेकर चल रही सुनवाई को अब आगे के लिए टाल दिया है। आपको बता दें ये इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप पहले ही अपनी इस विवादित प्राइवेसी पॉलिसी को 15 मई से देश में लागू करने का ऐलान कर चुकी है।

आपको बता दें दिल्ली हाईकोर्ट ने इस सुनवाई के लिए अगली तारीख़ 19 अप्रैल तय की है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की एक जज की बेंच ने केंद्र सरकार को इस संदर्भ में स्थिति को बताते हुए एक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर जवाब देने के लिए सरकार को थोड़ा और समय देने पर सहमति जताई है। आपको बता दें अदालत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व वकील कीर्तिमान सिंह ने किया।

उन्होंने सरकार की ओर से अदालत को बताया कि सरकार इस संदर्भ में कंपनी की ओर से कुछ स्पष्टीकरण प्राप्त करने की प्रक्रिया में है और इसलिए उन्हें इस पर विचार करने के लिए समय चाहिए।

साथ ही सरकार की ओर से प्रस्तुत वकील ने अदालत को बताया कि WhatsApp की नई प्राइवेसी अपडेट को लेकर कुछ ऐसी ही याचिका के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही नोटिस जारी कर चुका है।

आपको याद दिला दें दिल्ली हाईकोर्ट में इसके पहले इसी याचिका की सुनवाई में केंद्र सरकार ने अदालत को कहा था कि अदालत को इस बात पर भी ग़ौर करना चाहिए कि WhatsApp अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के संबंध में भारतीय लोगों के साथ भेदभाव कर रहा है।

असल में सरकार का इशारा इस ओर था कि WhatsApp की नीतियाँ यूरोपीय देशों में अपने यूज़र्स के लिए अलग हैं और भारत में अलग।

दिलचस्प ये है कि बीते कुछ समय से केंद्र सरकार पहले ही डेटा प्रोटेक्शन बिल (Data Protection Bill) को लेकर आक्रामकता से काम कर रही है। और सरकार नए डेटा प्रोटेक्शन बिल को लेकर WhatsApp से भी इनपुट मांग रही है।

लेकिन सरकार ने बार बार कोर्ट में कहा है कि इस नई पॉलिसी अपडेट को लेकर उसकी सबसे बड़ी चिंता ये है कि WhatsApp ने इसको वैकल्पिक नहीं रखा है और यूज़र्स को इसको मानने के लिए बाध्य कर रही है।

आपको बता दें कोर्ट असल में WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट को रोकने संबंधी याचिका के संदर्भ में सुनवाई कर रहा है। ये याचिका वकील मनोहर लाल के माध्यम से चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की थी।

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ग़ौर करने वाली बात ये है कि याचिकाकर्ता वकील के अनुसार सरकार डेटा प्रोटेक्शन बिल लेकर तो आई है लेकिन इस बिल को कभी लागू नहीं किया गया।

प्राइवेसी पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट का रूख

इसके पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने प्राइवेसी पॉलिसी (Privacy Policy) मामले पर व्हाट्सएप (WhatsApp) और इस पर मालिकाना हक़ रखने वाली फेसबुक (Facebook) को एक नोटिस जारी किया है।

अपनी सुनवाई के दौरान देश की सर्वोच्च अदालत ने इस सुनवाई के दौरान कहा था कि भले व्हाट्सएप (WhatsApp) या फेसबुक (Facebook) 2-3 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी होंगी, लेकिन लोगों की प्राइवेसी इससे कहीं अधिक क़ीमती है, और देश के नागरिकों के प्राइवेसी संबंधी अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

याद दिला दें WhatsApp ने इसी साल जनवरी में अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी (Privacy Policy) जारी की थी, जिसके बाद से ही कंपनी इसको लेकर तमाम विवादों में घिरती चली गई।

अलाम ये रहा कि इसके लाखों उपयोगकर्ताओं ने इसके अन्य विकल्प जैसे Telegram और Signal आदि का रूख करते हुए प्लेटफ़ॉर्म को छोड़ना उचित समझा। इस बीच भले कंपनी ने फ़िलहाल के लिए मई 2021 तक इस प्राइवेसी पॉलिसी को टाल दिया हो, लेकिन ये इसके गले की फाँस बनी हुई है।

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