हाल ही ऑस्ट्रेलिया में नए क़ानूनों के तहत Google और Facebook को इनके प्लेटफ़ॉर्म पर News Publishers को न्यूज़ के बदले पैसे देने का आदेश दिया गया है। और इसके बाद से ही दुनिया भर के कई हिस्सों में इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है, जिसमें भारत भी शामिल हो चुका है।
जी हाँ! अब इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (Indian Newspaper Society या INS) ने Google India से कहा है कि देश के समाचार प्रकाशकों (News Publishers) को उनके कंटेंट के लिए विज्ञापन से हुई कमाई का 85% भुगतान किया जाए। तर्क वही और साफ़ सा है कि Google इन समाचार प्रकाशकों (News Publishers) के कंटेंट के ज़रिए ख़ुद के सर्च इंजन को बढ़ाता और उसके ज़रिए विज्ञापान राजस्व कमाता है।
यह माँग असल में INS के अध्यक्ष एल अदिमूलम ने Google India के कंट्री मैनेजर संजय गुप्ता को लिखे पत्र में की है। उन्होंने इस पत्र में लिखा है कि बड़ी टेक दिग्गज कंपनियों को रोज़ाना उनके प्लेटफ़ॉर्म पर जाने वाले समाचारों/ख़बरों के लिए भुगतान करना चाहिए, क्योंकि उन ख़बरों को इक्कठा करने, उनको वेरिफ़ाई करने और हजारों पत्रकारों को रोजगार देने में न्यूज़ पब्लिशर्स को काफ़ी ख़र्च करना पड़ता है।
Google vs News Publishers: क्या है वर्तमान स्थिति?
आपको बता दें फ़िलहाल Google द्वारा न्यूज़ पब्लिशर्स के साथ विज्ञापन से की गई कमाई को शेयर करने को लेकर कोई अनुपात स्पष्ट नहीं है।
इतना ज़रूर है कि पिछले साल जून में एक ब्लॉग में, Google ने ये दावा किया था कि न्यूज़ पब्लिशर्स को डिजिटल विज्ञापनों से हुई कमाई का 95% हिस्सा दिया जाता है। ये असल में उस कमाई की बात की जा रही है, जो अक्सर न्यूज़ पब्लिशर अपनी वेबसाइट पर Google Adsense जैसी कंपनी की सुविधाओं का इस्तेमाल कर अपनी वेबसाइटों पर विज्ञापन दिखा कर कमाते हैं।
ज़ाहिर है इस बात को मुख्य रूप से हवा इसी हफ्ते ऑस्ट्रेलिया की संसद ने “News Media and Digital Platforms Mandatory Bargaining Code”
नामक पास किए गए एक क़ानून की वजह से मिली है। इस नए क़ानून के तहत उस देश में Google और Facebook जैसी कंपनियों को न्यूज़ कंटेंट की वजह से कमाए गए राजस्व को स्थानीय न्यूज़ पब्लिशर्स के साथ साझा करना होगा।
आपको बता दें एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में भारत के ऑनलाइन विज्ञापन क्षेत्र में अकेले Google और Facebook की ही 68% हिस्सेदारी थी।
असल में एक सच ये भी है कि भारत में डिजिटल न्यूज़ वेबसाइटों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है और कहीं न कहीं लोगों ने प्रिंट अखबारों के बजाए डिजिटल माध्यमों को प्राथमिकता देना शुरू कर दी है।
और पिछले साल ही फैले कोविड-19 महामारी के चलते भारत में कई समाचार पत्रों की कमाई घटने के चलते सैकड़ों पत्रकारों को नौकरियों से हाथ तक धोना पड़ा था।
असल में कहा ये भी जाता है कि भले ऑफ़लाइन तरीक़े से इस क्षेत्र में कमाई में कमी आई हो, लेकिन डिजिटल विज्ञापनों के ज़रिए कमाई बीते कुछ सालों से तेज़ी से बढ़ रही है।
अब देखना ये है कि भारत में ये माँग कितनी प्राथमिकता से और कैसे उठाई जाती है और इसको लेकर इन वैश्विक टेक दिग्गज़ कंपनियों का क्या कहना होगा?