सरकार ने गुरुवार को वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं (OTT Platforms) के लिए आचार संहिता (Code of Ethics) और सेल्फ़-रेगुलेशन नियम जारी कर दिए हैं। ये मसौदा असल में Information Technology (Guidelines for Intermediaries and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 का हिस्सा है, जिसके बारे में सरकार जल्द ही विस्तार से सूचित कर सकती है।
दिलचस्प ये है कि इस मसौदे के तहत जहाँ एक तरफ़ सरकार ने सेल्फ़-रेगुलेशन नियमों को मंज़ूरी दी, वहीं सरकार ने शिकायतों के निवारण के लिए के तीन लेवल का स्ट्रक्चर बनाते हुए OTT प्लेटफ़ॉर्मों पर सरकारी पकड़ मज़बूत कर ली है। इसके तहत हर एक कंपनी के पास सेल्फ़-रेगुलेशन को लेकर सिर्फ़ एक लेवल होगा।
नए मसौदे के तहत, दूसरे लेवल में एक सेल्फ़-रेगुलेशन बॉडी होगी, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट या सप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगें। इन जजों की नियुक्ति सरकार के मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए एक पैनल द्वारा की जाएगी और उनके साथ ही इस बॉडी में छह अन्य सदस्य भी होंगें, जो मीडिया, प्रसारण, प्रौद्योगिकी और मनोरंजन क्षेत्र के विशेषज्ञ हो सकते हैं।
वहीं आख़िरी लेवल यानि तीसरे लेबल में एक निगरानी तंत्र होगा, जहां सरकार एक अधिकृत अधिकारी को नामित करेगी, जिसके पास कंटेंट के इस्तेमाल पर बैन लगाने की पावर होगी।
OTT Guidelines: कई मंत्रालयों की समिति बनेगी
इन सबके साथ ही मंत्रालयों के बीच भी एक अंतर-विभागीय समिति बनाई जाएगी, जिसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम और अन्य मंत्रालयों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
यह समिति समय-समय पर बैठक करेगी और आचार संहिता के उल्लंघन या उल्लंघन के बारे में आई शिकायतों को सुनेगी। इसके साथ ही ये किसी मामले का ख़ुद-ब-ख़ुद संज्ञान भी ले सकती है और या फिर मंत्रालयों के पास आई शिकायतों के संदर्भ में कार्यवाई कर सकती है।
सेल्फ़-रेगुलेशन बॉडी और इस मंत्रालयों की समिति के पास कंटेट को लेकर किसी प्लेटफ़ॉर्म को चेतावनी, सेंसरिंग, विशेषण या फटकार लगाने के अधिकार होंगें।
इसके साथ ही OTT प्लेटफार्मों को माफी माँगने के लिए भी कहा जा सकता है। इसके साथ ही इन प्लेटफ़ॉर्मों को कंटेंट के पहले चेतावनी कार्ड या डिस्क्लेमर डालने के लिए, कंटेंट को मॉडिफ़ाई करने के लिए या उसको हटाने के लिए भी कहा जा सकता है।
इसके साथ ही इन नई आचार संहिता के तहत अब OTT प्लेटफ़ॉर्म ऐसा कोई कंटेंट नहीं दिखा सकते हैं, जिसको किसी भी कानून के तहत बैन किया गया हो। इसके साथ ही उन्हें ऐसे कंटेंट को लेकर बेहद सावधानी और विवेक बरतने के लिए भी कहा गया है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित कर सकते हों या फिर देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बन सकते हों या फिर विदेशी देशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित कर सकते हों।
इसके साथ ही प्लेटफार्मों को भारत के बहु-नस्लीय और बहु-धार्मिक विविधता को भी ध्यान में रखने के लिए कहा गया है, ताकि किसी भी नस्लीय या धार्मिक समूहों की भावनाओं को लेकर अधिक सावधानी बरती जा सके।
OTT Guidelines: ऐसे होगा वर्गीकरण
इसके साथ ही कंटेंट को आयु, संदर्भ, विषय, स्वर और प्रभाव के आधार पर बाँटे जाने की बात कही गई है। और इन सभी वर्गीकरणों को कंटेंट में प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा।
वहीं आयु वर्गीकरण में Universal Rating (U), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और Adult श्रेणियाँ शामिल हैं।
वहीं कंटेंट के थीम को हिंसा, नग्नता, सेक्स, भाषा, ड्रग और मादक द्रव्यों के सेवन, डर आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
आपको बता दें इसके पहले इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने भी एक ‘Implementation Toolkit‘ जारी की है, जो असल में एक ऐसा दस्तावेज है जो ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफ़ॉर्म द्वारा सेल्फ़-रेगुलेशन (Self-Regulation) के लिए अपनाए जाने के लिए जारी किया गया था।