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बाइक रेंटल स्टार्टअप Bounce ने कम माँग के चलते की क़रीब 200 कर्मचारियों की छंटनी – रिपोर्ट

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पिछले साल कोविड-19 शुरू होने के क़रीब 11 महीने बाद अब बेंगलुरु आधारित बाइक शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म Bounce ने कम माँग का हवाला देते हुए, क़रीब अपने 40% – 60% कर्मचारियों की छंटनी कर दी है।

आपको बता दें पिछले साल से कंपनी द्वारा की गई ये दूसरी छंटनी है। ऐसा लगता है कि कंपनी अभी तक महामारी के असर से उभर नहीं पाई है।

इसके पहले भी Bounce ने की थी छंटनी

पिछले साल जून 2020 में Bounce ने 600 से अधिक लोगों को कंपनी में शामिल किया था, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन के चलते संचालन बंद होने के कारण लगभग 130 कर्मचारियों को कंपनी को निकालना पड़ा था।

और अब ईटी एक रिपोर्ट में ये सामने आया है कि अब कंपनी ने अपने कर्मचारियों की संख्या को क़रीब 200 और कम कर दिया है, आसान भाषा में लगभग 200 कर्मचारियों की छटनी कर दी है।

इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कंपनी ने निकाले गए कर्मचारियों को तीन महीने के वेतन की पेशकश की है। और साथ ही उन्हें 2021 के अंत तक सभी चिकित्सा लाभ भी प्रदान किए जाते रहेंगें।

Bounce के अनुसार कंपनी ने अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने कार्यबल की संख्या में बदलावों का फ़ैसला किया है और इसको लेकर क़दम उठा रहा है।

महामारी से बाद से ही कम हुई माँग

असल में कंपनी महामारी के पहले तक प्रतिदिन क़रीब 1.30 लाख सवारी बुकिंग प्राप्त कर रही थी, लेकिन कई रिपोर्ट में ये सामने आया कि महामारी के कारण कंपनी के सब्सक्रिप्शन और बाइक टैक्सी मॉडल दोनों में कुल क़रीब 15,000 सवारी प्रतिदिन की संख्या ही रह गई थी।

असल में कंपनी को महामारी के चलते सरकार द्वारा उठाए गए तमाम कदमों जैसे लॉकडाउन और अन्य गाइडलाइन की वजह से भारी नुक़सान झेलना पड़ा था। लेकिन ज़ाहिर है महामारी के दौरान वैसे क़दम उठाने के लिए सरकार भी मजबूर थी।

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लेकिन अपने नए प्लान के तहत Bounce ने अब 2021 की तीसरी तिमाही तक अपने वाहन बेड़े को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बेड़े में बदलने का मन बनाया है।

और इसी योजना के के चलते कंपनी अपने मूल डिजाइनों के आधार पर अपने बेड़े में 10,000 से अधिक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को जोड़ने की योजना बना रही है।

आपको बता दें कंपनी ने नवंबर 2020 में अपने रेट्रोफिटेड इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए सभी आवश्यक मंज़ूरियाँ प्राप्त कर ली थी और ऐसा करके वह भारत में प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला पहला उपभोक्ता-केंद्रित बाइक-शेयरिंग प्लेटफॉर्म बन गया था।

ख़ैर! अब देखना ये है कि पिछले साल काफ़ी बड़े नुक़सान से गुजरने वाले इस क्षेत्र को पूरी तरह से वापस ट्रैक पर आने में कितना समय लगेगा और इसको लेकर Bounce जैसी तमाम कंपनियों की क्या क्या रणनीति होंगी?

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