इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने आख़िरकार एक ‘Implementation Toolkit‘ जारी की है, जो असल में एक ऐसा दस्तावेज है जो ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफ़ॉर्म सेल्फ़-रेगुलेशन (Self-Regulation) के लिए अपनाएँगे।
दरसल ये क़दम दिलचस्प इसलिए है क्योंकि हाल में ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा कुछ समय पहले लाए गए ‘सेल्फ़-रेगुलेशन कोड’ (Self Regulation Code) को खारिज कर दिया गया था।
कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो मंत्रालय ने उस कोड को इसलिए ख़ारिच कर दिया था क्योंकि उसमें कथित रूप से प्रतिबंधित कंटेंट को लेकर कोई स्पष्ट वर्गीकरण नहीं किया गया था और किसी भी तरह की शिकायत के दूसरे चरण के निपटारे की ज़िम्मेदारी भी ख़ुद प्लेटफ़ॉर्म को ही दी गई थी।
असल में तमाम ओवर-द-टॉप (OTT) वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मों पर कई क़ानूनी मामले चल रहे हैं और कथित तौर पर भारत सरकार अब सभी लंबित मामलों को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करना चाह रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इसको लेकर एक स्थानांतरण याचिका 20 दिसंबर, 2020 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिवों व आईटी और कानून मंत्रालय के सचिवों के माध्यम से दायर की गई थी।
इतना ही नहीं बल्कि सरकार अब तेज़ी के साथ देश में तमाम OTT प्लेटफार्मों पर स्ट्रीम किए जाने वाले कंटेंट को रेगुलेट करने व सेंसरशिप के लिए दिशानिर्देश लाने को लेकर काम कर रही है।
असल में फ़िलहाल OTT प्लेटफ़ॉर्म देश के भीतर सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के नियामक ढांचे या आसान भाषा में कहें तो प्रत्यक्ष कंट्रोल के दायरे से बाहर हैं।
क्या है OTT Implementation Toolkit?
इस बीच नई पेश की गई Implementation Toolkit को लेकर गुरुवार को एक बयान में IAMAI ने कहा;
“इस टूलकिट का उद्देश्य ये है कि इसके ज़रिए तमाम इस क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए बनाए गए कोड के प्रस्तावित तमाम नियमों आदि को प्रोड्यूसर्स को प्रदान किया जाए ताकि वह कंटेंट आदि के संदर्भ में अपनी प्रतिबद्धताओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से समझते हुए सेल्फ़-रेगुलेशन से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकें।”
साथ ही IAMAI ने ये भी कहा कि ये दस्तावेज असल में मंत्रालय द्वारा हितों के टकराव और प्रतिबंधित कंटेंट को लेकर दी गई प्रतिक्रियाओं व मुद्दों को भी संबोधित करता है।
आपको याद दिला दें सूचना और प्रसारण मंत्रालय के मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया था कि OTT प्लेटफार्मों को संचालित करने के लिए दिशानिर्देश “लगभग तैयार” हैं।
इसके पहले नवंबर में इन प्लेटफार्मों को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के दायरे से हटा कर सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में कर दिया गया था।
असल में इस कोड (संहिता) में 17 हस्ताक्षरकर्ता की सहमति है, जिसमें देश के सभी प्रमुख स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं। इनमें ZEE5, Viacom 18 (Voot), Disney + Hotstar, Amazon Prime Video, Netflix, SonyLiv, MX Player, Jio Cinema, Eros Now, Alt Balaji, Arre, HoiChoi, Hungama, Shemaroo, Discovery Plus, Aha और Lionsgate Play शामिल हैं।
इसको लेकर IAMAI का कहना है कि ये Toolkit 10 फरवरी, 2021 से प्रभावी हो गई है। इसके लिए एक ‘सचिवालय’ का गठन किया जाएगा, जिसमें OTT प्लेटफार्मों और IAMAI के प्रतिनिधि होंगे, जो कोड के कार्यान्वयन या इसकी अनदेखी आदि जैसे मामलों पर नज़र रखेंगें।