Site icon NewsNorth

सरकार के निर्देश के बाद क़िसान आंदोलन से जुड़े “Twitter अकाउंट” और “YouTube वीडियो” हुए हटना शुरू

WhatsApp-Traceability

हाल ही में क़िसान आंदोलन के बीच भारत सरकार ने तमाम सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद कुछ कंटेंट व अकाउंट को लेकर आपत्ति जताई थी। इनमें सरकार के निशाने पर दो लोकप्रिय प्लेटफ़ॉर्म प्रमुखता से रहे, पहला Twitter और दूसरा YouTube, जिन्हें सरकार ने क्रमशः कुछ अकाउंट को बंद करने और कुछ वीडियो को हटाने के निर्देश दिए थे।

ऐसा माना जा रहा था कि अगर इन अमेरिकी कंपनियों ने सरकार के निर्देश को नहीं माना तो इन पर क़ानूनी कार्यवाई भी की जा सकती है। और अब ऐसा लगता है कि इन सोशल मीडिया दिग्गजों ने सरकार के निर्देश का पालन करना भी शुरू कर दिया है।

YouTube से पहले Twitter का क़दम

जी हाँ! असल में आज सामने आई ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ Twitter और भारत सरकार के बीच तथाकथित ‘पाकिस्तानी-खालिस्तानी’ मुद्दे को लेकर कुछ अकाउंट को बैन करने को लेकर बना गतिरोध अब ख़त्म होता नज़र आ रहा है, क्योंकि कंपनी ने सरकार द्वारा निर्देशित क़रीब आधे अकाउंट और ट्वीट हटा दिए हैं।

जी हाँ! आपको बता दें सरकार का आरोप था कि माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर कुछ अकाउंट पाकिस्तान व ख़ालिस्तानी समर्थकों द्वारा चलाए जा रहे हैं, जो कथित रूप से किसान आंदोलन के बीच फ़ेंक न्यूज़ और भड़काऊ कंटेंट फैलाने का काम कर रहें हैं।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से ये कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा 31 जनवरी को ‘farmer genocide’ नाम से हैशटैग चलाने वाले 257 Twitter अकाउंट को सरकार ने बंद करने के निर्देश दिए थे और अब तक कंपनी उनमें से 126 अकाउंट को हटा चुकी है।

वहीं इसके बाद 4 फ़रवरी को सरकार ने खालिस्तान की माँग करने वाले समर्थकों व पाकिस्तान द्वारा समर्थित 1,178 Twitter अकाउंट को देश की शांति व सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए हटाने की माँग की थी, और सूत्रों की मानें तो अब तक कंपनी उनमें से 583 अकाउंट को बंद कर चुकी है।

असल में Twitter ने ये फ़ैसला ऐसे वक़्त में लिया है जब सरकार ने इसको ऐसा न करने पर क़ानूनी कार्यवाई का सामना करने की चेतावनी तक दे डाली थी।

और इतना ही नहीं कंपनी को शायद एक और बात से चिंता हुई होगी, कि तेज़ी से सरकारी मंत्रालयों व अधिकारियों ने Twitter के स्वदेशी विकल्प Koo App में अकाउंट बनाने शुरू कर दिए हैं।

Twitter के बाद YouTube विवादों में

इस बीच सरकार ने लोकप्रिय विडियो शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म YouTube को भी ऐसे ही कुछ आदेश दिए थे। असल में द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ YouTube ने किसानों आंदोलन के समर्थन में बने दो दो पंजाबी वीडियो गीतों को अपने प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया है।

कैलिफोर्निया स्थित इस कंपनी ने रिपोर्ट के अनुसार इसके पीछे भारत सरकार द्वारा प्राप्त हुई एक कानूनी शिकायत को वजह बताया है, जिसमें कुछ नीतियों और नियमों का उल्लंघन पाया गया और उसी का हवाला देते हुए कम्पनी ने ये क़दम उठाया है।

रिपोर्ट की मानें तो वीडियो शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म द्वारा हटाए गए गानों में Ailaan (proclamation) और Asi vadangey (We will break you) नामक दो गाने शामिल हैं। इनमें से Ailaan को गायक Kanwal Grewal द्वारा रिकॉर्ड किया गया था, जिसको लाखों लोग देख चुके थे।

इस बीच वापस से बात Twitter की करें तो कंपनी के एक प्रवक्ता ने कल कहा था;

See Also

“Twitter पारदर्शिता और सार्वजनिक बातचीत को सशक्त बनाने के सिद्धांतों पर चलता है। अगर हमें प्लेटफ़ॉर्म पर कोई संभावित अवैध कंटेंट के बारे में कोई कानूनी निर्देश प्राप्त होता है, तो हम Twitter के नियमों और स्थानीय कानून के तहत उसका रिव्यू करते हैं और अगर कंटेंट Twitter के नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसको हटा दिया जाएगा।”

“और अगर उस कंटेंट को किसी स्थान पर सिर्फ़ किसी विशेष अधिकार के तहत अवैध कहा जाता है, लेकिन वह Twitter के नियमों का उल्लंघन नहीं करता तो हम सिर्फ़ उस विशेष अधिकार वाले स्थान पर उसको रोक सकते हैं। और इसको लेकर हम उन अकाउंट होल्डर को भी पूरी जानकारी प्रदान करते हैं, ताकि वह यह जान सकें कि हमें इससे संबंधित कोई कानूनी आदेश प्राप्त हुआ है या नहीं?”

असल में ये क़दम सरकार और सोशल मीडिया दिग्गजों दोनो के हक़ में है। क्योंकि अगर ये कंपनियाँ भारत सरकार के निर्देश ना मानते हुए, क़ानूनी चुनौती का सामना करती हैं तो इन्हें दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते इंटरनेट बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी खोने के डर का भी सामना करना पड़ सकता है।

वहीं सरकार भी जल्दी इन अमेरिकी सोशल मीडिया दिग्गज कंपनियों के खिलाफ़ कार्यवाई नहीं करना चाहेगी, क्योंकि फिर वैश्विक कंपनियों को एक ग़लत संदेश जाने का डर होता है।

एक और पक्ष है, वो है आंदोलनकारी किसानों का, जिनके नज़रिए से “अगर सरकार की बाहरी ताक़तों के अपने फ़ायदे के लिए आंदोलन से जुड़ने वाली बात सच है”, तो इसका मतलब है कि उनका आंदोलन भटक रहा है और अगर सच नहीं तो आंदोलन के कमजोर होने का डर!

ख़ैर! ये तमाम बातें आज फिर से “सोशल मीडिया की ताक़त” और “इसकी ज़िम्मेदारी” को आमने-सामने खड़ा करती हैं!

Exit mobile version