स्टार्टअप सेक्टर के लिए शायद ये काफ़ी बड़ी ख़बर साबित हो सकती है। दरसल The Securities and Exchange Board of India ने स्थानीय तकनीकी स्टार्टअप और अन्य नए-पुराने फर्मों को प्रोत्साहित करने के लिए कई बदलावों का प्रस्ताव पेश किया है, जो पिछले साल के नियमों के अनुसार Public Offering को लेकर नियमों में ढील देते और शुरुआती शेयर बिक्री ऑफ़र जैसी चीज़ों को आसान बनाते नज़र आ सकता है।
इस नियामक इकाई ने पिछले साल एक इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म (IGP) की स्थापना की थी और एक नए ढांचे की शुरुआत भी, जिसमें दो कैटेगॉरी का शेयर स्ट्रक्चर शामिल था। इसे स्टार्टअप को स्टॉक एक्सचेंजों पर अपने शेयरों को सूचीबद्ध करना चाहते हैं, उनको मदद मिलने की बात कही जा रही थी।
लेकिन इसके उलट इस नए प्लेटफ़ॉर्म को कोई ख़ास पसंद नहीं किया गया और इसके ज़रिए अभी तक किसी भी स्टार्टअप ने अपने IPO की पेशकश में दिलचस्पी नहीं दिखाई। और अब ज़ाहिर है निराशाजनक नतीजों को देखते हुए SEBI ने अपने इन नियमों में थोड़े बदलाव लाने का मन बनाया है।
इसी कड़ी में नियामक ने कहा कि यह प्रस्तावित नियमों के बनाए एक एक सेट पर फ़ीडबैक माँगने वाला है, जिसको लेकर बाद में चर्चा कर नई पेशकश की जा सकती है।
असल में इन नए प्रस्तावों के तहत SEBI ने अब IPO पेशकश को लेकर स्टार्टअप्स को एक कोटा देने की सिफारिश की है। इसके तहत स्टार्टअप सभी निवेशकों, नियामक के लिए ओपन होने से पहले ही कुछ निवेशकों का चयन करने के लिए IPO के तहत 60% तक शेयरों को आवंटित कर सकते हैं।
यह प्रावधान स्टॉक एक्सचेंजों के मुख्य बोर्ड पर IPO की पेशकश करने वाली कंपनियों के लिए एंकर आवंटन नियम के समान होगा।
इसके साथ ही SEBI ने ओपन ऑफर ट्रिगर को 25% से बढ़ाकर 49% करने का भी प्रस्ताव रखा। दरसल फ़िलहाल कोई भी निवेशक जो किसी सूचीबद्ध कंपनी में 25% हिस्सेदारी खरीदता है, उसे 26% से अधिक खरीदने के लिए सार्वजनिक शेयरधारकों को एक प्रस्ताव देना होता है।
आपको बता दें यह निचली सीमा निवेशकों को स्टार्टअप्स में अपने निवेश से बाहर निकलने और उनके लचीलेपन को सीमित करती है। लेकिन अब SEBI ने इस सीमा में भी ढील देने का मन बनाया है।
इसके साथ ही IGP प्लेटफॉर्म पर स्टार्टअप्स की लिस्टिंग के लिए आसान सुविधा व नियमों की भी सहूलियत प्रदान की जा सकती है।
वहीं स्टार्टअप संस्थापकों के लिए Differential Voting ihts (DVR) के प्रावधान को लेकर वर्तमान में प्लेटफॉर्म इसकी अनुमति नहीं देता है, लेकिन अब इन नियमों को लेकर शायद कुछ लचीलापन देखने को मिल सकता है।
इस बीच इस प्रस्ताव में लिस्टिंग के बाद विशेष अधिकारों को भी बढ़ाने को लेकर कुछ नियम शामिल किए गए हैं। फ़िलहाल इस तरह के अधिकार IPO की पेशकशक के बाद ख़त्म हो जाते हैं।
पर अगर ये तरह के नियम आएँगें तो ज़ाहिर है IPO के बाद भी स्टार्टअप्स में निवेशकों के अधिकारों की रक्षा आदि के चलते स्टार्टअप सस्थापकों व निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। और स्वाभाविक रूप से वह इस ओर रूख करेंगें।
इसके साथ ही IGP प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध फर्मों को रिवर्स बोर्ड बिल्डिंग और 90% थ्रेशहोल्ड होल्डिंग के लिए आवश्यकताओं के साथ मेन बोर्ड जैसी समान शर्तों का पालन करने का भी प्रावधान शामिल है।
दरसल इसको पहले से ही बहुत अधिक खतरनाक रूप में देखा जाता है और प्रस्तावों में शामिल पूंजी के 75% तक की सीमारेखा को नीचे लाने के साथ एक अतिरिक्त मूल्य देने वाले प्रीमियम पर आधारित कुछ बादलवों को भी इसमें जगह दी गई है।
आपको बता दें SEBI ने फ़िलहाल कुल हिस्सेदारी को ज़ाहिर करने की सीमा को 5% से बढ़ाकर 10% तक करने का भी प्रस्ताव दिया है और साथ ही वर्तमान में 2% के बजाय 5% में परिवर्तित किया गया है।