संपादक, न्यूज़NORTH
आपको याद ही होगा कि कुछ समय पहले से ही Facebook देश में कई गम्भीर आरोपों का सामना कर रहा है, जिसमें से सबसे गंभीर आरोप रहे Free Speech की आड़ में Hate Speech और फ़ेंक न्यूज़ को प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ावा देने को लेकर।
इसको शायद Cambridge Analytic के बाद Facebook के लिए दूसरा सबसे बड़ा विवाद कहा जा सकता है। इसकी शुरुआत तब हुई थी जब WSJ ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया कि Facebook भारत में अपने बिज़नेस को ध्यान में रखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा को लेकर पक्षपात कर रहा है।
इसके बाद से ही देश में Facebook की व्यापाक किरकिरी होना शुरू हो गई और इन सब विवादों के केंद्र में रहीं Facebook India की एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारी अंखी दास, जिनको अब इसका ख़ामियाज़ा भी अदा करना पड़ा है। दरसल अब अंखी दास ने कंपनी छोड़ने का फैसला किया है, और उनका कहना है कि अब वह सिर्फ़ सामाजिक कार्यों को लेकर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं।
लेकिन आपको बता दें दास ने साफ़ तौर पर कहा है कि मौजूदा विवाद का उनके फैसले से कोई लेना-देना नहीं है, पर ज़ाहिर है विवाद के समय कंपनी छोड़ने पर मजबूर होना, यह सिर्फ़ संयोग हो ऐसा सोच पाना कठिन ही है। इस बीच फ़ैसले का ऐलान करते हुए अंखी दास ने कहा;
“कंपनी में ख़ास कर पॉलिसी टीम के लोगों से मैंने कई स्मार्ट और प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करते हुए बहुमूल्य सीख हासिल की है। यह एक ख़ास कंपनी और यह ख़ास लोगों की भी एक कम्यूनिटी है। दुनिया को ऐसा सुंदर बनाने के लिए मैं Mark Zuckerberg का शुक्रिया अदा करती हैं। मुझे उम्मीद है कि मैंने इस कंपनी की अच्छी सेवा प्रदान की है। मुझे यह मालूम है कि मैं हमेशा Facebook के संपर्क में रहूँगी।”
आपको बता दें अंखी दास पर भारत में Facebook पर सोचे समझे ढंग से नफरत फैलाने वाले कांटेंट को बढ़ावा देने और उन्हें नज़रंदाज़ करने के आरोप लगते रहे हैं। इसमें भी ख़ासकर उन्हें भाजपा ने नेताओं द्वारा दिए जाने वाले भड़काऊ बयानों के प्रचार के लिए ज़िम्मेदार माना जाता रहा है। दरसल WSJ की रिपोर्ट में कहा गया कि Facebook India सत्तारूढ़ दल को लेकर इसलिए भी नरम है क्योंकि वह अपने व्यावसायिक लाभों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती हैं, क्योंकि भारत उनके लिए सबसे प्रमुख बाज़ारों में से एक है।
दरसल इस विवाद के सामने आते ही देश के दो सबसे अहम राजनीतिक दलों ने Facebook पर एक दूसरे को लेकर पक्षपात के आरोप लगाने लगें हैं। यही कारण है कि कुछ ही दिनों पहले अंखी दास को कुछ पैनलों के सामने पेश होना पड़ा था, जहां उन्हें कई विषयों पर सवाल पूछे गए थे।
इसके साथ ही Facebook को डेटा की पोर्टेबिलिटी, विज्ञापन राजस्व और टैक्स आदि को लेकर भी संसदीय पैनल के सामने पेश होना पड़ा था। इस बीच Facebook ने अंखी दास के कंपनी छोड़ने को लेकर कहा,
“अंखी भारत में हमारे शुरुआती कर्मचारियों में से एक थीं और कंपनी के विकास में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है।”