संपादक, न्यूज़NORTH
ब्रिटिश और स्वीडिश दवा कंपनी AstraZeneca ने कहा कि University of Oxford द्वारा बनाई जा रही COVID-19 टीके को परीक्षण के दौरान छोटे और वयस्कों दोनों के शरीर में प्रतिरक्षा पैदा करते हुए पाया गया है। साथ ही साथ इसी बीच भारत की स्वदेशी वैक्सीन ‘Covaxin’ अब मानव परीक्षण के अंतिम चरण की मंज़ूरी हासिल कर चुकी है, वहीं Moderna की वैक्सीन पहले से ही परीक्षण के अंतिम चरण में है।
दरसल दुनिया भर में चीन के वुहान से COVID-19 के तेज़ी से फैलने के बाद से ही युद्ध स्तर पर वैक्सीन बनाने का काम शुरू हो गया है। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से अब तक इस COVID-19 वायरस के चलते लाखों लोग अपनी जान गाँव चुके हैं। इस महामारी का दुनिया भर के देशों पर हर तरीक़े से प्रभाव पड़ा है, यहाँ तक कि देशों को आर्थिक मंदी और कई अन्य गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। और यही वजह है कि अब पूरी दुनिया की नज़र हर एक देश पर हैं कि आख़िर कौन सफ़तलापूर्वक सफ़ल वैक्सीन बना पता है?
और अब इतने समय बाद आख़िरकार कुछ नए अपडेट आदि के चलते यह वास्तविकता में नज़र आने लगा है। आपको बता दें “AZD1222” नामक वैक्सीन को University of Oxford और AstraZeneca साथ मिलकर विकसित करने की कोशिश कर रहें हैं। इस दवा बनाने वाली कंपनी
का कहना है कि उनकी वैक्सीन ने सकारात्मक परिणाम दिखाई दिए हैं और छोटे और बड़ी दोनो आयु वर्ग के लोगों के शरीर में इसने इम्यूनिटी बनाने का काम किया है। आपको बता दें आसान भाषा में कहें तो कंपनी का कहना है कि ये वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, जो युवा और वृद्ध लोगों में समान रूप से होती हैं। हालाँकि इतना ज़रूर है कि बूढ़े लोगों में इसका असर उतने व्यापाक रूप से नहीं होता देखा जा रहा है।
वहीं एक और वैक्सीन भी परीक्षण के स्तर पर है, जिसपर दुनिया भर की नज़र है। हम बात कर रहें हैं भारतीय कंपनी Bharat Biotech द्वारा विकसित की गई ‘Covaxin’ की, जिसके लिए कंपनी को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) का भी सहयोग मिला है।
इस वैक्सीन ने टेस्टिंग का दूसरा स्तर पार कर लिया है और अब इसको टेस्टिंग के तीसरे स्तर यानि मानव परीक्षण की मंज़ूरी भी मिल चुकी है। इसके लिए भुवनेश्वर के IMS और SUM अस्पताल सहित ICMR द्वारा देश भर अन्य 21 चिकित्सा संस्थानों को चुना गया है। आपको बता दें Bharat Biotech के अनुसार यह जून 2021 तक अपनी वैक्सीन लॉन्च कर सकता है।
दरसल जहाँ एक ओर इन बड़ी फार्मा कंपनियों पर जल्द से जल्द वैक्सीन बनाने का दबाव है, वहीं इनको यह भी सुनिश्चित करना है कि मानव के शरीर में यह सकारात्मक रूप से प्रभावशाली रहें। इसी दौड़ में Oxford-AstraZeneca को Pfizer और BioNTech के साथ सबसे पहले नियामकों से मंज़ूरी हासिल कर सकने वाले उम्मीदवारों के रूप में देखा जा रहा है।
लेकिन ब्रिटिश स्वास्थ्य सचिव, Matt Hancock ने कहा कि यह वैक्सीन 2021 की पहली छमाही में संभावित रूप से पेश की जा सकेगी। फ़िलहाल आपको बता दें तीसरे स्तर की टेस्टिंग में अब तक 11 वैक्सीन प्रवेश कर चुकी है और इनमें से 6 को जल्दी या सीमित उपयोग के लिए मंज़ूरी भी दी जा चुकी है।
लेकिन यह भी एक सच है कि अब तक दुनिया भर में किसी के पास भी कोरोनोवायरस से लड़ने का कोई ठोस इलाज नहीं है और यही कारण है कि यह वायरस इतनी आसानी से और बड़े पैमानें पर लोगों को संक्रमित कर पा रहा है।
लेकिन इन संक्रमितों में भी सबसे अधिक ख़तरा बुजुर्गों को है और ख़ासकर उन्हें जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है जैसे हार्ट संबंधी, मधुमेह आदि।
इस बीच जब तक इसका टीका नहीं बन जाता है, दुनिया भर में मास्क और सोशल डिस्टेन्सिंग को ही सुरक्षित रहने का एक मात्र तरीक़ा माना जा रहा है। इसी बीच हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि नाइट्रिक ऑक्साइड भी इस महामारी से लड़ने में प्रभावी है, जो संभावित रूप से वायरस के प्रभाव को कम कर सकता है।