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Facebook के अधिकारियों ने संसदीय समिति के सामने पेश होकर दिया जवाब; लेकिन समिति जवाब से संतुष्ट नहीं: रिपोर्ट

Facebook के अधिकारियों ने संसदीय समिति के सामने पेश होकर दिया जवाब; लेकिन समिति जवाब से संतुष्ट नहीं: रिपोर्ट

Personal Data Protection Bill, 2019 पर संसदीय समिति द्वारा देश के बाहर भारतीय उपयोगकर्ताओं के डेटा संग्रहीत करने और इसके इसके लीक, दुरुपयोग आदि को रोकने के साथ ही कॉर्पोरेट और अन्य टैक्स के भुगतान को लेकर पर उठाए गए सवालों का Facebook संतोषजनक जवाब देने में विफल सा नज़र आ रहा है।

आपको बता दें इसके साथ ही समिति ने Facebook से विज्ञापन को जाँचने की प्रक्रिया और कांटेंट को परखने के तरीक़ों के संबंध में भी सवाल पूछे थे।

आपको बता दें Facebook की ओर से कंपनी के अधिकारी अंखी दास और भैरव आचार्य शुक्रवार को दो घंटे से अधिक समय तक संयुक्त समिति के सामने जवाब देने को पेश हुए। इस बीच ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ संसदीय समिति में शामिल तमाम पार्टियों के सदस्यों ने कंपनी के अधिकारियों से तमाम अहम विषयों पर सवाल किए, लेकिन बहुत से सदस्य अधिकारियों से जवबा से संतुष्ट नज़र नहीं आए।

इस बीच सूत्रों के अनुसार समिति ने कंपनी से भारत आधारित कुछ आँकड़ो की भी जानकारी साझा करने की माँग की। लेकिन ख़ास यह था कि इन अधिकारियों ने Personal Data Protection Bill, 2019 को लेकर कहा कि भारत के बाहर डेटा साझा करने की अअनुमति दी जानी चाहिए। दरसल इन अधिकारियों का तर्क यह था कि ये डेटा ही देशों के स्टार्टअप्स, राष्ट्रों के बीच वित्तीय और अन्य आर्थिक उद्देश्यों के लिए उपयोगी साबित होता है।

और ख़बर तो यह भी है कि Facebook के अधिकारियों ने माँग की है कि बिल में प्रस्तावित भारतीय यूजर्स का डेटा भारत में स्टोर किए जाने की शर्त को छोड़ देना चाहिए। इसको उचित नहीं माना जा सकता है।

इस बीच समिति के सदस्यों ने डेटा स्टोरेज और इसकी सुरक्षा को लेकर कुछ अहम सवाल पूछे और आँकड़ो संबंधी जानकारी भी माँगी।

इस बीच एक सदस्य ने कहा,

“कई भारतीय Facebook उपयोगकर्ताओं ने अपने ब्लड ग्रुप डोनर की तलाश में या COVID-19 महामारी के दौरान आदि कई डेटा को प्लेटफ़ॉर्म पर साझा किया गया। इस तरह के स्वास्थ्य संबंधी डेटा जैसे ब्लड ग्रुप, हेल्थ बैकग्राउंड, शहर आदि को दूसरे देश में स्टोर करना, लीक होना गंभीर परिणाम का कारण बन सकता है।”

इस बीच समिति ने Facebook टीम से यह भी पूछा कि क्या उसने Jio के साथ अपनी साझेदारी के चलते क्या अपनी नीति को बदलने की योजना बनाई है? ताकि वह अब भारतीय गोपनीयता और डेटा संरक्षण कानूनों का पालन कर सके। लेकिन इस पर Facebook की टीम की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।

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वहीं रिपोर्ट में आगे कहा गया कि संसदीय पैनल ने यह भी जानना चाहा है कि Facebook पर डाले गए विज्ञापनों को कई बार कैसे हटा दिया जाता है? किन किन पैमानों पर इसकी जाँच होती है? इस पर टीम ने बताया कि Facebook के अमेरिकी कर्मचारियों द्वारा विज्ञापनों की जाँच की जाती है।

इस बीच Facebook टीम ने यह भी सुझाव दिया कि बिना माता-पिता के समर्थन के सोशल मीडिया के उपयोग के लिए बिल में क्लॉज के तहत उम्र को कम करके 13 साल कर दिया जाना चाहिए। आपको बता दें इस बिल में यह आयु 18 साल करने का क्लाज़ है।

इस बीच कुछ सदस्यों ने यह भी कहा कि ऐसा लगा मानों Facebook के अधिकारी बिना तैयारी के समिति के सामने पेश हुए और कई सवालों के जवाब दे पाने में असमर्थ नज़र आए।

यह इसलिए भी अहम हो जाता है क्योनि Facebook के लिए भारत कुछ सबसे अहम और बड़े बाज़ारों में से एक है। इसके मालिकाना हक़ वाले WhatsApp में ही क़रीब 400 मिलियन भारतीय उपयोगकर्ता, Facebook में अकेले क़रीब 450 मिलियन भारतीय उपयोगकर्ता और Instagram में 100 मिलियन से अधिक भारतीय उपयोगकर्ता हैं।

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