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Reliance के साथ हुए सौदे को लेकर Amazon ने भेजा Future Group को क़ानूनी नोटिस

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भारत की सबसे बड़ी रिटेल, Reliance Retail ने हाल ही में ही देश की दूसरी सबसे बड़ी रिटेल चेन Future Group के अधिग्रहण का ऐलान किया था। लेकिन अब ऐसा लगता है कि दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी Amazon को यह रास नहीं आया और इसने अब किशोर बियानी के Future Group को एक क़ानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें यह कहा गया है कि कंपनी ने Reliance के साथ यह सौदा करके Amazon के साथ किए गये एक कांट्रैक्ट को तोड़ा है।

जी हाँ! दरसल ET Now की एक रिपोर्ट में कुछ सूत्रों के हवाले से कहा गया कि Future Group को कांट्रैक्ट की शर्तों का पालन न करने को लेकर यह कानूनी नोटिस भेजा गया है। दरसल जब Amazon ने Future Group में निवेश किया था तो कांटैक्ट के मुताबिक़ Amazon को कुछ अधिकार भी मिले थे।

इस बीच आपको बता दें इस कानूनी नोटिस में Amazon ने कहा है कि Future Group ने दोनों कंपनियों के बीच हुए कांट्रैक्ट के कोड को भंग किया है, जिसके अनुसार एक “प्रतिबंधित कंपनी सूची” बनाई गई थी, जिनके साथ कंपनी को कोई डील नहीं करनी थी।

याद दिला दें कि अगस्त में Reliance ने Future Group में $3.4 बिलियन में बहुमत हिस्सेदारी हासिल करने का ऐलान किया था। इस सौदे के अनुसार Reliance Retail Ventures Ltd (RRVL) ने Future Group के रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग व्यवसायों का अधिग्रहण किया था। ज़ाहिर है भारत में दूसरे सबसे बड़े रिटेल बिज़नेस को अपने में मिलाने के बाद से ही देश के रिटेल जगत में RRVL ने अपनी स्थिति को बेहद मजबूत बना लिया है।

लेकिन दिक्कत यह है कि अगस्त 2019 में Future Group के प्रमोटर Amazon ने Future Coupons में लगभग ₹1500 करोड़ में 49% हिस्सेदारी ख़रीदी थी। इसका मतलब यह है कि मूल कंपनी Future Group का कोई भी व्यवसाय Amazon को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

लेकिन अब रिपोर्ट में सूत्रों ने अनुसार कहा गया है कि जब Amazon ने यह निवेश किया था तो कुछ शर्तें तय हुईं थीं लेकिन Amazon के साथ सौदा करने के ठीक आठ महीने बाद Future ने एक प्रतिद्वंदी कंपनी के साथ एक डील करके पहले के सौदे की शर्तों को तोड़ा है।

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इस बीच ET Now की रिपोर्ट कहती है कि Amazon और Future Coupons के बीच के सौदे में अदालत से मध्यस्थता और शिकायत निवारण का आग्रह किया गया है। जिसका मतलब है कि अगर स्थिति बिगड़ती है, तो अदालत मध्यस्थता के लिए हस्तक्षेप कर सकती है।

ज़ाहिर है यह Reliance के लिए भी एक बुरी खबर ही है। हाल ही में ही कंपनी ने लाखों करोड़ का निवेश हासिल किया है और में वह अपने विकास पर ध्यान देना चाहेगी न कि दो रिटेल जगत की दिग्गज़ कंपनियों की लड़ाई में उलझना।

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