चीन की मुश्किलें हैं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं। और इसी कड़ी में अब Google ने भी चीन से जुड़े 2,500 से अधिक YouTube चैनलों को प्लेटफ़ोर्म से हटा दिया है।
कम्पनी के मुताबिक़ यह क़दम कोरोनावायरस और इस वर्ष हुई अन्य घटनाओं के चलते तेज़ी से फैल रही अफ़वाहों और ग़लत ख़बरों पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।
साथ ही कंपनी ने यह भी कहा कि अप्रैल और जून के बीच हटाए गये इन अकाउंट की अमेरिकी राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में हस्तक्षेप को लेकर भी जांच की जा रही थी।
जिसके बाद यह पाया गया कि इन चैनलों में से ज्यादातर “स्पैमिंग नॉन-पॉलिटिकल कंटेंट” पोस्ट कर रहे थे, लेकिन कई जगह इन्होंने राजनीतिक कांटेंट को भी बढ़ावा दिया। ज़ाहिर है यह चुनावी वर्ष है, और Cambridge analytica
और Facebook पर 2016 में लगे आरोपों और हुई बदनामी के चलते अब अधिकतर सोशल मीडिया और इंटरनेट कंपनियाँ अधिक सतर्कता बरतना चाहती हैं, ख़ासकर अमेरिकी चुनावों में बाहरी हस्तक्षेप को लेकर, जिनमें अब Google ने भी कमर कस ली है।
साथ ही अभी पिछले ही हफ़्ते अमेरिकी Congress के आगे हुई एक सुनवाई में Google के सीईओ, सुंदर पिचाई पर यह आरोप भी लगा था कि कंपनी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक रूप से विभाजित करने वाली सामग्री को बढ़ावा दिया जा रहा है और शायद यही Google को सचेत करने के लिए काफ़ी था।
दरसल चीनी तकनीक कंपनियों को लेकर सुरक्षा मुद्दे पर अमेरिकी सरकार हाल ही में बहुत ही सख़्त नज़र आ रही है। यहाँ तक कि देश की उपयोगकर्ता गोपनीयता शर्तों के उल्लंघन को लेकर अमेरिका में लोकप्रिय चीनी ऐप TikTok की हालात फ़िलहाल काफ़ी अस्थिर नज़र आ रही है। यहाँ तक कि इसकी पैरेंट कम्पनी ByteDance अब Microsoft के साथ जल्द से जल्द अधिग्रहण संबंधी डील करने को लेकर बेक़रार नज़र आ रही है।
आपको याद होगा कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से जब रूस द्वारा इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि के ज़रिए चुनावों में हस्तक्षेप के आरोप लगे थे, तब इस मामले में कई बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को भी बदनामी का सामना करना पड़ा था।
इस बीच Google के इस क़दम को लेकर Reuters के हवाले से एक खबर यह भी है कि हटाए गए चैनलों में कुछ चैनल ईरान और रूस सहित अन्य देशों के भी हैं।