जैसे ही लगता है कि WhatsApp Pay की भारत में लॉंच होने की राहे आसान होने लगी हैं, ऐसे ही एक ख़बर ऐसी भी आ जाती है जिससे इसपर लगे संशय के बादल हटते नज़र नहीं आते।
दरसल एक ऐसी ही ख़बर आज फिर से आई है, जिसमें RBI ने सप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने WhastApp को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) भुगतान प्रणाली पर पूर्ण पैमाने रूप से ऑपरेशन शुरू करने की कोई अनुमति नहीं दी है।
जी हाँ! दरसल RBI ने कोर्ट में दायर किए गये एक जवाबी हलफनामे में कहा;
“रिजर्व बैंक ने रिपोर्टों और NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) की प्रतिक्रियाओं की जांच की थी और हम चिंतित थे कि WhatsApp तय सीमा से परे भारत के बाहर कोई पेमेंट डेटा स्टोर तो नहीं कर रहा था?”
“लेकिन हम साफ़ तौर पर इस बात से इनकार करते हैं कि RBI ने WhatsApp को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) भुगतान प्रणाली को पूर्ण रूप से लाइव करने की कोई अनुमति दी है।”
हालाँकि दिलचस्प यह है कि RBI ने यह स्वीकार किया कि NPCI ने उसे WhatsApp को लेकर एक सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट और पोस्ट चेंज रिव्यू रिपोर्ट भेजी, जो इसकी स्टोरेज संबंधी मुद्दों का ज़िक्र करती है। RBI ने कहा कि 1 नवंबर, 2019 के एक पत्र द्वारा NPCI को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि WhatsApp द्वारा भुगतान किए गए डेटा तय सीमा से परे भारत के बाहर तो स्टोर नहीं किए जा रहे?
इसके अलावा NPCI को यह भी सुनिश्चित करने की सलाह दी गई कि WhatsApp भारत के बाहर अपने सिस्टम में किसी भी तरह के पेमेंट डेटा को हैशेड / डी-आइडेंटिड / एन्क्रिप्टेड रूप में स्टोर न करे। RBI ने कहा,
“NPCI को तब तक WhatsApp की UPI भुगतान प्रणाली के पूर्ण संचालन को लाइव नहीं होने देने की भी सलाह दी गई थी, जब तक कि वे पूरी तरह से नियमों का पालन नहीं करता।”
इसके बाद NPCI ने 7 जनवरी को अपने एक पत्र के माध्यम से कहा था कि उसे WhatsApp से एक पत्र मिला है जिसमें कंपनी ने सभी लंबित मुद्दों को 31 मई तक पूरा करने के लिए सहमति व्यक्त की गई है और फिर सेवाओं को लाइव करने की अनुमति माँगी है।
NPCI ने तब RBI से UPI पर WhatsApp को ‘लाइव’ जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसके पीछे उसने तीसरे पक्ष की ऑडिट रिपोर्ट को आधार बनाया था।
WhastApp ने पहले ही सप्रीम कोर्ट को सूचित कर दिया था कि वह नियमों का पालन किए बिना अपनी सवी शुरू नहीं करेगा। आपको बता दें RBI की यह प्रतिक्रिया तब आई थी, जब वकील विराग गुप्ता ने WhatsApp Pay द्वारा किए जा रहे परीक्षणों पर पूर्ण रोक लगाने की माँग की थी। उनका कहना था कि भारत में डेटा स्थानीयकरण नियमों का पालन किए बिना कंपनी 1 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ ये बीटा टेस्टिंग कर रही है।