भारत में पहले से ही काफ़ी तेज़ी से अपनी पैंठ बना रही डिजिटल पेमेंट सुविधा COVID-19 के चलते देश में और भी अधिक अपनाई जाने लगी है। लेकिन इस क्षेत्र में देश के भीतर तेज़ी से बढ़ा एक नाम यानि Google Pay अब थोड़ी मुश्किलों से घिरा नज़र आने लगा है।
दरसल Google Pay को भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में एक थर्ड पार्टी एप्लिकेशन प्रोवाइडर (TPAP) के रूप काम करने के लिए एक न्यायिक वैधता परीक्षण से गुजरना पड़ सकता है।
जी हाँ! दिल्ली हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने एक “विस्तृत सुनवाई” का आदेश दिया है और यह पूछा है कि क्या भुगतान प्लेटफ़ॉर्म TPAP के रूप में काम करत है, या फिर पूर्ण भुगतान प्रणाली प्रदाता के रूप में संचालित होता है, क्योंकि इस स्थिति में यह Payment Systems Settlement Act 2007 का उल्लंघन माना जाएगा।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक़ मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक की दलील के बाद कहा कि Google Pay ने थर्ड पार्टी सेवा प्रदाता के रूप में काम किया है और इसलिए अधिकृत भुगतान प्रणाली प्रदाताओं की सूची में मौजूद नहीं है।
दरसल आपको बता दें एक अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा ने पिछले साल ने कहा था कि अमेरिका आधारती Google Pay ने स्थानीय कानून का उल्लंघन किया था क्योंकि इसमें सेवा प्रदाता के रूप में कार्य करने के लिए कोई मंज़ूरी नहीं ली है।
इस बीच ख़ास यह है कि अदालत ने यह कहा कि इस मामले पर फैसला कुछ अन्य TPAP के परिचालन को भी प्रभावित करेगा। हालाँकि इस बीच रिपोर्ट में इन नामों का ख़ुलासा नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर बता दें कि इसको लेकर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।
इस बीच जानकारों की मानें तो, मई में 500 मिलियन लेनदेन पर Google Pay ने किसी अन्य भुगतान खिलाड़ी की तुलना में नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) प्लेटफ़ॉर्म पर अधिक लेनदेन दर्ज किए हैं। आपको बता दें उस महीने में देश में कुल 1.2 UPI बिलियन लेनदेन दर्ज किए गए थे।
आपको बता दें वर्तमान में UPI पर थर्ड पार्टी ऐप्स पर कोई सीधा विनियमन मौजूद नहीं नहीं है और इन कंपनियों की देखरेख NPCI द्वारा बनाए कई अप्रत्यक्ष नियमों के माध्यम से की जाती है।