Site icon NewsNorth

OYO के ख़िलाफ़ दिल्ली की एक हॉस्पिटैलिटी फर्म ने किया कोर्ट केस

oyo-in-2022-hyderabad-delhi-bengaluru-kolkata-most-booked-cities

Source: Oyo Website

पिछले कुछ समय से सूर्खियों से नदारद नज़र आ रहा OYO एक बार फिर से ख़बरों में वापस आ गया है, लेकिन इस बार भी OYO के लिए यह ख़बर अच्छी नहीं कही जा सकती है।

दरसल दिल्ली की एक हॉस्पिटैलिटी फर्म Pearl Hospitality & Events ने OYO Hotels & Homes के ख़िलाफ़ कोर्ट में केस किया है, जिसमें कम्पनी ने OYO के ऊपर कथित तौर से समय से पहले कॉंट्रैक्ट ख़त्म करने और इसके चलते बकाया राशि का भुगतान करने जैसे आरोप लगाए हैं।

ईटी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस कम्पनी की अर्ज़ी से जुड़े दस्तावेज के सामने आने से यह पता लगा है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते OYO को Pearl Hospitality & Events द्वारा दायर की गई शिकायत का जवाब देने के लिए एक नोटिस जारी किया है।

बताया जा रहा है कि OYO के साथ Pearl Hospitality ने 4 सितंबर, 2019 को ‘मैनेजमेंट सर्विस एग्रीमेंट’ साइन किया था। उस डील में एक लॉक-इन पीरियड क्लॉज भी शामिल था, जिसको लेकर ही शिकायत दर्ज की गई है।

दरसल डील के मुताबिक़ अगर OYO 12 सितंबर, 2019 से 16 महीने की अवधि तक में इस कॉंट्रैक्ट को ख़त्म करता है, तो उसको Pearl Hospitality को मुआवज़े के रूप में एक निश्चित राशि देनी होगी। लेकिन ज़ाहिर है कथित तौर पर OYO ने ऐसा कोई भी भुगतान Pearl को नहीं किया, जिसकी वजह से यह मामला कोर्ट पहुँचा है।

आपको बता दें कहा यह भी जा रहा है कि मामला अदालत में पहुंचने से पहले भी दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ कानूनी नोटिस भी भेजा था।

See Also

इस बीच रिपोर्ट के अनुसार Pearl का कहना है कि उसको OYO से नवंबर तक का भुगतान मिला, लेकिन उसके बाद OYO ने कम्पनी को कोई भुगतान नहीं किया है। इसलिए Pearl अब Softbank समर्थित स्टार्टप OYO से लॉक-इन अवधि को लेकर मुआवजे की मांग कर रहा है। बता दें टैक्स को हटा दिया जाए तो इस मुआवज़े की राशि 5 करोड़ रुपये से अधिक की बतायी जा रही है।

इस बीच OYO की तरह से यह ख़बर आ रही है कि कम्पनी के वकील ने अदालत को बताया है कि Pearl Hospitality ने मूल मकान मालिक से लीज पर संपत्ति ली थी और इस समझौते को इस साल जनवरी में समाप्त कर दिया गया।

साथ ही कम्पनी के वकील ने अदालत से कहा कि याचिका में ऐसे दावों का कोई मतलब नहीं है। यहाँ तक की लगातार Pearl से डॉक्युमेंट और नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की माँग करने के बाद भी अभी तक वह प्रदान नहीं किया गया है। इस बीच आपको बता दें कि आगे के मामले की सुनवाई 19 जून तक के लिए फ़िलहाल टाल दी गई है।

Exit mobile version