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सप्रीम कोर्ट द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर लगे RBI के बैन को हटाने के बाद, अब क़ानून बनाकर जारी रखा जा सकता है बैन: रिपोर्ट

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भारत क्रिप्टोकरेंसी का विषय एक बार फिर से सूर्खियों में है और वजह एक बार फिर से सरकार है और उसकी संस्थाएँ हैं।

दरसल ईकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार अब क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून लाने की तैयारी में है। असल में सरकार इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किसी निर्देश की तुलना में अधिक प्रभावी रूप से क़दम उठाने के लिए इसको एक कानूनी ढांचा देना चाहती है।

आपको बता दें भारतीय रिजर्व बैंक के अप्रैल 2018 के क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी को लेकर जारी दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 4 मार्च को अपने एक निर्णय में ख़त्म कर दिया और बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी का सपोर्ट करते हुए सेवाएं प्रदान करने पर लगी रोक भी हटा दी थी।

लेकिन अब सरकार इस मुद्दे को यूँ ही नहीं छोड़ना चाहती है दरसल अब रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कैबिनेट के पास इस संबंध में एक नोट भेजा गया है, जिसके तहत इस रोक को लेकर क़ानून बनाने जैसे पहलुओं का भी ज़िक्र है।

साफ़ है अगर ऐसा होता है तो देश में क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में काम करने वाले निवेशकों, एक्सचेंजों और बिटकॉइन जैसी वर्चूअल करेंसियों में काम करने वाली अन्य संस्थाओं के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।

आपको याद दिला दें, जुलाई 2019 में एक उच्च-स्तरीय सरकारी पैनल ने सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी के सभी प्रकारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के लिए एक क़ानूनी मसौदा तैयार किया था। इसमें इसका उल्लंघन करने वालों पर 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और 10 साल तक की कैद जैसी सज़ाओं का भी सुझाव दिया गया था।

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दरसल क्रिप्टोकरेंसी पर लगे बैन को हटाते हुए सप्रीम कोर्ट ने कहा था कि RBI को इस संबंध में कोई पुख़्ता सबूत पेश करने चाहिए कि इन मुद्राओं को मंज़ूरी देने से देश में किसी प्रकार का कोई ग़लत प्रभाव पड़ेगा और क्योंकि RBI ऐसे सबूत प्रस्तुत नहीं कर सका है इसलिए फ़िलहाल इसपर लगी रोक हटाना ही उचित होगा।

लेकिन अब देखना यह है कि जब सरकार के आला अधिकारी और कैबिनेट ही अगर देश में क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने का मन बना रहें हैं तो ऐसे में देश में क्रिप्टो का भविष्य कैसा हो पाता है?

वैसे आपको बता दें इन सब के बीच बैंक भी काफ़ी असमंजस में हैं और ऐसा लगता है कि फ़िलहाल बैंक इस विषय पर खुलकर अपने विचार या सेवाओं की पेशकश तो नहीं करने वाले।

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