सोमवार को स्टार्टअप जगत के लिए एक अहम ऐलान किया गया। दरसल सरकार के द्वारा किए गये इस नए ऐलान के तहत अब स्टार्टअप कम्पनी बननें के 10 साल तक कर्मचारियों को स्टॉक (ESOPs) देने का विकल्प चुन सकते हैं। आपको बता दें पहले यह सीमा सिर्फ़ 5 साल ही थी।
असल में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने पिछले साल फरवरी में उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभाग पेश की गयी स्टार्टअप की एक नयी परिभाषा को लागू कर दिया है। इस नए नियमों के अनुसार स्टार्टअप अपनी पेड शेयर पूंजी का 15% तक इक्विटी शेयर जारी कर सकते हैं।
ईटी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने एक सूचीबद्ध कंपनी के लिए कुछ प्रावधानों को भी हटा दिया है, जैसे निजी तौर पर हर साल अपने डिबेंचर को सासाइड रिजर्व में रखना आदि। दरसल इस नई अधिसूचना के लिए Companies (Share Capital & Debentures) Rules, 2014 में बदलाव किए गये हैं।
साथ ही दिलचस्प यह है कि पिछले साल फरवरी में ही DPIIT ने उस अवधि को भी बढ़ा दिया था, जिसके तहत एक कंपनी को 5 साल के बजाए 10 साल तक स्टार्टअप माना जा सकता है।
वहीं ईटी की रिपोर्ट के ग़ौर करें तो कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अब एक और प्रावधान को भी हटा दिया, जिसमें एक सूचीबद्ध कंपनी को हर साल 30 अप्रैल तक वित्तीय वर्ष के दौरान मेच्युर होने वाली राशि के कम से कम 15% के बराबर राशि को निवेश या जमा करने की आवश्यकता होती है।
ज़ाहिर है नए नियम भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम में काफ़ी मददगार साबित होंगे और इनका सकारात्मक असर व्यापक रूप से देखनें को मिल सकता है।