मौजूदा समय में भारत सरकार देश में अधिक से अधिक वैश्विक कम्पनियों को प्रोडक्शन के लिहाज़ से सहूलियत की पेशकश करने का काम कर रही है। ज़ाहिर है इरादा है देश को प्रोडक्शन के लिहाज़ से चीन के एक विकल्प के रूप में तैयार करने का।
और अब इसी दिशा में सरकार के कुछ नए क़दम भी सामनें आएँ हैं। दरसल अब सरकार ने चीन और दक्षिण कोरिया से लाए जाने वाले संयंत्र और मशीनरी के मूल्यांकन सहित कई नियमों में ढील देने का फ़ैसला किया है। दरसल स्मार्टफोन निर्माताओं जैसे Samsung, Foxconn, Oppo, Vivo, और Flextronics द्वारा काफ़ी समय से इसकी माँग की जा रही थी, ताकि देश में बड़े पैमानें पर स्थानीय प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जा सकें।
इक़ोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी सचिवों की एक अधिकार प्राप्त समिति ने शुक्रवार को बैठक करके की नियमों को हटाने का फैसला किया, जिसमें संयंत्र और मशीनरी का मूल्यांकन भारत अपने मूल्य के 40% पर करता था, और साथ में इन नियमो में मशीन आदि अन्य परिवर्तनों को लेकर भी थोड़ी छूट की गयी है, ताकि निर्माण को बड़े पैमाने पर स्थानांतरित करने में मदद मिले।
इस बीच आपको हमनें पहले भी कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से बताया था कि Apple के साथ पहले से ही अपने कॉंट्रैक्ट के तहत Wistron और Foxconn भारत सरकार की PLI योजना के तहत देश में अपनी प्रोडक्शन सुविधाओँ को बढ़ावा देने की कोशिशें कर रहें हैं।
लेकिन दिलचस्प रूप से रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि iPhone निर्माता, Apple ने सरकार के साथ संयंत्र और मशीनरी के मूल्यांकन सहित कुछ मुद्दों को लेकर अपनी चिन्ताएँ व्यक्त की थीं। और अब सरकार के अधिकारी Apple के तीसरे प्रोडक्शन पार्ट्नर Pegatron के साथ भी निर्माण सुविधाओं के कुछ हिस्से को देश में स्थानांतरित करने को लेकर चर्चा कर रहें हैं।
इस योजना के माध्यम से सरकार देश को मैन्युफ़ैक्चरिंग क्षेत्र में चीन के एक बड़े विकल्प के रूप में खड़ा करना चाहती है। और इसकी कोशिशें केंद्र और देश की कायी राज्य सरकारों ने अपने अपने स्तर पर शुरू भी कर दीं हैं।
इस बीच आपको बता दें अब तक जिन बदलावों पर सहमति बनी है उनमें PLI योजना में हुए बदलावों को लेकर उद्योग जगत से भी चर्चा की जाएगी, पर पहले इन कम्पनियों को निवेश आदि कर, देश में उत्पादन शुरू करने की मंशा ज़ाहिर करनी होगी।