आखिरकार, सरकार द्वारा पेश की गयी COVID-19 कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप, आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) को लेकर काफ़ी दिनों से चली आ रहीं अटकलों पर सरकार ने मुहर लगा दी है।
जी हां! असल में भारत सरकार ने अब आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) ऐप को ‘ओपन सोर्स’ करने का ऐलान कर दिया है।
बता दें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अजय प्रकाश साहनी ने मंगलवार को यह घोषणा की थी।
इस एंड्रॉइड ऐप का सोर्स कोड कल आधी रात को GitHub पर जारी कर दिया गया है। इंजीनियर और प्रोग्रामर ऐप के पूरे कोड को वहां देख पाएंगे, और किसी भी सुरक्षा या गोपनीयता की खामियों को चिन्हित कर सकेंगे।
दिलचस्प रूप से इस ऐलान के दौरान साहनी ने कहा;
“सरकार आरोग्य सेतु के कोड में बग और कमजोरियों की पहचान और रिपोर्टिंग करने वाले सुरक्षा विशेषज्ञों को $1,325 तक का नकद पुरस्कार देने के लिए तैयार है।”
इस दौरान Aarogya Setu के ट्विटर हैंडल के जरिये कुछ तस्वीरें पोस्ट की गयीं और बताया गया कि ऐप के iOS संस्करण के कोड को भी अगले दो सप्ताह के अंदर ओपन सोर्स के रूप में उपलब्ध करवा दिया जाएगा। खुले स्रोत के रूप में जारी किया।
The #AarogyaSetuApp is now open source. Read the attached release documents to know more. pic.twitter.com/dubwKQTK0w
— Aarogya Setu (@SetuAarogya) May 26, 2020
इस बीच गौर करने वाली बात यह है कि ऐप के 98% उपयोगकर्ता एंड्रॉइड पर हैं, इसलिए इस देरी से किसी को ज्यादा नुकसान नहीं होने वाला है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा,
“डेवलपर्स कम्युनिटी के लिए ओपन सोर्स कोड प्रदान करना हमारी पारदर्शिता और सहयोग के सिद्धांतों हेतु हमारी निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। Aarogya सेतु का डेवलपमेंट सरकार, उद्योग, शिक्षा और नागरिकों के बीच सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण रहा है।”
मंत्रालय का कहना है कि 26 मई तक ऐप के 114 मिलियन से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। जिनमें से दो तिहाई ने COVID 19 के संपर्क में आने के जोखिम का मूल्यांकन के लिए सेल्फ-टेस्टिंग का इस्तेमाल किया है। इतना ही नहीं बल्कि अब तक इस ऐप ने लगभग 500,000 ब्लूटूथ संपर्कों की पहचान करने में मदद की है।
इस प्रकार जो लोग भी संक्रमण के खतरे में पाए जाते हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे खुद सावधानी बरतें।
अब तक इस ऐप ने ऐसे 900,000 उपयोगकर्ताओं को सतर्क किया है। बता दें इन 900,000 में से 24% को COVID 19 पॉजिटिव पाया गया।
साथ ही यह ऐप “हॉटस्पॉट्स” की पहचान करने में भी मदद करता है, मलतब वह क्षेत्र हैं जो उच्च संक्रमण दर के जोखिम में होतें हैं। आंकड़ों की बात करें तो ऐप ने देश भर में 3,500 हॉटस्पॉट की पहचान की है।
इस बीच मंत्रालय ने कहा,
“ब्लूटूथ आधारित कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और हॉटस्पॉट की पहचान करने वाली यह ऐप इस संक्रमण की चेन को तोड़ने का काफी मददगार साबित हो सकती है।”
साथ ही सरकार ने कहा कि ओपन सोर्स कोड के जरिये हम देश के प्रतिभाशाली युवाओं और नागरिकों की विशेषज्ञता और सहयोग का लाभ उठाने की उम्मीद कर रहें हैं।
दरसल Google और Apple द्वारा शुरू किए गए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग टूल से पहले ही भारत सरकार द्वारा पेश की जा चुकी यह ऐप हाल ही में प्राइवेसी मुद्दों को लेकर काफी चर्चा में रही है।
हाल ही में कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस ऐप में खामी की बात कही थी, जिसके बाद सरकार से इन सभी दावों को निराधार बताया था।