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देश में UPI लेनदेन में दर्ज की गई मासिक गिरावट; लॉकडाउन बनी अहम वजह

जैसा की स्वाभाविक था लॉकडाउन के चलते देशभर में किराने और दवाइयों की बिक्री के अलावा सभी चीज़ें लगभग अप्रैल में बंद ही रहीं।

और अब इस राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान खरीद-फरोख में आई कमी को डिजिटल भुगतान डेटा के जरिये भी साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

दरसल नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा संचालित किए जाने वाले Unified Payments Interface (UPI), Immediate Payment Service (IMPS) और National Electronic Toll Collections (NETC) जैसी सेवाओं से संबंधित डेटा लॉकडाउन के हालातों को साफ़ दर्शातें हैं।

NPCI द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि UPI लेनदेन एक चौथाई कम होते हुए 1.5 लाख करोड़ रुपये तक हो गया है। आपको बता दें 2016 में UPI की शुरुआत के बाद यह सबसे मासिक तौर पर सबसे अधिक गिरावट है।

साथ ही साथ बड़े स्तर पर फ़ंड को तुरंत ट्रांसफर करने के लिए उपयोग किये जाने वाले IMPS चैनल पर भी वॉल्यूम और लेनदेन के मूल्य में क्रमशः 44% और 40% की गिरावट देखी गई। NPCI के आंकड़ों के मुताबिक IMPS चैनल ने अप्रैल में 1.21 लाख करोड़ रुपये के सिर्फ 120 मिलियन लेनदेन ही दर्ज किए।

जी हाँ! इकॉनोमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक प्रभावित होने वाले चैनलों में NPCI का Fastag रहा, जो राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा पर डिजिटल भुगतान के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जाहिर है आवश्यक सेवाओं के अलावा वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा हुआ है और राज्यों की सीमाएं भी बंद हैं ऐसे में Fastag के पेमेंट के मासिक संग्रह में 80% की गिरावट देखी गयी।

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मार्च में Fastag के माध्यम से जहाँ 1,400 करोड़ रुपये आये थे वहीँ फरवरी में यह आँकड़ा 1,800 करोड़ रुपये के लगभग था, लेकिन अप्रैल में यह आँकड़ा सिर्फ 247 करोड़ रुपये ही रहा जो टूल बूथों पर हुए कुल 10 मिलियन लेनदेन से आया।

इतना ही नहीं बल्कि Bharat Bill Payment Systems (BBPS) प्लेटफार्म में भी लेनदेन के वॉल्यूम में भरी गिरावट दर्ज की गयी। इस चैनल ने अप्रैल में 1,373 करोड़ रुपये के बिल भुगतान ही दर्ज किये, जो मार्च के महीनें में करीब 1,953 करोड़ रुपये तक थे।

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