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Samsung को पीछे छोड़ Vivo बनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन कंपनी; Xiaomi पहले स्थान पर बरक़रार

भारतीय स्मार्टफ़ोन बाज़ार से जुड़ी तजा रिपोर्ट सामने आ चुकी है और यह भारतीय स्मार्टफोन जगत को थोड़ी राहत देने वाली ख़बरों से लैस नज़र आ रही है।

दरसल भारतीय स्मार्टफोन जगत ने हाल ही में करीब 1 महीनें से चल रहे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद 2020 की पहली तिमाही यानि Q1 2020 में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया है।

जी हाँ! रिसर्च फर्म Canalys द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में Q1 2020 में स्मार्टफ़ोन उद्योग ने 12% की वृद्धि दर्ज करते हुए कुल 33.5 मिलियन स्मार्टफोन यूनिट बेचें।

लेकिन इस रिपोर्ट में जो एक बात सबसे दिलचस्प है वह यह कि नए आँकड़ों के अनुसार Samsung अब गिरावट दर्ज करते हुए तीसरे स्थान पर आ गया है। Vivo ने Samsung से दूसरा स्थान छिनते हुए बढ़त हासिल कर ली है। आपको बता दें यह आँकड़े Q1’20 शिपमेंट वॉल्यूम के आधार पर पेश किये गये हैं।

इस बीच Xiaomi अपने पहले स्थान पर बरक़रार है और Vivo से कहीं अधिक आगे भी। यह स्वाभाविक इसलिए भी है क्योंकि कंपनी द्वारा लगातार स्थानीय उत्पादन और सप्लाई चेन में निरंतर निवेश के साथ ही साथ बेहतरीन ऑनलाइन और ऑफलाइन चैनल रणनीति पर भी काफी जोर दिया जा रहा है।

Xiaomi ने बीते कुछ सालों से नंबर 1 के स्थान पर कब्ज़ा करते हुए इस बार भी बाजार में 30.6% हिस्सेदारी हासिल की, जिसका मलतब है कंपनी द्वारा 10.3 मिलियन स्मार्टफोन की शिपिंग की गयी।

गौर करने वाला पहलु यह है कि Vivo ने शिपमेंट में 50% की वृद्धि की है, लेकिन Samsung की शिपमेंट में लगभग 14% की गिरावट दर्ज की गयी है। हालाँकि Vivo ने व्यक्तिगत रूप से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए बाजार में करीब 19.9% की हिस्सेदारी हासिल करने में कामयाबी पायी। वहीँ दूसरी और Samsung को इस बार 18.9% बाजार हिस्सेदारी से ही संतोष करना पड़ा है। इन दोनों कंपनियों ने क्रमशः 6.7 मिलियन और 6.3 मिलियन यूनिट शिपमेंट की है।

वहीँ तीसरे स्थान की जंग के बाद अगले स्थानों पर प्रतिद्वंदिता उतनी नहीं दिखाई दी। दरसल RealMe और Oppo क्रमशः अपने चौथे और पाँचवे पायदान पर बने रहे ।

लेकिन 11.7% बाजार हिस्सेदारी और 3.9 मिलियन यूनिट बेचनें वाले RealMe ने सालाना 200% की वृद्धि दर्ज की। वहीँ Oppo ने 3.5 मिलियन डिवाइसों की शिपमेंट की और बाज़ार में 10.4% की हिस्सेदारी हासिल करने में कामयाब रहा। साथ ही कंपनी साल दर साल वृद्धि 22.4% तक रहने का अनुमान है।

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लेकिन दिलचस्प बात यह भी है कि Canalys के विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय बाजार में यह वृद्धि टिकाऊ नहीं है। असल में Canalys की विश्लेषक मधुमिता चौधरी के अनुसार;

“भारत के कुछ हिस्सों में खुल सकने वाले लॉकडाउन का असर सरकार को इससे बाहर निकलने की रणनीति, कमर्चारियों की उपलब्धता, राज्य की सीमाओं को खोल सार्वजनिक परिवहन की अनुमति आदि पर निर्भर करता है, और यह विक्रेताओं व ODMs के लिए एक अहम मुद्दा है। चीन की तरह COVID-19 से जूझने के कारण अतिरिक्त कमर्चारियों को शामिल करने संबंधी ने नियमों के चलते भारत में कारखानों को पूरी क्षमता से पुन: शुरू करना एक चुनौतीपूर्ण काम होगा और इसका सीधा असर उत्पादन क्षमता पर पड़ेगा।”

इस बीच मधुमिता चौधरी भारत की उपभोक्ता मांग के विषय में तो आशावादी है, लेकिन साथ ही उनका कहना है कि;

“उपभोक्ता मांग अधिक मजबूत हो सकती है। और इसमें ऑनलाइन चैनलों के उभरने की भारी संभावना है क्योंकि वायरस के डर से उपभोक्ताओं द्वारा ऑफलाइन खरीदरी में कमी देखी जा सकती है।”

साथ ही इस बीच उनके अनुसार Vivo के लिए यह वृद्धि इतनी भी ख़ुशी की वजह नहीं बन सकती, क्योंकि आगामी समय में ऑफ़लाइन स्टॉक आदि को लेकर परेशानी और सबसे अधिक IPL सीज़न के रद्द होने के चलते Vivo की बिक्री पर पड़ने वाला इसका पप्रभाव भी अधिक होगा।

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