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सरकार ने वापस ली ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा लॉकडाउन के दौरान ‘गैर-जरूरी सामानों’ की डिलीवरी संबंधी मंजूरी

भारत में COVID-19 के चलते हुए 21 दिनों के लॉकडाउन को जब 3 मई, 2020 तक और बढ़ाने की घोषणा की गयी तो इसमें आज के दिन यानि 20 अप्रैल, 2020 को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया था।

दरसल 20 अप्रैल से सरकार द्वारा देश के तमाम क्षेत्रों की स्थिति का जायजा लेने के बाद कुछ क्षेत्रों में रियायत देने की उम्मीद की जा रही थी। और इसमें सबसे दिलचस्प था ई-कॉमर्स कंपनियों को मिल सकने वाली संचालन संबंधी छूट।

लेकिन अब इन ई-कॉमर्स कंपनियों को सरकार की समीक्षा के बाद किये गये ताज़ा ऐलान में निराशा हाथ लगी है। जी हाँ ! दरसल भारत के गृह मंत्रालय ने गैर-आवश्यक सामानों की डिलीवरी के लिए ई-रिटेलर्स को दी गयी अनुमति वापस ले ली है। आपको बता दें 15 अप्रैल को इन ई-कॉमर्स कंपनियों को एक आदेश के तहत गैर-जरूरी सामान सहित सभी प्रकार की डिलीवरी करने की अनुमति दी गई थी।

स्वाभाविक रूप से सरकार के इस फैसले का सीधा असर देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे Walmart के मालिकाना हक वाली Flipkart और Amazon India पर भी पड़ेगा।

गौर करने वाली बात यह है कि Flipkart के लिए इसकी सबसे अधिक बिकने वाली कैटेगरी इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन ही है और अब जब इनकी डिलीवरी में रोक लगा दी गयी है तो ऐसे में जाहिर है कंपनी के राजस्व बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

कई मीडिया रिपोर्टों से यह तक सामने आया था कि शिपमेंट वॉल्यूम में अपेक्षित उछाल के चलते इन कंपनियों ने अपनी आपूर्ति श्रृंखला और रसद के लिए पूरी तैयारी भी कर ली थी। लेकिन अब एक बार फिर से इन कंपनियों को कम से कम 3 मई तक के लिए अपनी इन तैयारियों पर विराम लगाना होगा।

इस बीच आपको याद दिला दें भारत में देशव्यापी लॉकडाउन के शुरुआत में ही केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को केवल जरूरी सामानों जैसे खाद्य, दवाईयाँ और अन्य चिकित्सा उपकरण की ही डिलीवरी संबंधी अनुमति दी थी।

दरसल दूसरे चरण के इस लॉकडाउन के ऐलान के बाद जारी विस्तृत दिशानिर्देशों में सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को काम करने की अनुमति संबंधी भी दिशानिर्देश जारी किए थे। यहाँ तक कि कुछ राज्यों ने पहले से ही ईकॉमर्स कंपनियों के संचालन के लिए मानक और परिचालन प्रोटोकॉल जारी भी कर दिए थे।

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लेकिन अब फ़िलहाल यह सब इन ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए व्यर्थ ही साबित हुआ। लेकिन एक चीज़ जिस पर हमें बेशक ध्यान देना चाहिए कि लॉकडाउन की इसी सख्ती की वजह से 1.2 बिलियन की आबादी वाले देश में अभी संक्रमण के आँकड़े 14,000+ हैं, और प्रभावी ढंग से सामुदायिक संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली है।

बता दें कई विशेषज्ञों का तो मानना है कि यदि लॉकडाउन अभी भी हटा दिया जाए तो देश में संक्रमण प्रभावितों का आँकड़ा एक लाख के पार जा सकता है। इस बीच भारत ने टेस्टिंग प्रक्रियाओं को भी तेज किया है, दरसल फ़िलहाल भारत में एक दिन में 35,000 से अधिक टेस्ट किये जा रहें हैं और अब तक देश में कुल 4,00,000 टेस्टिंग हो चुकीं हैं।

लेकिन बेशक मौजूदा लॉकडाउन ने आर्थिक गतिविधियों को रोक कर अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचाया है। और चिंता का विषय तो यह है कि लॉकडाउन ऐसे समय में आया जब भारत की $3 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था पिछले 2 सालों से चल रही एक लंबी मंदी के बाद धीरे-धीरे पटरी में आना शुरू ही कर रही थी।

लेकिन दिलचस्प रूप से कई दावों के अनुसार G20 अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में देश की अर्थव्यवस्था को फिर भी काफी कम नुकसान होने की उम्मीद है। दरसल IMF और World Bank दोनों ने ही लॉकडाउन के बावजूद भारत की सकारात्मक जीडीपी वृद्धि दर की उम्मीद जताई है।

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