दुनिया भर में फैली महामारी, COVID 19 (कोरोना वायरस) के चलते लगभग विश्व के सभी प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्था संकट के दौर में गुजर रही है।
इन देशों की मौजूदा सरकारें अपनी-अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए हर संभव प्रयास करती नज़र आ रहीं हैं। और अब इसी श्रृंखला में भारत ने भी इस विषय को गंभीरता से लिया है।
दरसल भारत की आर्थिक स्थिति को इस महामारी के प्रभाव से बचाने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोन वायरस की चपेट में आने के बाद 19 मार्च को अपने पहले राष्ट्रव्यापी संबोधन में एक बड़ा ऐलान किया।
असल में कोरोना वायरस के चलते देश में पड़ रहे नकारात्मक आर्थिक प्रभावों को रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने एक ‘इकॉनोमिक टास्क फ़ोर्स’ के गठन का ऐलान किया। प्रधानमंत्री ने आगे इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस टास्क फोर्स का नेतृत्व करेंगी।
बता दें इस टास्क फोर्स का काम यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है या नहीं? साथ ही यह टास्क फ़ोर्स अर्थव्यवस्था को सँभालने रखने के लिए आवश्यक क़दमों और दिशानिर्देशों के लिए उद्योग जगत के लीडर्स से भी लगातार प्रतिक्रियाएं और सुझाव लेती रही रहेगीं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा;
“टास्क फोर्स उद्योग जगत के विशेषज्ञों व हितधारकों की बात सुनेगी और अर्थव्यवस्था पर इस महामारी बन चुकें वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी।”
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कारोबारी जगत के लीडर्स, स्टार्टअप संस्थापकों और उद्यमियों से अपने कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखने का आग्रह किया। उन्होंने यात्रा और अन्य प्रतिबंधों के कारण काम नहीं कर पा रहे कर्मचारियों की सैलरी न काटने का आग्रह भी किया। इस संवेदनशील मुद्दे पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा;
“इस संकट के इस समय में, मैं सभी व्यवसाईयों और समाज के उच्च-आय वर्ग से अपील करता हूं कि आप उन सभी के आर्थिक हितों के प्रति भी संवेदनशील हों, जो आपके लिए काम करते आ रहे हैं।”
“यह जरुर हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में वह अपने काम में किन्हीं कारणवश न आ सकें, तो ऐसे में कृपया आप उनके वेतन में कटौती न करें। मानवीयता और संवेदनशील आधार पर भी निर्णय लें।”
वहीँ टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस टास्क फ़ोर्स का नेतृत्व कर रहीं निर्मला सीतारमण जल्द ही MSME मंत्री नितिन गडकरी, पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह, विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी और पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के साथ मौजूदा आर्थिक संकट का आकलन करने के लिए बैठक बुला सकतीं हैं।
साथ ही शुक्रवार को होने वाली एक बैठक में कोरोनो वायरस के प्रकोप के चलते सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले उद्योगों के लिए कुछ राहत पैकेजों का भी ऐलान किया जा सकता है।
इस बीच अनुमान यह है कि इन उद्योग क्षेत्रों में विमान उद्योग और हॉस्पिटैलिटी जगत जैसे होटल इत्यादि शामिल हो सकतें हैं।
स्वाभाविक और स्पष्ट रूप से यह दोनों ऐसे क्षेत्र हैं जो इस महामारी की स्थिति में सबसे अधिक प्रभावित हो रहें हैं। कोरोनो वायरस के प्रकोप के चलते जहाँ एक ओर यात्राओं में भारी गिरावट आई है वहीँ दूसरी तरफ होटल इंडस्ट्री भी इससे सीधे तौर पर प्रभावित हुई है।
कई रिपोर्ट्स की माने दो अकेले इन दो क्षेत्रों में ही लगभग 8,500 करोड़ रुपये का राजस्व लाभ प्रभावित हुआ है। इस बीच B2B SaaS प्लेटफार्म RateGain की एक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि फरवरी में भारतीय प्रदेशों में लगभग 90% होटल बुकिंग में भारी गिरावट दर्ज की गयी है।
वहीँ कल दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ तौर पर कहा कि इस महामारी का अभी तक कोई निश्चित इलाज नहीं खोजा जा सका है और न ही कोरोनो वायरस से निपटने के लिए अभी तक किसी भी प्रकार की कोई वैक्सीन इजात की जा सकी है। इसलिए लोगों को पूरा एतिहत बरतने की जरूरत है।
इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार, 22 मार्च, 2020 को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक ‘जनता कर्फ्यू’ लगाने का भी ऐलान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से आग्रह किया किया कि 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक कोई व्यक्ति घर से बाहर न निकले और जनता खुद से ही कर्फ्यू जैसे हालात बनाने में मदद करे।
साथ ही प्रधानमंत्री ने अपील की कि संभव हो तो हर व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 10 लोगों को फोन करके कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ ही साथ जनता-कर्फ्यू के बारे में भी सूचित करे।
साथ ही उनका एक आग्रह यह भी रहा कि 22 मार्च को ठीक 5 बजे हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर 5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें जो कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, जैसे डॉक्टर, सरकारी कर्मचारी इत्यादि और उनके सम्मान में तालियाँ बजाएं।
वहीँ इस बीच आपको बता दें इस आर्टिकल को लिखने तक भारत में COVID-19 के कुल मामलों की संख्या 190 के करीब पहुँच गई है, जिसमें 25 से अधिक विदेशी शामिल हैं।
वहीँ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि दिल्ली, कर्नाटक, पंजाब और महाराष्ट्र में अब तक इसके चलते कुल चार मौतें ( प्रत्येक राज्य में एक-एक) हो चुकीं हैं।