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Facebook ने दी Influencers को राजनीतिक प्रचारों के लिए कंटेंट बनाकर विज्ञापन चलाने की अनुमति

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अब तो ऐसा लगने लगा है कि Facebook जानबूझकर अपने लिए नए नए विवादों को जन्म देता है। या फ़िर यह भी कह सकतें हैं कि राजस्व कमाने की होड़ में कंपनी विवाद बन सकने वाली चीज़ों पर ध्यान ही नहीं देती।

जी हाँ! Facebook एक बार फ़िर से अपने नए ऐलान के कारण विवादों से अपना नाता जोड़ते नज़र आने लगा है। दरसल अपनी पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव करते हुए कंपनी ने घोषणा की है कि अब Influencers राजनीतिक प्रचारों के लिए साझेदारी के तहत विज्ञापन चला पायेंगें।

प्लेटफ़ॉर्म Influencers को तब तक ऐसा करने की अनुमति देगा जब तक वह ऐसे कंटेंट को एक विज्ञापन के तौर पर पेश करेंगें।

आइये आपको आसान तरीके से इसको समझाएं। दरसल अब Facebook किसी भी राजनैतिक प्रचार की साझेदारी के तहत Influencers द्वारा चलाये जाने वाले विज्ञापन को अपनी ‘पब्लिक ऐड लाइब्रेरी’ में नहीं जोड़ेगा।

आपको बता दें पब्लिक ऐड लाइब्रेरी प्लेटफ़ॉर्म का ऐसा टूल है, जहाँ मौजूद सभी विज्ञापनों की पूरी जानकारी कोई भी पढ़ सकता है, कंपनी ने इसको पारदर्शिता को बढ़ावा देने के ऐलान के साथ लॉन्च किया था।

लेकिन अब समझ नहीं आता कि यह कैसी ‘पारदर्शिता’ है, जहाँ आप राजनीतिक प्रचार से जुड़े प्रभावशाली लोगों को बिना कोई जानाकरी सार्वजानिक किये विज्ञापन चलाने की अनुमति दे रहें हैं?

लेकिन ऐसा क्या हुआ कि Facebook को अचानक ही यह कदम उठाना पड़ा और अपनी इस पॉलिसी की घोषणा करनी पड़ी?

दरसल आपको शायद ही पता हो, लेकिन आज की गई इस घोषणा से पहले Facebook के पास इस तरह के Influencers और राजनीतिक प्रचार साझेदारी के लिए कोई भी लिखित पॉलिसी मौजूद नहीं थी।

लेकिन इस विषय में कंपनी को कल विचार करना पड़ा जब न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर माइक ब्लूमबर्ग ने अपने राष्ट्रपति कैंपेन के दौरान लोकप्रिय Instagram पेजों के जरिये अपने विरोधियों के खिलाफ घटिया Memes को लेकर विज्ञापन चलवाए।

लेकिन जैसे ही यह Memes लोगों को आहत करने लगे और सोशल मीडिया में इसको लेकर हँगामा हुआ तो कहीं जाकर Facebook ने भी इसका संज्ञान लिया और अपनी नई पॉलिसी लेकर आया। ताकि कंपनी ऐसे विज्ञापनों को कानूनी जामा पहना सके।

वैसे आप जानते हैं, माइक ब्लूमबर्ग ने असल में पारंपरिक प्रचार पर कोई पैसे खर्च न करते हुए सिर्फ़ Facebook विज्ञापन चलाने के लिए कथित तौर पर $1 मिलियन प्रतिदिन के लिहाज़ से खर्चा किया। तो आपको अंदाज़ा लग ही गया होगा कि Facebook क्यों ऐसी चीज़ों पर प्रतिबंध लगाने के बजाए, खुद को क़ानूनी रूप से सुरक्षित करते हुए, अपने राजस्व को बढ़ाने में लगा है।

इस बीच Facebook के एक प्रवक्ता ने The Verge को बताया,

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“ब्रांडेड कंटेंट विज्ञापन से अलग है, लेकिन किसी भी मामले में हम मानते हैं कि लोगों को यह पता होना चाहिए कि कब वह विज्ञापन देख रहें हैं।”

“हम अमेरिकी राजनीतिक उम्मीदवारों को क्रिएटर्स के साथ मिलकर बनाये कंटेंट को प्रमोट करने की अनुमति दे रहें हैं, बशर्ते कि राजनीतिक उम्मीदवार अधिकृत हों और क्रिएटर भी पैसा लेकर की गई साझेदारी का ब्रांडेड कंटेंट टूल के माध्यम से खुलासा करें।”

वहीँ एक और दिलचस्प पहलु है, दरसल Buzzfeed को दिए एक बयान में Facebook ने कहा कि यह तीसरे पक्ष के तथ्य-जांचकर्ताओं के संबंध में भी योजना बना रहा है, ताकि वह यह सुनिश्चित किया जा सके कि कब Influencer द्वारा विज्ञापन में चलाये गये पोस्ट में मौजूद राजनीतिक भाषण के तथ्यों की जाँच करनी है।

और अगर भाषण स्पष्ट रूप से उस राजनेता का है जो कंटेंट के लिए भुगतान कर रहा है तो इसके तथ्यों की जाँच नहीं की जाएगी। लेकिन अगर Influencer अपनी आवाज में ख़ुद कोई मैसेज दे रहा है, तो यह जाँच का पात्र होगा।

वैसे आपको बता दें यह नई पॉलिसी अभी केवल अमेरिका तक ही सीमित है। लेकिन अभी सिर्फ़ अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ही पास है, तभी शायद यह अभी तक सिर्फ़ अमेरिका में ही लागू की गई है, और वक़्त के साथ इसको विश्व स्तर पर भी लागू होते देखा जा सकता है।

पर इतना तो है कि भारत में इस पॉलिसी के लागू होने के परिणाम बहुत ज्यादा अच्छे तो नहीं होंगें, और तमाम पार्टियाँ इसको एक मुख्य कैंपेन हथियार की तरह इस्तेमाल करती नज़र आ सकती हैं।

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