Apple के Safari वेब ब्राउज़र में Google शोधकर्ताओं द्वारा एक बड़ी सुरक्षा खामियों को उजागर किया गया है, जिससे चलते संभावित हैकर्स ऑनलाइन उपयोगकर्ता को ट्रैक कर सकते हैं।
और विडंबना तो यह है कि उपयोगकर्ताओं को ट्रैक करने की अनुमति देने वाला टूल वही है जिसको उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी को सुरक्षित बनाये रखने के लिहाज़ से तैयार किया गया था।
आपको बता दें Mozilla के Firefox और Microsoft के Internet Explorer के बाद Apple का Safari तीसरा ऐसा वेब ब्राउज़र है, जिसमें सप्ताह भर के भीतर ऐसी ख़ामी होने की खबर सामने आई है।
दरसल Google की क्लाउड टीम ने Apple को पांच अलग-अलग प्रकार के संभावित हमलों के बारे में आगाह किया है, जिसके चलते कुछ कमजोरियों का उपयोग करके हैकर्स द्वारा उपयोगकर्ताओ को ट्रैक किया जा सकता है।
आपको बता दें इस खामी के चलते हैकर्स तक उपयोगकर्ताओं की ब्राउज़िंग आदतों के बारे में संवेदनशील निजी जानकारी पहुँचने का भी दावा किया जा रहा है।
आपको बता दें यह ख़ामी ब्राउज़र के एंटी-ट्रैकिंग टूल, Intelligent Tracking Prevention (ITP) में पाई गई है। इसका खुलासा पहली बार Apple ने पिछले साल अगस्त में किया था। इस इंटेलिजेंट ट्रैकिंग सिस्टम को 2017 में Safari से जोड़ा गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य विज्ञापनदाताओं और अन्य थर्ड पार्टी के कुकीज़ द्वारा ट्रैक किए जाने से उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करना था।
इस ITP टूल को पहले वेब ब्राउज़र के लिए प्राइवेसी को मजबूत करने वाली तकनीक के रूप में देखा जा रहा था और यहां तक कि Google को इसे अपने क्रोम ब्राउज़र में भी शामिल करना था।
आपको बता दें Safari पर ITP की मुख्य खामी की वजह डिवाइस पर इसके एल्गोरिदम का यूजर ओरिएंटेड पहलू है, जो उपयोगकर्ता के व्यवहार का पता लगाता है, और इसी को आंशिक रूप से सूचना रिसाव का कारण बताया जा रहा है।
एक स्वतंत्र सुरक्षा शोधकर्ता Lukasz Olejnik ने कहा,
“आज जबकि इस तरह की प्राइवेसी खामियां बहुत कम देखने को मिलती हैं, ऐसे में प्राइवेसी मजबूत करने के लिहाज़ से तैयार किये गये इस तरह के टूल में ऐसी खामी अप्रत्याशित और चिंताजनक है।”
इस बीच यह भी बता दें कि Apple ने अभी तक इस बारे में कोई अधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, और न ही कोई जानकारी दी है कि क्या इस खामी को दूर किया गया है या नहीं?
दरसल यह पहली बार नहीं है जब Google के शोधकर्ताओं ने Apple के सॉफ्टवेर में सुरक्षा खामियों को पहचानने में मदद की है। Apple ने पिछले साल अपने iPhone उपयोगकर्ताओं पर हुए प्राइवेसी हमलों पर नज़र रखने की बात स्वीकार की थी।
इसके साथ ही Google ने अगस्त में चीन के Uighur में अल्पसंख्यकों के iPhones पर सुनियोजित हमले करने वाली वेबसाइटों की एक सीरीज का भी खुलासा किया था।