Razerpay द्वारा कॉर्पोरेट क्रेडिट कार्ड और अन्य नई बैंकिंग सेवाएं लॉन्च करने के बाद, अब PayU भी भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल क्रेडिट व्यवसाय में अपना हाथ अजमाने का मन बना चुका है।
और शायद इसलिए कंपनी ने $185 मिलियन में भारतीय फिनटेक कंपनी Paysense में अधिकतम हिस्सेदारी ख़रीद कर इसके अधिग्रहण का ऐलान किया है।
आपको बता दें Paysense असल में मुंबई आधारित एक फिनटेक स्टार्टअप है, जो मुख्य तौर पर लोगों को शॉर्ट टर्म डिजिटल लोन प्रदान करता है। और अब इस अधिग्रहण के बाद PayU असल में Paysense को अपने Lazypay के साथ मिलाने की योजना बना रहा है। आपको बता दें यह दोनों कंपनियां ही भारत में डिजिटल क्रेडिट प्रदान करती हैं।
वहीँ PaySense फ़िलहाल भारत में 5.5 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता होने का दावा भी करता है।
आपको बता दें PaySene के सभी एंजेल निवेशकों से उनकी हिस्सेदारी ख़रीदने और PaySense को Lazypay के साथ मर्ज करने की यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी।
दूसरे चरण में PayU इस नई बनी इकाई में $200 मिलियन का निवेश करेगा, जिसमें से $65 मिलियन की राशि का उपयोग तत्काल प्रभाव से किया जाएगा, लेकिन बाकी की राशि 2 साल की अवधि में खर्च की जाएगी। इस प्रकार से इस पूरे सौदे में कुल $385 मिलियन खर्च किये जायेंगें।
Lazypay का मुख्य ध्यान फ़ूड डिलीवरी प्लेटफार्मों, ई-कॉमर्स वेबसाइटों, ऑनलाइन ट्रेवल वेबसाइटों पर $210- $7,030 के शोर्ट टर्म लोन प्रदान करने का होगा। वहीँ PaySense वाहन खरीद और अन्य सेवाओं के उद्देश्य से लंबी अवधि के लिए क्रेडिट प्रदान करने के मकसद से काम करेगी।
आँकड़ो के लिहाज़ से देखे तो क्रेडिट लेंडिंग कंपनियों ने भारत में डेबिट कार्ड उपयोगकर्ताओं की भारी संख्या के बाद भी बाज़ार में अच्छा काम किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार केवल 20 मिलियन भारतीय ही क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, जबकि डेबिट कार्ड उपयोगकर्ताओं की संख्या करीब 1 बिलियन की बताई जाती है।
PayU में हेड ऑफ़ क्रेडिट, सिद्धार्थ जाजोदिया के अनुसार,
“PayU के जरिये हमारा मकसद डेटा और टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बेहतर वित्तीय सेवाओं का निर्माण करने का है। हमारे मुख्य काम पेमेंट और क्रेडिट हैं। और अब यह अधिग्रहण नई क्षमताओं और एक मजबूत प्रबंधन टीम हासिल करने में हमें मदद करेगा।”
वहीँ इन सब के बीच बोस्टन कंसल्टिंग की माने तो भारत में डिजिटल क्रेडिट एक बाज़ार ट्रिलियन डॉलर तक का हो सकता है। और इसलिए कई स्टार्टअप इसको एक सुनहरे अवसर के रूप में देख रहें हैं।
दरसल असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए बिना अच्छे क्रेडिट स्कोर के लोन हासिल करना भारतीय पारंपरिक बैंकिंग तंत्र में मुश्किल हो जाता है और ऐसे में यह स्टार्टअप्स इन्हीं संभवनाओं की तलाश में जुटे हैं।
और अब PayU ने भी इसी अवसर को देखते हुए इस ओर कदम बढ़ाये हैं। इसी के चलते PayU पहले से ही भारत में करीब आधे बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश कर चुका है और साथ ही इसने पिछले साल $70 मिलियन में Wibmo का भी अधिग्रहण किया था।