पिछले कुछ समय से लगातार भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित इंटरनेट कानून को लेकर चर्चा हो रही है। इसको लेकर तमाम अटकलों और संभवनाओं का दौर भी चल रहा है।
दरसल इसी बीच अगर आप 2019 के आँकड़ो की बात करेंगे तो पिछले साल भारत सबसे ज्यादा इंटरनेट शटडाउन वाला देश साबित हुआ था। और ऐसे ही आंकड़ों को देखते हुए सरकार के आगामी इंटरनेट संबंधी कानून और भी दिलचस्प हो जाते हैं।
और अब एक बड़ी खबर यह आई है कि भारत सरकार द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों के लिए कड़े इंटरनेट कानून लाए जा सकतें हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने 2018 में ही सोशल मीडिया कंपनियों को उनके कार्यों के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाने के लिए Information Technology (Intermediaries Guidelines) नियमों में Information Technology Act, 2000 के तहत Section 79 में बदलाव प्रस्तावित किये थे।
Rule 2018 यह कहता है कि मध्यस्थों (Intermediaries) द्वारा कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं को नियमों, विनियमों और गोपनीयता नीति के बारे में सूचित किया जाना चाहिए, ताकि वह ऐसी किसी भी जानकारी को होस्ट, प्रदर्शन, अपलोड, संशोधित, प्रकाशित, अपडेट या साझा न करें जो किसी भी प्रकार से सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण सूचना संरचना को प्रभावित करते हो।
वही आपको बता दें सरकार ने हाल ही में यह भी घोषणा की है कि इन फैसलों से केवल सोशल मीडिया कंपनियां प्रभावित होंगी, और इसके चलते कोई अन्य ई-कॉमर्स या स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म जैसे Netflix इत्यादि को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
दरसल यह फ़ैसला इंडस्ट्री और क्लाउड कंपनियों की कड़ी आपत्ति जताने के बाद लिया गया है। इन कंपनियों का कहना था कि जब सरकार का मकसद सिर्फ़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकने का ही है, तो भला उसके चलते नियमों में ऐसे बदलाव क्यों किये जाएँ, जिससे हमारा व्यवसाय बिना कारण प्रभावित हो।
आईटी इंडस्ट्री लॉबी में से Nasscom और Amazon Web Services (AWS) ने पिछले साल ही कहा था कि नियम सोशल मीडिया कंपनियों पर लागू होने चाहिए, लेकिन क्लाउड प्लेटफॉर्म, आईटी और बिज़नेस प्रोसेस मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों पर इसका असर नहीं पड़ना चाहिए।
इन कंपनियों का कहना था कि उन पर लागू न होने वाली शर्तों के बावजूद बिचौलियों पर ऐसे कानून थोपना सही नहीं है।
लेकीन अब ऐसा स्पष्ट होता जा रहा है कि सरकार के इस नए प्रस्तावित कानून से Facebook, Youtube और TikTok जैसी कंपनियों के ही सबसे अधिक प्रभावित होने की उम्मीद है।
इस बीच आपको बता दें कि MeitY ने सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में कहा है कि 15 जनवरी तक कंपनियों को इस कानून के नए मसौदे के बारे में सूचित कर दिया जाएगा।