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भारत के नए Intermediary Liability Laws को लेकर Wikimedia ने व्यक्त की अपनी चिंताएं

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दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन Encyclopedia पर मालिकाना हक़ रखने वाली कंपनी Wikimedia भारत सरकार के नए Intermediary Liability Laws को लेकर काफी चिंतित नज़र आ रही है।

जी हाँ! दरसल कंपनी ने सरकार से मौजूदा कानूनों को फिर से लागू करने का आग्रह किया है क्योंकि कंपनी के अनुसार यह नए कानून देश में उसके संचालन और भारतीय लोगों तक ऑनलाइन माध्यम से सूचना पहुंचाने के तरीके को पूरी तरह से बाधित करते नज़र आ रहें हैं।

आपको बता दें कि भारत सरकार ने पिछले साल दिसंबर में Intermediary Liability Laws में नए बदलावों का प्रस्ताव रखा था और अब उम्मीद की जा रही है कि 2020 की शुरुआत में इन बदलावों को पारित करके कानून का रूप दे दिया जाएगा।

दरसल यदि इन नए बदलावों को लागू किया जाता है, तो 5 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता आधार के साथ सेवाएं प्रदान करने वाले Intermediary Apps को देश में एक स्थानीय ऑफिस खोलना होगा और साथ ही देश में एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति भी करनी होगी, जिसे किसी भी कानूनी मुद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके।

एक बार फ़िर से बता दें इन परिवर्तनों की घोषणा पिछले साल की गई थी और लगभग सभी प्रमुख तकनीकी कंपनियों ने तुरंत ही इसका विरोध शुरू कर दिया था।

Mozilla, Microsoft’s GitHub और Wikimedia ने इस साल की शुरुआत में एक संयुक्त पत्र के जरिये यह लिखा कि ये नए कानून उनके कामकाज के तरीके को और भी कठिन बना देंगे, क्योंकि इसके जरिये बिना किसी व्यक्ति को दोषी माने सीधा कंपनी पर ही सारा इल्जाम लगाया जाएगा।

इस पत्र में इन कंपनियों ने बार-बार इस कानून को फ़्री-इंटरनेट के खिलाफ़ एक कदम क़रार दिया था।

हालांकि सरकार ने उसके बाद से इस कानून में प्रस्तावित बदलावों को लेकर कोई चर्चा नहीं की, जबकि कंपनियां बार-बार एक खुली बातचीत के लिए आग्रह कर रही हैं जहां वे कानून बनाने को लेकर अपनी भी राय जाहिर कर सकें और सर्व-सम्मति से उचित कदम उठाया जा सके।

इस दौरान Wikimedia विशेष रूप से चिंतित है, क्योंकि कंपनी डेटा एकत्र करने के लिए एक ‘ओपन एडिटिंग’ प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है। नए लेखों के जरिये योगदान करने की बात हो या Wikipedia पर मौजूदा लेखों में बदलाव करने की बात, कंपनी का प्लेटफ़ॉर्म इसके लिए सीधे उपयोगकर्ताओं पर निर्भर करता है। और इन नए कानूनों के आने से कंपनी को डर है कि यह प्रक्रिया बेवजह अतिसंवेदनशील हो जाएगी।

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साथ ही प्लेटफ़ॉर्म इंटरनेट पर स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखने के अपने प्रयासों में बाधा महसूस कर सकता है, क्यूंकि नए कानून के बाद प्लेटफ़ॉर्म पर डेटा एडिटिंग को लेकर कुछ प्रतिबंध लग सकतें हैं। और ऐसी क़ानूनी बाधाएं Wikipedia जैसे गैर लाभकारी संगठनों का संचालन मुश्किल में डाल सकती हैं।

इसके अलावा दिलचस्प रूप से यह नया कानून सरकार को “सार्वजानिक रूप से अवैध सूचना और सामग्री को पहचानने और हटाने व मिटाने की भी अनुमति देता है।

इस बीच Wikimedia भारत सरकार से इन परिवर्तनों के मसौदा पर पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहा है और ख़ासकर इस मसौदे में शामिल बिचौलियों की पहचान करने के तरीके को फिर से परिभाषित करने का भी अनुरोध कर रहा है।

इसके साथ ही कंपनी सरकार से इंटरनेट पर ट्रैसबिलिटी को लेकर लाये जा रहे नए प्रावधान पर भी पुनर्विचार करने का आग्रह कर रही है, क्योंकि कंपनी के हिसाब से यह उपभोक्ता के फ़्री-इंटरनेट के अधिकार को प्रभावित करेगा।

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